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हिन्दी दिवस (Hindi day)
१४ सितंबर हिन्दी दिवस (Hindi day),
है विश्व विख्यात।
इसे मनाएँ प्रेम से,
लाएँ सुखद प्रभात॥
पूरे विश्व को एक सूत्र में पिरो कर रखने वाली हम सब की भाषा हिन्दी संपूर्ण भारत की जन भाषा, राष्ट्रभाषा और राजभाषा है। सात राज्यों में दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं बिहार में इसे राजभाषा के रूप में ही अपनाया गया है।
इतना ही नहीं भारत के गांवों और कस्बों की भाषा हिन्दी है तो ये शहरों की ताकत भी है। भारत कई सालों तक विदेशी शासन का गुलाम रहा। मुस्लिम अपनी राजभाषा ‘फारसी’ को मानते थे तो अंग्रेज ‘अंग्रेजी’ को।
किंतु यहाँ (भारत) की राष्ट्रभाषा तो हमेशा से हिन्दी ही रही है क्योंकि देश की भावनात्मक (भावात्मक) एकता को आधार तो राष्ट्रीय भाषा ही प्रदान करती है। हमें हिन्दी लेखन से ही अपनी पहचान बनानी चाहिए क्योंकि आजकल ‘एमएनसीज’ में काम करने वाली युवा पीढ़ी ईमेल और प्रेजेंटेशन तो अंग्रेज़ी में देते हैं किंतु ज़ुबान पर हिन्दी चढ़ी होती है।
फिर विदेशी लोग भी तो हमारी हिन्दी को सीखते जा रहे हैं। कैटरीना कैफ, वरुण धवन, नरगिस फाखरी और एवलिन शर्मा जैसे न जाने कितने ही बड़े-बड़े कलाकार हमारी हिन्दी बेझिझक सीखते भी हैं और बोलते भी हैं।
अरे! आज तो हिन्दी माध्यम से ही अनेक विषयों का पाठन होने लगा है। समाज-विज्ञान, वाणिज्य आदि आदि।
स्कूल और कॉलेज मैं तो परीक्षा के उत्तर देने की स्वतंत्रता भी हिन्दी माध्यम से है। यहाँ तक कि प्रतियोगी परीक्षाओं में भी हिन्दी का प्रयोग करने की छूट दे दी गई है क्योंकि हिन्दी दिल से बुलती है और अंग्रेज़ी के लिए दिमाग़ लगाना पड़ता है।
अस्तित्व में कैसे आया हिन्दी दिवस?
११ सितंबर से १४ सितंबर १९४९ तक राजभाषा हिन्दी के नाम पर संविधान में बहस छिड़ गई कि हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत एवं हिंदुस्तानी में से किसे राजभाषा घोषित किया जाए लेकिन संघर्ष की स्थिति केवल हिन्दी और अंग्रेज़ी के समर्थकों में ही देखने को मिली।
आजाद भारत में एक विदेशी भाषा (अंग्रेजी) को केवल १-२ % लोग ही पढ़ सकते थे किंतु उस समय ४६ प्रतिशत लोगों की भाषा हिन्दी थी। अतः राजभाषा बनने के लिए हिन्दी का दावा न्याय मुक्त था।
सन् १९५३ से तो संपूर्ण भारत में यह दिन ‘हिंदी दिवस’ के रूप में मनाया जाने लगा और भारत वासियों को लगने भी लगा था कि
हम सबका अभिमान है हिंदी,
भारत देश की शान है हिंदी॥
धरोहर के रूप में हिन्दी हमारी अपनी भाषा है और हमें इस पर नाज़ होना चाहिए क्योंकि यह सिर्फ़ एक प्रांत की ही नहीं अपितु पूरे देश की आवाज़ है। देश को गौरव एवं गरिमा प्रदान करने वाली भाषा के लिए भारतेंदु हरिश्चंद्र जी ने तो कहा भी है-
निज भाषा उन्नति अहै,
सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के,
मिटत न हिय को सूल॥
मधु गोयल
चंडीगढ़ ऑप्टिकल
गोल मार्केट
कैथल (हरियाणा)
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