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देश हित में (deshhit mein)
देश हित में (deshhit mein)
देश हित में प्राण अपने जो करे बलिदान है।
पूज लें शत्-शत् नमन कर राष्ट्र का सम्मान है।
शीत वर्षा ग्रीष्म में रहते सदा पथ पर खड़े।
दुश्मनों के प्राण हरने की वहाँ ज़िद पर अड़े।
भूलकर परिवार अपना देश की खातिर लड़े।
वीरता साहस भरा उर हौंसला लेकर उड़े।
देश का गौरव हमेशा देश का अभिमान है।
पूज लें शत्-शत् …
चीरकर छाती लहू से आज कर लो स्नान तुम।
सिंह की सेना खड़ी है लक्ष्य का अवधान तुम।
रक्त की है प्यास तेरे देख दुश्मन हौंसला।
आँख उठने ही न दें हथियार से लिख फैसला॥
नाम दिल पर है वतन का और जुबां पर गान है।
पूज लें शत्-शत् नमन् …
ले खड्ग चंडी बनी अब देश की ये बेटियाँ।
रूढ़ियों को चूड़ियों को दूर फेंकी बेड़ियाँ।
खून से खप्पर भरेंगी तोड़ती हर वर्जना।
वीरता की लिख कहानी आज की वीरांगना।
भारती के भाल की अद्भुत निराली आन है।
पूज लें शत्-शत् नमन् …
माँ बहन पत्नी व बेटी लाल टीका दे विदा।
है सुरक्षा भी ज़रूरी इनकी रक्षा कर खुदा।
स्वप्न टूटें आँख में ही, जो बुने थे बाप ने।
हाँ हुए किस्से वह सच्चे, जो सुनें हैं आपने।
फिर तिरंगे में है लिपटी देश की ये शान है।
पूज लें शत्-शत् …
शिकारी कुछ यहाँ ऐसे
शिकारी कुछ यहाँ ऐसे, चमन को छीन लेते हैं।
जरा-सी दें धरा तुमको, गगन को छीन लेते हैं।
करें उपकार वे तुम पर, सदा ही ये जताते बस।
सभी कुछ है किया हमने, मज़े से ये बताते बस।
खुदी ख़ुद में सदा खुश हों, करें चिन्ता न औरों की।
जहाँ में कुछ हो कम ज़्यादा, न शेख़ी कम छिछोरों की।
बना कर घर तुम्हें देंगे, वतन को छीन लेते हैं।
जरा-सी दे धरा…
हितैषी हैं वही सबसे, प्रदर्शन काम है इनका।
उजाले वस्त्र हैं धारण, कलुषता नाम है इनका।
सदा मुख पर मुखौटा है, न मन का भेद देते ये।
मधुरता है दिखाते पर, बदन को छेद देते ये।
हवा में खुशबुएँ देकर, सुमन को छीन लेते हैं।
जरा-सी दें धरा…
कभी विपदा घड़ी आती, बनेंगे मीत जैसे ही।
छुड़ाकर हाथ चल देते, जगत की रीत जैसे ही।
तुम्हारे हैं तुम्हारे हैं, करें विश्वास को छलनी।
उषा निश्चित सुहानी हो, दुखो की शाम है ढलनी
पलों को चैन देकर के, अमन को छीन लेते हैं॥
जरा-सी दें धरा तुमको …
जहाँ पर स्वार्थ हो इनका, वहाँ मीठे हों शक्कर से।
बचो तुम दूर ही रहना, अनोखे गोल चक्कर से।
दिखाने को सदा ही ये, शहद से ये चिपकते हैं।
जरा मतलब निकल जाता, बड़े चुपके खिसकते हैं।
लगाकर पेड़ छाया में, पवन को छीन लेते है।
जरा-सी दें धरा तुमको …
पलटनी हो कहीं सत्ता, समर्थन छीन लेते हैं।
जरा-सी दें धरा तुमको …
राम मय गीत
एक ही राम हैं एक ही श्याम हैं, एक दोनों रहें मित्र विश्वास कर।
प्राण प्रत्येक में जीव में वृक्ष में, वासते राम ही राम आभास कर।
राम ही कामना राम ही प्रार्थना, राम हैं साधना राम आराधना।
राम संवेग हैं राम संवेदना, राम संभावना राम ही वंदना॥
राम को चित्त में है बसाया सदा, कल्पना भी नहीं राम जी के बिना।
राम ही शब्द हैं राम ही अर्थ हैं, ये सभी व्यर्थ हैं राम जी के बिना॥
राम पीड़ा हरें राम संजीवनी, राम संभावना राम से आस कर।
भक्ति भी राम हैं शक्ति भी राम हैं, दूर हो ये अहम् राम को पास कर॥
राम सीता कहो राम ही जानकी, राम ही राम हैं रोम में व्योम में।
राम ही अग्नि हैं वायु भी राम हैं, राम भूलोक में राम ही सोम में।
राम आलोक हैं, दीप भी राम ही, शून्यता राम हैं पूर्णता भी वही।
दिव्यता राम हैं भव्यता राम हैं, झूठ मानों नहीं, सत्यता भी वही॥
राम ही उत्सवों, राम पीड़ा बसें, राम से हर्ष है प्राण उल्लास कर।
