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दीपावली आयी है (Diwali is here)
दीपो का दिवाली (Diwali) आयी है,
दीप जगमगाते दिवाली आयी है,
मीठे मीठे मिष्ठान लेकर आयी है,
लाल, पीले, हरे, नारंगी लेकर आयी है,
धरती के मिट्टी से दीप जलाएंगे,
दुनिया में प्रेम का मिलन कराएंगे,
चक-मक दीपों का त्यौहार आयी है,
दीपों का पर्व दीपावली आयी है,
फुलझड़ी, अनार, चिटपुटीया का पर्व आयी है,
मोमबत्ती, रंग बिरंगे मिठाइयों का पर्व आयी है,
आपस में मिलकर धर्म-जाति का पर्व आयी है,
दीपो से दुनिया का उजाले करने का पर्व आयी है,
बम-बारूद पटाखे से,
विषाणुओं को समाप्त करने का त्यौहार आयी है,
मनुष्यों का अस्तित्व बचाने का त्यौहार आयी है,
दुनिया में रोशनी, उजाले करने का पर्व आयी है,
हिंसा पर अहिंसा से,
विजय दिवस मनाने का त्यौहार आयी है,
अशांति पर शांतिपूर्ण तरीके से जीतने का पर्व आयी है,
दीपों का पर्व दीपावली आयी है!
गुरु जीवन है
विश्व में सबसे पहले पूजें जाते है गुरु,
विश्व में सबसे महान होते है गुरु,
गुरु बिन ज्ञान कि कल्पना नहीं कि जाती,
गुरु बिन मानवता का कोई अस्तित्व नहीं होता,
गुरु हमें ज्ञान कि शिक्षा, दीक्षा देते है,
गुरु हमारे सपनों को हमेशा साकार करते है,
जीवन के सबसे पहले गुरु माँ-बाप होते है,
जीवन के सबसे पहली पाठशाला हमारी घर होती है,
सबके लिए गुरुओं कि ज़रूरत होती है,
भले शिक्षा हो या कला, खेल, अभिनय,
गुरु बिन कुछ नहीं है सकारमय,
गुरु बिन जीवन है अंधकारमय,
गुरु बिन जीवन है अशिक्षित,
गुरु बिन जीवन है पशुओं के समान,
जहाँ गुरु नहीं होते वहाँ बुद्धि नहीं होती,
जहाँ गुरु नहीं होते वह जगह जंगल के समान है,
गुरु से ज्ञान कि उत्पति होती है,
ज्ञान से विज्ञान, साहित्य, कला, अभिनय,
समाजिक रहन सहन कि उत्पति होती है,
गुरु बिन जीवन का अस्तित्व ही क्या है,
गुरु है तो दुनिया है, दुनिया है तो,
संसार है और संसार है तो ज्ञान का भंडार है!
जिंदगी एक अनबूझ कहानी तो है
जिंदगी एक अनबुझ कहानी तो है,
कोई समझे या ना नहीं समझे तो,
जन्म और मृत्यु की ये कहानी तो है,
कोई पागल यही नहीं समझे तो,
प्यार की ये अनबुझ कहानी तो है,
कोई मानें या ना नहीं मानें तो,
बचपन, जवानी, बुढ़ापे तो है,
कोई जाने या ना नहीं जाने तो,
खेल, पढ़ाई और जॉब की रवानी तो है,
कोई निभाये या ना निभाये तो है,
प्यार और धोखा की ये रुबानी तो है,
कोई विश्वास करे या ना नहीं करे तो,
गाँव, शहर और नगरों का ये अंतर नहीं,
अपनी जीवनशैली बदलने से क्या फायदा,
गीत, ग़ज़ल और कविता में वह बात नहीं,
जो आध्यात्मिक भजनों में मिलती हमें,
मनुष्य, जीव-जंतु और पेड़-पौधे एक ही है,
फिर सबको मसलने से क्या फायदा,
जाति धर्म, रंग-भेद और खान-पान से मतलब नहीं,
फिर सबसे दुश्मनी करने से क्या फायदा,
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सबका खून एक ही है,
फिर आपस में लड़ने से क्या फायदा,
देश दुनिया सभी एक ही ईश्वर की देन है,
फिर देश दुनिया में फ़र्क़ करने से क्या फायदा,
राम, रहीम, यीशु मसीह और गुरुनानक में अंतर नहीं,
फिर आपस में झगड़ने से क्या फायदा,
जिंदगी और मौत में कोई अंतर नहीं,
फिर सुख में ख़ुशी और दुख में रोने का क्या फायदा,
बेटी और बेटों में कोई अंतर नहीं,
फिर बेटियों से नफ़रत करने से क्या फायदा,
फुल और कलियों में कोई अंतर नहीं,
फिर कलियों को तोड़ने से क्या फायदा!
