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घर के दीप (home lamp) संभाल तनिक, कहीं बिजली धोखा दे जाये
घर के दीप (home lamp) संभाल तनिक, कहीं बिजली धोखा दे जाये।
मन्द ताप, बाटी बनती, भट्टी में सेके, जल जाये,
यात्रा, उडान, श्रम की थकान, अपने घर में ही उतरे,
घर आंगन की तरुणाई ही, उर अन्तर की प्यास भरे,
हाथी पागल हो जायें, पर पिल्लै साथ निभायेंगे,
सांपों को दूध पिलाने वाले, सर्पदंश ही पायेंगे,
देख भीड को बहको मत, कहीं ख़ुद का बच्चा खो जाये,
घर के दीप, संभाल तनिक, कहीं बिजली धोखा दे जाये।
भाई हो कमजोर कोई, यदि उनका भार उठायेंगे,
काम पडे, किसी कठिन मोड पर, वे ही साथ निभायेंगे,
मेड का कूँचा ऊँचा हो तो, साख फ़सल सुख पाता है,
वही श्मशान में ख़ुद जलता, औरों की चिता जगाता है,
कुश्ती है, कंधे टेको मत, कोई बाजी कब अपनी ले जाये,
घर के दीप, संभाल तनिक, कहीं बिजली धोखा दे जाये।
रंगा सियार बन चहको मत, चेहरा कब असली दिख जाये,
झूठे केश और छद्म वेष कब चौराहों पर बिक जायें,
दादी का मटका, नानी की कहानी, सीख बया कब दे जाये,
ढपोर शंख ज्यों फेंको मत, निर्धन के प्राण निकल जायें,
उडो गगन में याद रहे यह, सांझ पडे घर आना है,
सागर की लहरों से खेलो, नाव किनारे लाना है,
पतवार हाथ की टेको मत, कहीं अवसर फिर ना मिल पाये,
घर के दीप, संभाल तनिक, कहीं बिजली धोखा दे जाये।
आंख के हर आंसू की, अपनी एक अलग कहानी है
गीता रामायण वेद महावीर, गुरु ग्रंथ कबीर की वाणी है,
खोना पाना आना जाना, यह जीवन बहता पानी है,
संग रहने, सुख दुख सहने की, कहने की रीत पुरानी है,
आंख के हर आंसू की, अपनी एक अलग कहानी है! १!
हार जीत ख़ुशी आघात प्रीत, जो शब्द नहीं कह पाते हैं,
भाव भरे निज आंखों से, गिरते आंसू कह जाते हैं,
टप टप गिरते आंसू ही, उस पल की अमिट निशानी है,
आंख के हर आंसू की, अपनी एक अलग कहानी है! २!
बिना माँ के बच्चों की व्यथा, कितनी मायें बन जाती हैं,
सौतेली माँ चाची ताई, मौके पर काम ना आती हैं,
सब जानते हो तुम श्याम प्रभु, क्या छुपी है, जो समझानी है,
आंख के हर आंसू की, अपनी एक अलग कहानी है! ३!
भूखे मां-बाप का दर्द नहीं, वे भोजन बांटने जाते हैं,
माँ के दूध की शर्म नहीं, कुत्ते बिल्ली को दूध पिलाते हैं,
अपमान पी आशीष दें जो, वे मांगें मौत सुहानी हैं,
आंख के हर आंसू की, अपनी एक अलग कहानी है! ४!
मोहक बाल क्रीड़ा में, मनुहार और हीडा में,
मां-बाप की उस पीड़ा में, दोष और धमीडा में,
रोती छुपकर कोने में, वह ममता की महारानी है
आंख के हर आंसू की, अपनी एक अलग कहानी है! ५!
जो सपनों में ही उड़ते हैं, गिरते नहीं संभलते हैं,
दो प्रेमी रिश्तो में जुड़ते हैं, मिल कहीं पुनः बिछुड़ते हैं,
जब खेल रहे बरखा सावन, आंगन में तीज सयानी है।
आंख के हर आंसू की, अपनी एक अलग कहानी है! ६!
जीवन के उतार-चढ़ाव, दर्द के हों गहरे घाव,
खुशियों के छलकते भाव, टूटे हृदय, शब्द अभाव,
आती-जाती धूप छांव में, बोले कोई तीखी वाणी है,
आंख के हर आंसू की, अपनी एक अलग कहानी है! ७!
भूखे बच्चे नींद दिलाई हो, असहाय वृद्ध अंगड़ाई हो,
बेटी की कोई विदाई हो, कहीं सूनी गोद कलाई हो,
नहीं बातें हंसी ठिठोली की, संग उनके एक रात बितानी है,
आंख के हर आंसू की, अपनी एक अलग कहानी है! ८!
कहीं चुभता अपना ही कांटा, भाई के भाई का चाँटा,
निज खरा रुख जड़ से काटा, फिर माल लंगूरों ने बांटा,
तब फूटे ज्वाला खून उबलता, कहीं छल कपट बेईमानी है,
आंख के हर आंसू की, अपनी एक अलग कहानी है! ९!
शुर्पनखा ताड़का का इतिहास, खिलजी मुगलों का परिहास,
पिघला अशोक करुणामय श्वास, धन्य प्रताप रोटी वह घास,
भरथरी, विक्रम को देश निकाला, पिंगला की आँख का पानी है,
आंख के हर आंसू की, अपनी एक अलग कहानी है! १०!
परपीड़ा संवेदन, करुणा चितवन में, क्रांतिनाद हो नील गगन में,
प्रेम प्यार की अगन हो मन में, अँसुवन प्रभु की गहन लगन में,
जहाँ मानवता है, देश प्रेम, भावों से भरी जवानी है,
आंख के हर आंसू की, अपनी एक अलग कहानी है! ११!
हंसराज गुप्ता, लेखाधिकारी,
निवासी-अजीतगढ जिला सीकर
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