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हिन्दी मेरा साया
मैं हिन्दी का बेटा हूँ
हिन्दी के लिए जीत हूँ।
हिन्दी में ही लिखता हूँ
हिन्दी को ही पढ़ता हूँ।
मेरी हर एक सांस पर
हिन्दी का ही साया है।
इसलिए मैं हिन्दी पर
जीवन को समर्पित करता हूँ॥
करें हिन्दी से सही में प्यार
भला कैसे करे हिन्दी लिखने
पढ़ने और बोलने से इंकार।
क्योंकि हिन्दी बस्ती है
हिंदुस्तानीयों की धड़कनों में।
इसलिए तो प्रेमगीत भक्तिगीत
हिन्दी में लिखे जाते।
जो हर भारतीयों का
गौरव बहुत बढ़ते है॥
करो हिन्दी का प्रचार प्रसार
तभी तो राष्ट्रभाषा बन पायेगी।
और हिन्दी भारतीयों के
दिलो में बस पायेगी।
चलो आज लेते है
हम सब एक शपथ।
की करेंगे सारा कामकाज
आज से सदा हिन्दी में।
तभी मातृभाषा का कर्ज़
हम भारतीय उतार पाएंगे॥
और सच और अच्छे
हम भारतीय कहलाएंगे।
संजय की यह रचना
समर्पित है हिन्दी भाषा के लिए।
करो उपयोग हर समय
हमारी हिन्दी भाषा का आप।
बहुत बड़ा उपकार होगा
हमारी हिन्दी पर उनका॥
देश है प्यारा
सुनो मेरे देशवासियों,
मनाने जा रहे,
७३व गणतंत्र दिवस,
कुछ संकल्प ले लो।
नहीं करेंगे कोई भेदभाव,
हम जाती और धर्म पर।
समान भाव सबके प्रति,
हम सब मिलकर रखेंगे।
तभी हमारा ये देश,
दिखेगा विश्व में विशेष॥
हमें इस पर है अभिमान,
और इसे बहुत है हमें प्यार।
इसलिए नहीं गिरने देंगे
कभी इसका स्वभिमान।
लड़ेंगे इसके लिए एक साथ,
नहीं आने देंगे कोई आंच।
ये हमारा देश है हिंदुस्तान,
जिसे हम करते
प्राणो से ज़्यादा प्यार।
इसे हम कैसे अकेला छोड़ दे॥
हम दे देंगे चाहे अपनी प्राण,
पर तिरंगे को झुकने नहीं देंगे।
चाहे कोई भी हो वह शैतान,
यदि करेगा गद्दारी देश से।
तो देंगे उसको मृत्यु दंड।
इसलिए संजय कहता है
की दिलसे करो इसे प्यार।
और निभाओ अपना सब फर्ज।
ये हमारा देश है हिंदुस्तान।
जिसे हम करते
प्राणों से ज़्यादा प्यार।
इसे कैसे हम अकेला छोड़ दे॥
संजय जैन “बीना”
मुंबई
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