भूली बिसरी याद (forgotten memory)
आज यूं ही बच्चों संग बतियाते-बतियाते मुझे अपनी ज़िन्दगी का वह समय याद आ गया और मुझे पुरानी यादों (forgotten memory) में ले गया। बात उन दिनों की है जब मैं आठवीं कक्षा में दूसरे स्कूल में दाखिला लिया। उस स्कूल में मेरे मामा की लड़की पहले से ही पढ़ती थी तो उसने सभी को ख़बर दे रखी थी मेरे आने की।
जब पहले दिन में स्कूल गई तो सभी सहेलियों ने बहुत स्वागत किया स्कूल के मुख्य गेट पर ही मुझे एक अध्यापिका भी मिली मुझे वह बहुत अच्छी लगी। मेरी नई बनी सहेलियाँ मुझे स्कूल और अध्यापकों के बारे में बता रहे थे। लेकिन मैंने ध्यान दिया कि वह हर रोज़ उस मैडम की ही बुराई करते थे। कि वह बहुत गुस्सैल है अच्छी नहीं है।
ना जाने क्यों यह बात मुझे बिल्कुल भी नहीं अच्छी लगती थी दो-तीन दिन बीतने के बाद उस अध्यापिका ने हमें शारीरिक तब्दीलीओं के बारे में भाषण दिया। उस दिन वह मुझे और भी ज़्यादा अच्छी लगने लगी मैंने लड़कियों को समझाने की कोशिश की कि वह अच्छी है। आप उसकी बुराई ना करो लेकिन कोई मेरी बात मानने को तैयार नहीं था।
फिर एक दिन मैंने मैडम के लिए एक ख़त लिखा मैंने लिखा कि आप बहुत प्यारे हो मुझे बहुत अच्छे लगते हो लेकिन एक निवेदन है कि अगर आप अपने सुभाव में थोड़ा-सा बदलाव ले आओ तो सभी बच्चे भी आपको बहुत प्यार करेंगे। जब बच्चे आपकी बुराई करते हैं तो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता है मैंने ख़त लिखने के बाद उसको दो-तीन और कागजों में लपेटकर एक छठी क्लास की बच्ची के द्वारा मैडम तक पहुँचा दिया।
लेकिन मैं बहुत डर चुकी थी उस लड़की ने मुझे सारी छुट्टी के समय बताया कि मैडम ने उसको खोल कर अपने पर्स में डाल लिया। पढ़ा या नहीं पढ़ा बिल्कुल मुझे नहीं पता। आखिरी पीरियड में मैडम ने हमें चाय बनाने के लिए बुला लिया पर मैं बहुत डरी हुई थी उन्होंने कुछ भी नहीं बोला। मैं डर के मारे मैं २ दिन तक स्कूल नहीं गई अध्यापिका ने मेरे साथियों से पूछा तो उन्होंने झूठ बोल दिया कि उसको बुखार है।
दो दिन बाद जब मैं स्कूल गई तब भी मैडम मिली मुझे तो कोई बात नहीं की पर मेरे अंदर एक तड़प थी, एक डर-सा था कि कुछ डांट पड़ेगी। लेकिन मैं तो कर चुकी थी दिल की बात। फिर मैडम ने मुझे अपने पास बुलाया, पूछा तबीयत कैसी है, मैंने कहा मैं अच्छी हूँ तो उन्होंने मुझे एक दवाई का पत्ता दे दिया बोला इसको खा लेना तो ठीक हो जाएगी। मेरे मन में डर था धन्यवाद बोला और घर को चल पड़ी।
मैडम रस्ते में स्कूटी पर आ रही थी मुझे अपने साथ बैठा लिया लेकिन हमारी कोई बात नहीं हुई। उस दिन के बाद मुझे हर पल अपने पास रखना चाहती थी। कम ही पीरियड होते कि मैं क्लास में होती, मैडम के साथ ही होती। स्कूल से छुट्टी होती तो मैडम मुझे घर से फ़ोन करके बुला लेती। बहुत प्यार करती थी। पर हमें कोई बात नहीं होती थी मैडम की बेटी भी मेरी उम्र की थी पर वह मुझे शायद उससे भी ज़्यादा प्यार करने लगे।
क्या वज़ह थी वह आज तक समझ नहीं आई। ना ही मुझे उस ख़त का जवाब मिला पर मैं अध्यापिका के स्वभाव में बहुत बदलाव आ गया था सभी बच्चे उसे बहुत प्यार करने लगे वह भी सभी को डांटती थी पर बाद में प्यार से समझा भी देती थी। मेरे बर्थडे पर एक पेन भी दिया मुझे बारहवी के बाद जब मैं स्कूल छोड़ने लगी तब भी एक मुझे उपहार में दिया लेकिन मैं आज तक भी उसके जवाब में ढूँढती हूँ।
बहुत सालों तक मैं मैम को नहीं मिल पाई फिर मेरी शादी हो गई। शादी के बाद बहुत सालों बाद में मैं उसको एक बार मिली थी नंबर भी लिया था एक बार बात हुई पर उसके बाद फ़ोन से नंबर गुम हो जाने के कारण उनसे कभी बात नहीं हुई पर आज तक इंतज़ार है मुझे उसका कि वह मुझे कहीं कि हाँ तूने वह सब सही लिखा था आज २०-२५ सालों की वह भूले बिसरे से वह पल आज फिर मेरी ज़िन्दगी में एक बार बहार बन के आ गए।
प्रभजोत कौर
मोहाली
यह भी पढ़ें-
२- आज की युवा पीढ़ी और आत्महत्या
2 thoughts on “भूली बिसरी याद (forgotten memory)”