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हाथों की लकीर (hand line)
शायद तेरा प्यार नही, मेरे हाथों की लकीर (hand line) मे
सारे जहॉ के दर्द डाल दिये जैसे, रब ने मेरे तक़दीर मे
शायद तेरा प्यार नहीं मेरे हाथों की लकीर मे
चूर होकर मेरे अब सारे अरमान रह गया
ऑखो से ऑसू भी मेरे पानी बहकर बह गया
खो गये जैसे सपने मेरे, अमीरो के इस भीड मे
शायद तेरा प्यार नहीं मेरे हाथों के लकीर मे
प्यार करने से पहले मैने अपना औकात नहीं देखा
तूमसे नहीं मिलता है शायद मेरे हाथों की रेखा
लगता है तडप कर मर जाऊंगा पिरितीया के पीर मे
शायद तेरा प्यार नहीं मेरे हाथों की लकीर मे
गाडी बंगला मोटर कार सौहरत की तूम्हे चाह है
मैं तो हू गरीब मेरे ग़म समून्द-सी यथाह है
कडवाहट-सी लगती है ज़हर है जैसे खीर मे
शायद तेरा प्यार नहीं मेरे हाथों की लकीर मे
मेरे खातिर तुम कभी ना अपनो से दूर जाना
खूशी से जीना ज़िन्दगी हमे सपना समझ कर भूल जाना
आगे बडना पीछे ना मूडना अपने पत्थर रखकर दिल मे
शायद तेरा प्यार नहीं मेरे हाथों की लकीर मे
सारे जहॉ के दर्द डाल दिया रब ने मेरे तक़दीर मे
शायद तेरा प्यार नहीं मेरे हाथों की लकीर मे
मेरे गीतो को अमर कर दो
गाता हू तूम सूनकर मेरे गीतो को अमर कर दो
एक एक मेरे दिल से जो निकले, उस शब्द को तूम अमर कर दो मेरे गीतो को अमर कर दो
जब भी तूम्हे देखता हू, मेरा दिल शायराना हो जाता है
तेरे लिऐ कूछ लिखने को, मेरा दिल मचल जाता है
और ना तूम से कूछ भी मांगू, बस इतनी-सी करम कर दो, मेरे गीतो को अमर कर दो
गीत लिखते-लिखते मेरे, उम्र गुजर गऐ
तूम्हे चाहने के बाद, मेरे सारे बूरे दिन सूधर गऐ
साकार मेरे ज़िन्दगी के, तुम सारे सफ़र कर दो
मेरे गीतो को अमर कर दो
और ना कूछ मॉगूं रब से, तूम्ही तो मेरी सपना हो
तूम ही गीत तूम ही संगीत, तूम ही लेख और रचना हो
बस दिल लगाकर सूनते रहो, इतनी ही रहम कर दो
मेरे गीतों को अमर कर दो
एक एक मेरे दिल से जो निकले, उस शब्द को तूम अमर कर दो
गाता हूँ तूम सूनकर मेरे, गीतों को अमर कर दो
पिता
पाल पोस कर हमे, बडे करते है पिता
कदम से क़दम मिलाकर, हमारे चलते है पिता
बचपन में हमे कभी लाठियों की ज़रूरत नहीं पडे
चट्टान बनकर हमेशा हमारे पास थे खडे
बच्चो के कामयाबी से कभी नहीं जलते है पिता
कदम से क़दम मिलाकर हमारे चलते है पिता
हमे पढाते लिखाते है खूद मेहनत मजदूरी करके
हमारे लिऐ खूशियॉ तलाशती है सारे जहॉ से लड के
बच्चे बदल जाते है लेकिन नहीं बदलते है पिता
कदम से क़दम मिलाकर हमारे चलते है पिता
गम को छूपा कर भी वह तनहाईयों में रोते है
खाना ना दे बच्चे तो वह ऑसू पिकर सोते है
सब कूछ होने पर भी घर से, नही निकलते है पिता
कदम से क़दम मिलाकर हमारे चलते है पिता
