अंतिम निर्णय (Final judgment)
अंतिम निर्णय (Final judgment) : नेहा जैन
मुझे आज भी याद है वह बैचैनी भरा थका देने वाला सफ़र। मैने बीटीसी पूरी और TET क्वालिफाइड की ही थी कि मेरी शादी हो गई मेरी तभी शिक्षक भर्ती के लिए काउंसलिंग की तारीख़ आगई। मैं उत्तर प्रदेश से हूँ पर मेरी शादी गुजरात के सूरत में हुई जब पापा ने फ़ोन पर मुझे यह बताया तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना न रहा मुझे ख़ुद के पंख मिल गए पर मैं घायल पक्षी की तरह सहसा ज़मीन पर आ गई मेरे सुसराल वालो ने नौकरी करने से मना कर दिया फिर शुरू हुआ एक अंतर्द्वंद्व जिसमें जीतभी मेरी थी हार भी मेरी निर्णय भी मेरा पर हालात प्रतिकूल थे मैं बहुत दवाब में थी।
एक तरफ़ माता पिता की दी हुई शिक्षा जो आज मेरा पारितोष बन कर आई थी दूसरी तरफ़ नया जीवन नए रिश्ते। हाथों की मेहंदी अभी फीकी नहीं पड़ी थीं अपने जीवन साथी का प्यार किसे चुनूँ आखिर। अपने पैरों ओर खड़ा होना या अपने जायज़ सपनों को पूरा करना ग़लत तो नहीं है फिर मैं क्यों उनसे मुँह मोड़ लूं फिर वह सात फेरे जो मैंने लिए वह वचन अपने पति की हर वात मानने का उनकी तिलांजलि दे दू सही रहेगा ये कुछभी समझ नहीं आरहा था किसको चुनूँ दिल की बात सुनु या दिमाग़ की राय मानू कुछ लोग बोल रहे थे एक बार नौकरी हाथ में ले लो फिर पति तो आ ही जाएगा जब सरकारी तनख्वाह देखेगा तो सब ठीक हो जाएगा।
मुझे पैसों का कोई मोह नहीं था रिश्तों को खोने का डर ज़्यादा था उस पर अपने माता पिता की ख़्वाहिश कि मैं टीचर बनू रिश्तेदार भी अपने-अपने तर्क रख रहे थे कोई कहता पति को हाथ में ले लो और नौकरी मत जाने दो कोई कहता सरकारी नौकरी से बड़ा कुछ नहीं होता कितने दिन रूठेंगे सुसराल वाले बहुत रोई मैं चक्कर आते थे सोच-सोच कर अचानक जीवन इतना क्रूर कैसे हो गया सोचने का ज़्यादा समय नहीं बचा था।
अंततः मैंने निर्णय ले लिया मैंने अपने जीवन साथी के साथ ही जीवन को साकार रूप में देखा मैं दुनियाँ की तरह छल नहीं कर पाई शुद्ध रूप से सुसराल की प्रतिष्ठा को ही अपना सर्वस्व माना इक राहत की सांस ली लंबी मानसिक थकान के बाद पर माता पिता ख़ुश नहीं थे आठ महीने बाद अचानक पापा का फ़ोन आया मेरे सुसराल बोले कि आखरी मौका है फिर कॉउंसलिंग है उसके बात TET परीक्षा की वेलिडिटी समाप्त हो जाएगी वह बोले एक बार फिर सोच लो मैने ठीक है कहकर फ़ोन रख दिया। यह बात मैंने अपने पतिदेव को बताई वह बोले सामान पैक करो मैं स्तब्द्ध थी क्या-क्या इतना है बोल पाई तब उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर कहा बहुत कर लिया त्याग अब मेरी बारी है तुमने मेरे लिए अपने सपनो को तोड़ दिया यह बोझ मुझे जीने नहीं देता अब पति का फ़र्ज़ मैं निभाउंगा सारे डॉक्युमेंट रख लो मैं अपने माता पिता को समझा लूंगा अब बस और नहीं मैं तुम्हें और खोते हुए नहीं देख सकता हम सूरत से मेरे मायके जहाँ ललितपुर में मेरी कॉउंसलिंग थी वहाँ आया गए मेरा चयन हो गया नियुक्ति के काग़ज़ मेरे हाथ में थे।
आज मेरे दोनों हाथ भरे हुए थे साजन और सपने दोनों मेरे हो चुके थे सात आठ महीने बाद ससुर जी का फ़ोन आया आशीर्वाद दिया जीवन में जैसे अचानक बहार आ गई अब सब ख़ुश थे मैंने धर्म को चुना था जिसने मुझे सही रास्ता दिखाते हुए मेरी शिक्षा और वैवाहिक जीवन दोनों को सुरक्षित करने के साथ ही मुझे नई ऊर्जा दी।
आज मेरी नौकरी को पांच साल हो गए मुझे नवाचारी शिक्षिका का दो बार सम्मान प्राप्त हो चुका है साथ ही टूटे फूटे पुराने सामानों से शिक्षण अधिगम सामग्री के द्वारा पढ़ाने के प्रदर्शन के लिए उत्तर प्रदेश से मेरा चयन हुआ आज मेरे सुसराल वाले मुझ पर गर्व करते हैं। यही मेरे जीवन का एक ऐसा संस्मरण था जो मैं कभी नहीं भूल सकती। मेरे एक निर्णय ने मुझे सब कुछ दे दिया। तनावग्रस्त समय आज ख़ुशनुमा ज़िन्दगी में बदल गया।
नेहा जैन
ललितपुर
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