पिता क्या है?
जीवन की अभिकल्पना है पिता,
जीवन की सम्बल, शक्ति है पिता,
जीवन की सृष्टि में निर्माण की अभिव्यक्ति है पिता,
जीवन के हर पलों की यादाश्त है पिता!
जीवन में अँगुली पकड़े बच्चे का सहारा है पिता,
जीवन में कभी कुछ खट्टा कभी खारा है पिता,
जीवन की पालना, सहारा है पिता,
जीवन की पोषण, रक्षा है पिता!
जीवन में रोटी है, कपड़ा है, मकान है पिता,
जीवन में परिवार का अनुशासन है पिता,
जीवन में धौंस से चलना वाला प्रेम का प्रशासन है पिता,
जीवन में छोटे से परिंदे का बड़ा आसमान है पिता!
जीवन में अप्रदर्शित-अनंत प्यार है पिता,
जीवन में बच्चों का इंतज़ार है पिता,
जीवन में बच्चों के ढेर सारे सपने है पिता,
जीवन में बाज़ार के सब खिलौने अपने हैं पिता!
जीवन में परिवार में राग-अनुराग है पिता,
जीवन में माँ की बिंदी और सुहाग है पिता,
जीवन में परमात्मा है पिता,
जीवन में गृहस्थ आश्रम में उच्च स्थिति की भक्ति है पिता!
जीवन में एक जीवन को जीवन का दान है पिता,
जीवन में दुनिया दिखाने का एहसान है पिता,
जीवन में सभी कठिनाइयों को निकालने का सहारा है पिता,
जीवन में गले का हार है पिता!
जीवन में सभी दुखों को हरने वाले है पिता,
जीवन के दर्दों की दवा है पिता,
जीवन में दिन की सूर्य और रात की रोशनी है पिता,
जीवन में पिता नहीं तो बचपन अनाथ है!
जीवन में जीवन की ज्योति है पिता,
जीवन में पिता से बड़ा कोई अपना नहीं,
पिता है तो जीवन कृतार्थ है,
पिता एक पेड़ की छावं होते है!
पिता जीवन की नाव होते है,
पिता जीवन की मतझार होते है,
पिता बिन जीवन है अधूरा,
खाली-खाली, सुना-सुना!
आज का भारत
जहाँ कभी पुष्प वाटिका हुआ करती थी,
वहाँ आज लाशों का अंबार लगा हुआ है,
जो ज़मीन कभी सोने की चिड़िया होती थी,
वहाँ आज लाशों का विछावन बिछा है,
जो कभी विश्व का भाग्य विधाता हुआ करता था,
वो आज भिखारी बना घुमाता है,
जहाँ कभी मंदिरो में मेले लगते थे,
आज वहाँ शमशानों पर मेले लगते है,
जहाँ कभी सभी धर्मो का सम्मान हुआ करता था,
आज वहाँ धार्मिक कट्टरता हुआ करती है,
जो कभी साधु-संतों की नगरी हुआ करती थी,
आज वहाँ आज बाज़ार बना बैठा है,
जहाँ कभी ईमानदारी की आवाजें गूँजती थी,
आज वहाँ बेईमानों का अड्डा हुआ करता है,
जहाँ के ज्ञान व विज्ञान की कभी विश्व पूजा करता था,
आज वहा अज्ञानता का पर्याय बना बैठा है,
जहाँ कभी दानी ज्ञानी महाराजाओं का राज हुआ करता था,
आज वहाँ अनपढ़ बेईमानों का राज हुआ करता है,
जहाँ कभी शिक्षित-विद्वान ही गुरु हुआ करते थे,
आज वहाँ चोरी के नम्बरों पर शिक्षक ज्ञानदाता बन बैठे है,
जहाँ कभी सत्य और अहिंसा की पूजा होती थी,
आज वहाँ असत्य और हिंसा का बोलबाला हुआ करता है,
जहाँ कभी राम, रहीम, बुद्ध, गाँधी आजाद का आदर होता था,
वहाँ आज हिंसावादी नेताओं, आतंकवादियों की पूजा होती है,