माता पिता की महिमा का कोई पार नहीं पाते है
इसी लिऐ नर मूनि देवता भी, पिता को सिश नवाते है
अंतिम समय में भी बच्चो को आसिस देते है पिता
कदम से क़दम मिलाकर हमारे चलते है पिता
पाल पोस कर हमे बडे करते है पिता
कदम से क़दम मिलाकर हमारे चलते है पिता
बरखा रानी
हरा भरा अब करने सब को, आ गई बरखा रानी
आषाण का महिना लगते ही, रिमझिम बरसे पानी
हरा भरा अब करने सब को, आ गई बरखा रानी
सूखे ज़मीन भी अब गीली हो गई।
आसमान भी अब नीली हो गई
अच्छे अच्छे घरों में भी अब छत से टपकता पानी
हरा भरा अब करने सब को, आ गई बरखा रानी
नदी तालाब सब छलकने लगा है।
कोयल मोर भी अब चहकने लगा है
घर पर बैठी दादी मॉ भी अब, कूटने लगी है घानी
हरा भरा अब करने सब को, आ गई बरखा रानी
पेड पौधा भी सारे अब मूस्कूराने लगे है
झूमझूम कर सब नाचने और, गाने लगे है
भौरा भी गूनगूनाते हूऐ अब करने लगी है मनमानी
हरा भरा अब करने सब को आ गई बरखा रानी
सारे जहॉ में गूंज रहा है, किसानो की किलकारी
वैसे हीं पावन निर्मल है, मेरे छत्तीसगढ महतारी
सोंच सोंच कर गीत बरखा के मैं लिख रहा हू बिहारी
हरा भरा अब करने सब को आ गई बरखा रानी
आषाण का महिना लगते हीं, रिमझिम बरसे पानी
हरा भरा अब करने सब को आ गई बरखा रानी
बंधन
सून री बावरी तेरे मेरे, सात जन्मो का बंधन है
मेरे तो हर अन्न धन्न अब तेरे लिऐ ही अर्पण है
सून री बावरी तेरे मेरे सात जन्मों का बंधन है
मेरे सूखी डाली में तूम ने हरियाली भर दिया
तूमने आकर मेरे ऑगन को रौशन कर दिया
तेरे ही नाम का अब मेरे मस्तक पर चंदन है
सून री बावरी तेरे मेरे सात जन्मो का बंधन है
तेरे हीं आने से मेरे दरिद्रता दूर हो गई
गम के अंधेरो को दूर करके सपने नया संजो गई
तूम जैसी लच्छमी को पाकर, मेरे जीवन धन्य-धन्य है
सून री बावरी तेरे मेरे सात जन्मो का बंधन है
तेरी एक हंसी से बस प्रेम की रस टपकती है
मेरे अंधेरे घर भी अब स्वर्ग जैसी लगती है
तेरे साथ तो मिलना जैसे सात नदियों का संगम है
सून री बावरी तेरे मेरे सात जन्मों का बंधन है
कदम से क़दम मिलाकर हमको, जीवन भर यूंही चलना है
चाहे लाखो जीवन में विपत्तियॉ फिर भी नहीं बिखरना है
कदम बढ़ाओ पीछे ना हटो, आपका हार्दिक अभिनंदन है
सून री बावरी तेरे मेरे सात जन्मों का बंधन है
इतनी खूबियॉ है तूझमे, और कितना बतलाऊँ
एक जनम और सात जनम क्या, जनम-जनम तूझे पाऊँ
तूम्हे छोड और किसे देखूं, तूम्हीं तो मेरी दर्पण है
सून री बावरी तेरे मेरे सात जन्मों का बंधन है
मेरे तो हर अन्न धन्न अब तेरे लिऐ ही अर्पण है
सून री बावरी तेरे मेरे सात जन्मों का बंधन है
बिहारी साहू सेलोकर
धारिया पोष्ट पदमावतीपूर छईखदान जिला राजनॉदगॉव छत्तीसगढ
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