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कांग्रेस पार्टी (Congress party) को मिला था बहुत बड़ा श्राप
कांग्रेस पार्टी (Congress party): स्वामी करपात्री जी महाराज का मूल नाम श्री हर नारायण ओझा था। वे हिन्दू दसनामी परम्परा के भिक्षु थे। दीक्षा के उपरान्त उनका नाम हरीन्द्रनाथ सरस्वती था किन्तु वे “करपात्री” नाम से ही प्रसिद्ध थे, क्योंकि वे अपने अंजुली का उपयोग खाने के बर्तन की तरह करते थे।
वे ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती के शिष्य थे। स्वामी जी की स्मरण शक्ति ‘फोटोग्राफिक’ थी, यह इतनी तीव्र थी कि एक बार कोई चीज पढ़ लेने के वर्षों बाद भी बता देते थे कि ये अमुक पुस्तक के अमुक पृष्ठ पर अमुक रूप में लिखा हुआ है। धर्मशास्त्रों में इनकी अद्वितीय एवं अतुलनीय विद्वता को देखते हुए इन्हें ‘धर्मसम्राट’ की उपाधि प्रदान की गई।
“अखिल भारतीय राम राज्य परिषद” भारत की एक परम्परावादी हिन्दू पार्टी थी। इसकी स्थापना स्वामी करपात्री ने सन् १९४८ में की थी। इस दल ने सन् १९५२ के प्रथम लोकसभा चुनाव में ३ सीटें प्राप्त की थी। सन् १९५२, १९५७ एवम् १९६२ के विधान सभा चुनावों में हिन्दी क्षेत्रों (मुख्यत: राजस्थान) में इस दल ने दर्जनों सीटें हासिल की थी।
जब इंदिरा गांधी वादे से मुकर गयी
इंदिरा गांधी के लिये उस समय चुनाव जीतना बहुत मुश्किल था। करपात्री जी महाराज के आशीर्वाद से इंदिरा गांधी चुनाव जीती। इंदिरा ग़ांधी ने उनसे वादा किया था चुनाव जीतने के बाद गाय के सारे क़त्ल खाने बंद हो जायेगें जो अंग्रेजो के समय से चल रहे हैं। लेकिन इंदिरा गांधी मुसलमानों और कम्यूनिस्टों के दवाब में आकर अपने वादे से मुकर गयी थी।
गौ हत्या निषेध आंदोलन
और जब तत्कालीन प्रधानमंत्री ने संतों की इस मांग को ठुकरा दिया जिसमे सविधान में संशोधन करके देश में गौ वंश की हत्या पर पाबन्दी लगाने की मांग की गयी थी, तो संतों ने ७ नवम्बर १९६६ को संसद भवन के सामने धरना शुरू कर दिया। हिन्दू पंचांग के अनुसार उस दिन विक्रमी संवत २०१२ कार्तिक शुक्ल की अष्टमी थी, जिसे “गोपाष्टमी” भी कहा जाता है।
इस धरने में मुख्य संतों के नाम इस प्रकार हैं-शंकराचार्य निरंजन देव तीर्थ, स्वामी करपात्री महाराज और रामचन्द्र वीर। राम चन्द्र वीर तो आमरण अनशन पर बैठ गए थे, लेकिन इंदिरा गांधी ने उन निहत्ते और शांत संतों पर पुलिस के द्वारा गोली चलवा दी जिसमें कई साधू मारे गए।
इस ह्त्या कांड से क्षुब्ध होकर तत्कालीन गृहमंत्री “गुलजारी लाल नंदा” ने अपना त्याग पत्र दे दिया और इस कांड के लिए ख़ुद को सरकार को ज़िम्मेदार बताया था।