जहाँ की मिट्टी में सिर्फ़ शांति का वास था,
वहाँ की अब मिट्टी में खून, अशांति का घर है,
जहाँ कभी स्त्रियों को देवी का रूप माना जता था,
वहाँ अब स्त्रियों पर अत्यचार, हिंसा हुआ करता है,
जहाँ सुकून भरी ठंडी हवाएँ गुजरती थीं खूबसूरत वादियों से,
आज वहाँ साँस लेना दुष्कर है,
जहाँ कभी सूरज की पहली रोशनी से सवेरा होता था,
वहाँ आज सूरज की अंतिम रोशनी से सवेरा होता है,
जहाँ कभी नेताओं के सिर पर खादी की टोपी होती थी,
वहाँ आज नेताओं के सिर पर भ्रष्टाचार की टोपी है,
जहाँ पर कभी नदियाँ माँ सम मानी जाती थीं,
आज उनमें लाशों की नावें चल रही है,
भारत जो कभी विश्व में ज्ञान का सागर कहा जाता था,
वही भारत आज अज्ञानी कहा जाता है,
जहाँ कभी यमुना, गंगा, सरस्वती की आरती होती थी,
आज वहाँ लाशों की आहुतियाँ होती है,
जिस भारत को कभी जगत का बगीचा कहा जाता था,
आज वहाँ ऑक्सिजन की कमी हो गई है,
ऐसा क्यों?
यह जो आज का भारत है, ऐसा क्यों है?
जाग्रत हो हे भारतवासी… !
मैं क्या करूँ
मै क्या करूँ,
समझ नहीं पा रहा हूँ,
आखिर क्यों मैं इतना सोचता हू,
मै इतना जीवन के सपने देखता था,
मै क्यों इतना पागल होता हूँ,
दिल में हमेशा दर्दो का महफिल लगा होता है,
आंखों में हमेशा आंसू भरा रहता है,
आखिर क्यों ऐसा मेरे साथ ही होता है,
जब भी अकेला होता हूँ,
आंखों में पानी भर जाता है,
दिल करता है,
मै स्वयं को समाप्त कर लू,
ऐसा क्यों होता है,
शायद मेरी ज़िन्दगी की आखिरी शब्द हो,
या शायद मैं ही आखिरी हू,
अब इस दर्द से मुझे रहा नहीं जा रहा है,
आखिर क्यों मैं अलग महसूस करता हू,
स्वयं को मैं डिप्रेशन में महसूस कर रहा हूँ,
कुछ सोच नहीं पाता हू,
दुनिया की दुनियादारी,
समाज की मजबुरी,
मुझे ना जीने देती है ना मरने देती है,
मै क्या करूँ,
कोई बताए मुझे,
या आत्म को स्वयं में लिप्त कर दू,
मुझे इस नश्वर दुनिया में,
सिर्फ अशांति ही अशांति,
जी करता है जोगी ही बन जाऊँ,
मुझे अब दुनिया से रिश्ते-नाते,
सभी अनसुलझा लगता है,
ना अब आत्मविश्वास बच पाया,
और ना अब अपनी लालसा,
मै क्या करूँ!
भगवान शिव
जहाँ सारा दुनिया जिसकी शरण में,
नमन है उस भगवान शिव के चरण में,
हम बने उस महाकाल के चरणों की धूल,
आओ हम-सब मिल कर चढ़ाये उनके चरणों में श्रद्धा के फूल!
महाकाल की हमेशा बनी रहे मुझ पर छाया,
पलट दे मेरी क़िस्मत की काया,
मिले मुझको सब कुछ इस दुनिया में हमेशा,
जो कभी किसी को न मिल पाया इस जीवन में!
महाकाल जब आएंगे मेरे द्वार,
मेरे जीवन के गोद में भर देंगे सारी खुशियाँ,
कभी रहे न जीवन में मेरे दुखः-दर्द,
मेरे चारों तरफ़ हमेशा हो जाए सुख ही सुख!
प्रभु शिव का नारा लगा कर हम,
सारी दुनिया में हो गए हैं प्यारे-न्यारे,
मेरे दुश्मन भी मुझसे बार-बार बोले,
मेरे प्यारे भगवान महाकाल के भक्त हो गए हो तुम सबसे न्यारे!