राम ही मौन हैं राम वाणी रहें, राम भावों बसें राम को ख़ास कर॥
राम हैं चेतना राम ही प्राण हैं, राम ही त्राण हैं राम ही तारते।
राम ही नाव हैं राम ही सिन्धु भी, राम ही जीव में राम ही मारते।
राम सेवा रहें राम मेवा रहें, राम ही सार हैं राम ही ग्रंथ हैं।
राम ही गाँव हैं राम ही विश्व हैं, राम ही लक्ष्य हैं राम ही पंथ हैं।
राम के पाँव में राम की छाँव में, मैं रहूँ राम दाता मुझे दास कर।
राम ही ग्रीष्म, वर्षा वही शीत हैं, राम चारों दिशाएँ उन्हें रास कर॥
आए अयोध्या में श्री राम
आज आए अयोध्या में श्री राम हैं।
हर्ष में झूमते गा रहे नाम हैं।
बाद बरसों के पूरी हुई आस ये।
किन्तु खोया नहीं पुण्य विश्वास ये।
की तपस्या युगों दी परीक्षा कड़ी।
देख पाए तभी हम सुहानी घड़ी।
साल दर साल का फिर दिया दाम है।
हर्ष में झूमते गा रहे नाम हैं।
गान मंगल हुए दीप माला सजी।
राग सरगम छिड़े प्रीत वीणा बजी।
हो रही हर दिशा में प्रभो आरती।
बाद वर्षो हुई खुश यहाँ भारती।
बन रहा भव्य प्यारा नया धाम है।
हर्ष में झूमते गा रहे नाम हैं॥
शुभ शिला है रखी भूमि पूजन हुआ।
पुण्य भावों भरा आज अर्चन हुआ।
गर्व से देश के मान सम्मान में।
लाख दीपक जले राम की शान में।
पूर्ण अद्भुत किये शुभ्र वह काम हैं॥
हर्ष में झूमते गा रहे नाम हैं॥
मैं मगन हो गीत गाऊँ
राग भर दो चेतना में वेदना प्यारी लगेगी।
मैं मगन हो गीत गाऊँ साधना न्यारी लगेगी।
तितलियों से पंख ले लूँ दूर हो मेरी उड़ानें।
नाप लूँ धरती गगन को, क्या करेगी ये थकानें।
बंध सारे खोल दो ये तोड़ दो ये वर्जनाएँ।
मुक्त हो आकाश मेरा मुक्त सारी सर्जनाएँ।
सुप्तता को प्राण दे दो, शून्यता हारी लगेगी।
मैं मगन हो गीत गाऊँ…
देह को जीवन मिले नव, जी उठें संवेग सारे।
हो सफल जो कामनाएँ, दूँ भुला उद्वेग सारे।
काल के पग हार जाएँ, कथ्य जीवित हो उठेंगें।
पंथ के पत्थर हठीले, दग्ध पीड़ित हो हटेंगे।
सृष्टि ये जब खिल उठे तो दृष्टियाँ भारी लगेगी।
मैं मगन हो गीत गाऊँ…
मैं नदी की धार बहती, मार्ग है उन्मुक्त देखो।
सूर्य की उन रश्मियों से, स्वर्ण से हूँ युक्त देखो।
चंद्र से हूँ शीतला और’ है धवल-सा रूप निर्मल।
वेग वायू ने दिया है, हूँ तभी तो देख चंचल॥
सिन्धु में अस्तित्व खोकर, मिट स्वयं खारी लगेगी।
मैं मगन हो गीत गाऊँ…
मेरा प्यारा हिन्दुस्तान
पेट भरे जो सबका हर दिन, बहा पसीना नित्य किसान।
बड़े गर्व से वह भी कहता, मेरा प्यारा हिन्दुस्तान।
बोता बीज ख़ुशी के है वह, उगता सोने जैसा अन्न।
उसके श्रम से होते हैं सुन, कितने व्यापारी संपन्न।
खेतों को सींचे मेहनत से, सिर पर पगड़ी फटी कमीज़।
मान नहीं देते जो उसको, उनको इतनी कहाँ तमीज़।
अर्थ व्यवस्था उसके कान्धे, नहीं उन्हें है इतना भान।
बड़े गर्व से वह भी कहता, मेरा प्यारा हिन्दुस्तान।
जान हथेली पर रखते हैं, सीमा प्रहरी हैं तैयार।
एक अगर करता है दुश्मन, उसपे करते सौ-सौ वार।
हिम्मत और शोर्य ताकत ले, सीने में अद्भुत ले जोश।
पता नहीं वह कौन घड़ी हो, मौत उन्हें ले-ले आगोश।
होली और दिवाली है क्या, रक्त करें अपना नित दान।
बड़े गर्व से वह भी कहता, मेरा प्यारा हिन्दुस्तान।
सीने पर गोली खाते पर, रखते हैं भारत का मान।
लिपट तिरंगा सो जाते हैं, घटे नहीं पर इसकी आन।
गर्व हमें दोनों पर करना, कृषक रहे या वीर जवान।
यही नींव मेरे भारत की, सदा करें इनका सम्मान।
बूँद-बूँद से सींचा इसको, भारत देश हमारी शान।
बड़े गर्व से हम भी कहते, हमको प्यारा हिन्दुस्तान॥
उर्वशी कर्णवाल
चाँदपुर ज़िला बिजनौर
उत्तर प्रदेश
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