लेकिन संत “राम चन्द्र वीर” अनशन पर डटे रहे जो १६६ दिनों के बाद उनकी मौत के बाद ही समाप्त हुआ था। राम चन्द्र वीर के इस अद्वितीय और इतने लम्बे अनशन ने दुनिया के सभी रिकार्ड तोड़ दिए है। यह दुनिया की पहली ऎसी घटना थी जिसमे एक हिन्दू संत ने गौ माता की रक्षा के लिए १६६ दिनों तक भूखे रह कर अपना बलिदान दिया था।
इंदिरा के वंश पर श्राप
लेकिन ख़ुद को निष्पक्ष बताने वाले किसी भी अख़बार ने इंदिरा के डर से साधुओं पर गोली चलने और राम चंद्र वीर के बलिदान की ख़बर छापने की हिम्मत नहीं दिखायी, सिर्फ़ मासिक पत्रिका “आर्यावर्त” और “केसरी” ने इस ख़बर को छापा था और कुछ दिन बाद गोरखपुर से छपने वाली मासिक पत्रिका “कल्याण” ने गौ अंक में एक विशेषांक प्रकाशित किया था, जिसमे विस्तार सहित यह घटना दी गयी थी।
और जब मीडिया वालों ने अपने मुहों पर ताले लगा लिए थे तो करपात्री जी ने कल्याण के उसी अंक में इंदिरा को सम्बोधित करके कहा था-
” यद्यपि तूने निर्दोष साधुओं की हत्या करवाई है, फिर भी मुझे इसका दुःख नहीं है। लेकिन तूने गौ हत्यारों को गायों की हत्या करने की छूट देकर जो पाप किया है, वह क्षमा के योग्य नहीं है। इसलिये मैं आज तुझे श्राप देता हूँ कि-
“गोपाष्टमी” के दिन ही तेरे वंश का नाश होगा” ,
“आज मैं कहे देता हूँ कि गोपाष्टमी के दिन ही तेरे वंश का भी नाश होगा…!”
श्राप सच हो गया
जब करपात्री जी ने यह श्राप दिया था तो वहाँ “प्रभुदत्त ब्रह्मचारी” भी मौजूद थे। करपात्री जी ने जो भी कहा था वह आगे चल कर अक्षरशः सत्य हो गया। इंदिरा के वंश का गोपाष्टमी के दिन ही नाश हो गया। सुबूत के लिए इन मौतों की तिथियों पर ध्यान दीजिये-
१-संजय गांधी की मौत आकाश में हुई, उस दिन हिन्दू पंचांग के अनुसार गोपाष्टमी थी।
२-इंदिरा की मौत घर में हुई, उस दिन भी गोपाष्टमी थी।
३-राजीव गांधी मद्रास में मरे, उस दिन भी गोपाष्टमी ही थी।
गोली चलने के दिन स्वामी करपात्री जी ने उपस्थित लोगों के सामने गरज कर कहा था कि-
“लोग भले इस घटना को भूल जाएँ, लेकिन मैं इसे कभी नहीं भूल सकता। गौ हत्यारे के वंशज नहीं बचेंगे, चाहे वह आकाश में हो या पाताल में हों या चाहे घर में हो या बाहर हो, यह श्राप इंदिरा के वंशजों का पीछा करता रहेगा।”
फिर करपात्री जी ने राम चरित मानस की यह चौपाई लोगों को सुनायी—
“॥ संत अवज्ञा करि फल ऐसा, जारहि नगर अनाथ करि जैसा॥”
FAQs
अखिल भारतीय राम राज्य परिषद की स्थापना किसने की थी?
अखिल भारतीय राम राज्य परिषद की स्थापना स्वामी करपात्री ने सन् १९४८ में की थी।
संत “राम चन्द्र वीर” ने कितने दिन तक अनशन किया था?
संत राम चन्द्र वीर ने १६६ दिनों तक अनशन किया था।
करपात्री जी ने इंदिरा गाँधी को क्या शाप दिया था?
करपात्री जी ने इंदिरा गाँधी को शाप दिया था कि गोपाष्टमी के दिन ही तेरे वंश का नाश होगा।
ओ. पी. मेरोठा
बारां, राजस्थान
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