होली आई रे
होली आई रे आई रे होली आई रे,
जीवन को रंगों से रंगायी रे,
मन में पुलकित पंख लगायी रे,
लाल हरा रंग रंगाई रे!
होली आई रे आई रे होली आई रे,
मन तन के दिल में आग लगायी रे,
जीवन को मदहोश करायी रे,
मन में बसंत बहार लायी रे!
होली आई रे आई रे होली आई रे,
जीवन को सातों रंगों से रंग में मिलाई रे,
प्यार और भाईचारे का नदियाँ बहाई रे,
हिंदू-मुस्लिम का भेदभाव मिटायी रे!
होली आई रे आई रे होली आई रे,
रिश्ते नाते को एक डोरे में बाधि रे,
मंदिर मस्जिद को अपनाई रे,
दिल में दुनिया-जहान को समाई रे!
होली आई रे आई रे होली आई रे!
नया साल नया दौर
जीवन के रंग में खुशियों के संग में,
सुबह की लाली, घटा शाम की तन्हाई में,
हरे-भरे पेड़ों पर, चिड़िया चहकती रहें,
खेत-खलिहानों में, फसल लहलहाती रहे,
नयी रोशनी में, नये जीवन की शुरुआत हो,
सबको जीने की नई दिशा, नयी राह मिले।
गाँव में खुशियों की, नयी सौगात हो,
सबको अपनी अभिव्यक्तियों का नया संसार मिले।
मन मस्तिक में नव दुनिया की स्वागत की आशायें हो,
जीवन में नये उद्देश्यों की लौ जले,
प्रेम की ज्योति जले खुशबुओं की महक उठे,
विज्ञान, तकनीकी, साहित्य की ज्वाला और जले,
दुनिया में कला, नृत्य, लोक नृत्य का विकास हो,
सभ्यता और संस्कृति का नया आयाम मिले,
दुनियाँ में सभी का सभी से भाईचारे का सम्बंध हो,
ना झगड़ा ना झंझट, न हाथापाई का वास हो,
राहों-राहों में दिल और प्यार का मिलन हो,
जाति धर्म को मिटाकर सबकी धड़कनो की आवाज़ बनों,
ऐसी हो नये साल की शुरुआत ऐसा नया साल हो,
नये साल में नया दौर की जज़्बात हो!
बहुत याद आता है
तुम्हारा मुझे एक टक निहारना
मुझें बहुत याद आता है,
तुम्हारा दुपट्टे में मुँह छिपा कर मुस्कुराना,
मुझें बहुत याद आता है,
नित्य नये-नये ख़त लिख कर देना,
मुझें बहुत याद आता है,
ऊपर से गुस्सा होना और भीतर ही भीतर
मुझें दिल से मानना,
मुझें बहुत याद आता है,
तुम्हारा मुझपर अपना हक़ जमाना,
मुझें बहुत याद आता है,
मुझसे रूठना, बातें ना करना लेकिन
मेरी खुशियों की दुआ करना,
मुझें बहुत याद आता है,
छुप-छुप कर मेरा स्टेटस देख मुझे याद करना,
मुझें बहुत याद आता है,
मेरी छोटी-छोटी बातों पर मुझसे झगड़ा करना,
मुझें बहुत याद आता है,
मेरी धड़कनों को अपना एहसास बनाना,
मुझें बहुत याद आता है,
मेरी हर एक रचना को दिल से पढ़ना,
मुझें बहुत याद आता है,
तुम्हें अपने प्यारे सूट में देखना,
मुझें बहुत याद आता है,
तुम्हारे अधरों का रक्तिम लिपस्टिक,
मुझें बहुत याद आता है,
कभी-कभी मेरी बातों पर रूठ कर रोना,
मुझें बहुत याद आता है,
याद आती है मुझें,
तुम्हारी हर वह अदा,
जो तुम्हें पसंद हो
और…
तुम्हें जो नापसंद हो,
वो भी मुझें,
बहुत याद आता है!
माखन के चोर
माखन के चोर,
गोपियों की नैनो के मोर,
तूने कैसा खेल किया,
दुनिया सारी तुम्हारे है ओर,
मीरा तुम्हारी दीवानी,
राधा तुम्हारी दीवानी,
दुनिया तुम्हारे दीवाने,
तेरे हाथों युग बना घनगोर,
कहीं जन्मा तू,
कहीं पला तू,
कहीं खेला तू,
कहीं रहा तू,
तेरे रूप अनेक,
तेरे रंग अनेक,
किसी के दिल में तू,
किसी के सांसो में तू,
तू दुनिया के पालन हारी,
तू दुनिया के सबके दुलारे,
तू है तो दुनिया है,
तू है तो हम है!
यादें जीवन की
अभिनेता सुशांत सिंह की आत्महत्या पर
इतनी-सी क्या देर हो गई तुझे,
तुम्हें आए कितना दिन हुआ,
ऐसे कोई थोड़े जाता है भला क्या,
ये ज़िन्दगी कोई खेल थोड़े है,
चौतीस यैवन देख चुके तुम,
क्या इतना ही ज़्यादा हो गई,
इस छोटी-सी ज़िन्दगी में,
जीवन क्यों मजबूर हूई,
अभी सारा जीवन बाक़ी था,
शुरुआत तो अब हुई थी,
दूसरे की हौसला देने वाले,
स्वयं क्यूँ तू हार गए तुम,
इस नश्वर दुनिया में तुम,
मौत को क्यूँ दोस्त बना लिए तुम,
अभी और अधियारा आता भी,
इतनें में क्यूँ हार गए तुम,
जीने का सलीक़ा सिखाने वाले,
स्वयं सलीक़ा भुल गए तुम,
युवा जीवन के पायदान पर चढ़ते,
दुनिया से क्यूँ रूठ गए तुम,
सबके चेहरे पर हँसी लाने वाले,
स्वयं डिप्रेशन में चले गए तुम,
इस बेखुदी दुनिया में,
जीवन से हार गए तुम!
मैं भारत माँ का बेटा हूँ
मै भारत माँ का बेटा हूँ,
भारत माँ मेरी माता है,
भारत माँ का लाल हूँ,
भारत माँ का सोना हूँ,
मै भारत माँ का बेटा हूँ,
भारत माँ मेरी आँशु है,
भारत माँ की छांव में,
हर दिन सुकून पाता हूँ,
मै माँ का बेटा हूँ,
भारती की मैं आशियाने में,
हर दिन-रात भटकता हूँ,
भारत माँ आन-बान-शान है मेरी,
मै भारत माँ का बेटा हूँ,
भारत माँ को पुजता हु मैं,
भारत माँ की राह चलता हूँ मैं,
भारत माँ आरजू है मेरी,
मै भारत माँ का बेटा हूँ,
मेरी भारत माँ विश्व की सिरमौर है,
जिसे सारी दुनिया में पूजा जाता,
जहाँ राम की पूजा होती,
सभी अल्लाह को पुकारते है,
गुरुनानक देव जन्म लिए,
मै भारत माँ का बेटा हूँ,
जहाँ जैन धर्म की उत्पति हुई,
महावीर यहाँ पैदा हुये,
बुद्ध ये जन्म भूमि हुई,
मै भारत माँ का बेटा हूँ,
जहाँ रफी साहब राम का गीत सुनाते,
प्रेमचंद्र बच्चो को ईदगाह सुनाते,
कितनी प्यारी हमारी भूमि,
मै भारत माँ का बेटा हूँ,
जहाँ ज्ञान का उदभव हुआ,
विश्व में शान्ति का पाठ पढाया,
जहाँ आर्यभट्ट, भास्कर का जन्म हुआ,
मै भारत माँ का बेटा हूँ!
माँ
“माँ” शब्द शायद संसार में,
सबसे प्यारा शब्द है,
सबसे न्यारा शब्द हैं!
इस एक शब्द के पीछे,
सृष्टि का समस्त रहस्य,
छिपा हैं!
मां शब्द पूर्ण गहन हैं,
विशद हैं अर्थवान शब्द हैं!
माँ जननी हैं, वात्सल्यमयी हैं,
करूणामयी हैं, शक्ति हैं,
पृथ्वी की कठोरता हैं,
गंगा की पवित्रता हैं,
सौन्दर्यमयी हैं,
प्रेम ही प्रेम हैं!
कहते हैं,
देवताओं और दानवोंने मिलकर,
समुन्द्र को मथा था,
और उसमें से अमृत,
निकला था!
इस धरती पर रहने वाले,
अमृत को नहीं जानते,
और न ही उसकी मिठास,
को नहीं जानते हैं!
लेकिन धरती के पास,
अमृत से बढ़कर कुछ है,
तो वह हैं, “माँ” !
हमलोगों ने तो ईश्वर को तो नहीं देखा,
लेकिन ईश्वरीय उपहार का छोटा-सा नाम हैं “माँ”
मेरा सपना सच हो जाये
काश मेरा सपना सच हो जायें,
जीवन के बहुमुल्य समय सत्य हो जायें,
सबको अपना लक्ष्य प्राप्त हो जायें,
मन को छू लेने वाली कोई बात हो जायें,
काश मेरा सपना सच हो जायें,
विज्ञान की प्रगति से दुनिया को आलोकित किया जायें,
भौतिकी, रसायन, जीव की जीवनदान मिल जायें,
मनुष्यों में जग-ज्योत जलाया जायें,
काश मेरा सपना सच हो जायें,
साहित्य से समाज का ज्योत जलाया जायें,
राजनीतिक की स्तंभ को रोशनी दिखाया जायें,
जीवन के दृव्य-दृष्टि को नई पहचान दिलाया जायें,
काश मेरा सपना सच हो जायें,
मौत के मुह से कैसे बचा जायें,
साँसो के साँस से कैसे बचा जायें,
नवजीवन को नव नवल नई नयन मिला जायें,
काश मेरा सपना सच हो जायें,
जीवन में प्यार को प्यार मिला जायें,
आँखो से ओझल होकर दुनिया मिला जायें,
आरजू-गुस्त्जू से याद मिला जायें,
काश मेरा सपना सच हो जायें,
जीवन में गणितीय अनुपात को मिला जायें,
खगोलीय विज्ञान की खोज किया जायें,
जिससे मंगलयान, चंद्रयान की नई युग बदला जायें,
काश मेरा सपना सच हो जायें,
जीवन में ज्योतिषी विज्ञान का रँग लाया जायें,
देश दुनिया की भविष्य का पता लगाया जायें,
अपनी पुरानी संस्कृति को विश्व में फैलाया जायें,
काश मेरा सपना सच हो जायें,
भारत देश में डॉक्टर, इन्जीनियर की उपज बढ़ाया जायें,
विश्व में भारत का मस्तक ऊँचा हो जायें,
वर्तमान एवं भविष्य का सपना सजाया जायें,
काश मेरा सपना सच हो जायें,
वैज्ञानिकों से विश्व में भारत का नाम रोशन हो जायें,
इसरो, डी.आर.डी.ओ से विश्व को पीछे किया जायें,
पूरे विश्व के ज़ुबान पर भारत से डरना सिखाया जायें,
काश मेरा सपना सच हो जायें!
नव वर्ष के नए रूप में
नव वर्ष में, नव रूप में,
नव नवल में, नव कमल में,
नव रंग में, नव तरंग में,
नव उदय में, नव राग में,
नव गीत में, नव प्रीत में,
नव उमंग में, नव उज्ज्वल में,
नव नभ में, नव सूर्य में,
नव रीति में, नव नीति में,
नव जीत में, नव प्रवाह में,
नव दिशा में, नव दर्पण में,
नव ज्योति मे, नव पूजा में,
नव देश में, नव काल में,
नव साल में, नव चेतन में,
नव गीत में, नव छंद में,
नव कविता में, नव कहानी में,
नव जीवन में, नव प्रसंग में,
नव स्नेह में, नव प्रेम में,
नव शब्द में, नव ज्ञान में,
नव संगीत में, नव ताल में,
नव उम्मीद में, नव सौगात में,
नव आश में, नव साँस में,
नव अवसर में, नव चाह में,
नव स्फूर्ति में, नव थकावट में,
नव पथ में, नव पहचान में,
नव धर्म में, नव जात में,
नव सोच में, नव संकल्प में,
नव नूतन वर्ष में, नव उपहार मे,
नव सुबह में, छांव में,
नव वर्ष की, नव क्षण में,
नव रोशनी की, नव उल्लास में,
नव मन हर्षित हुआ, नव तन हर्सित हुआ,
नव वर्ष में नव जीवन मिला,
नव नवनीत में, नव नूतन हुआ,
नववर्ष में दिल, नव झिलमिल हुआ,
नव आराधना से, नव गान में,
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामना!
रुपेश कुमार
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