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परदा गिरने के बाद (after the curtain fell)
१- after the curtain fell
बनके तस्वीर इक दिन, दीवार पर टंग जाना है।
दुनिया से दूर हमें सितारों, -सा रंग जाना है॥
कर जाएँ सार्थक जीवन, अपना सत्कर्मों से।
बस यही सब ही उपर, हमारे संग जाना है॥
२
यह ना जलती हैऔर, यह ना ही गलती है।
दुयाओं की यह दौलत, कभी नहीं मरती है॥
मत संकोच करो कभी, दुआ लेनेऔर देने में।
जिंदगी के साथऔर, बाद भी यह चलती है॥
३
इत्र की महक दामन में, नहीं किरदार में लाओ।
कामआकर सबके आदमी, दिलदार कहलाओ॥
नेकी बदी सब ज़िंदा रहती, हर एक दिल में।
बन कर ज़िन्दगी के तुम, वफादार ही जाओ॥
४
अहम गरुर चाहत सब, इक राख बन जाती है।
मिट्टी की देह इक दिन, बस ख़ाक बन जाती है॥
धन दौलत शौहरत नहीं, जबान मीठी है भाती।
यही चलकर तेरा नाम, सम्मान नाक बन जाती है॥
५
कर जाओ ऐसा, कि डोली यादों की सजती रहे।
मिलने को यह दुनिया, राह तेरी तकती रहे॥
हर दिल में जगह बन जाए, ज़रूर तेरे नाम की।
परदा गिरने के बाद भी, ताली यूं ही बजती रहे॥
योग भगाये रोग
१
योग से बनता है मानव
शरीर स्वस्थ आकार।
योग एक है जीवन की
पद्धति स्वास्थ्य का आधार॥
योग से निर्मित होता तन मन
और मस्तिष्क भी सुदृढ़।
तभी तो हम कर सकते हैं
हर जीवन स्वप्न साकार॥
२
भोग नहीं योग आज की बन
गया एक ज़रूरत है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता से ही
जीवन बचने की सूरत है॥
छह वर्ष सम्पूर्ण विश्व को ही
भारत ने दिखाया था रास्ता।
आज तो पूरी दुनिया में भारत
बन गया योग की एक मूरत है॥
३
नित प्रति दिन व्यायाम ही तो
योग का एक रूप है।
व्यावस्तिथ हो जाती आपकी
दिनचर्या बदलता स्वरूप है॥
निरोगी काया आर्थिक स्थिति
भी होती है योग से सुदृढ़।
योग तो सारांश में तन मन की
सुंदरता का ही प्रतिरूप है॥
चार दिन का पड़ाव है जिन्दगी
१
कभी उतार तो कभी चढ़ाव
है यह जिन्दगी।
कभी प्यार तो कभी घाव
है यह जिन्दगी॥
बहुत अनोखा अनमोल
उपहार है यह।
कभी भाव तो कभी दुर्भाव
है यह जिन्दगी॥
२
कभी मिलन कभी टकराव
है यह जिन्दगी।
कभीआत्मीयता का अभाव
है यह जिन्दगी॥
अपने अंतर्मन की सदा ही
सुनते रहो।
नहीं तो अपनों से खिंचाव
है यह जिन्दगी॥
३
गर प्यार नहीं तो बैर भाव
है यह जिन्दगी।
कभी प्रेम कभी नाराज़गी
बहाव है जिंदगी॥
गम और ख़ुशी दोनों ही
पहलू ज़िन्दगी के।
दोनों तरह का ही हाव भाव
है यह जिन्दगी॥
४
जान लो कर्म पथ की नाव
है यह जिन्दगी।
बढ़ते रहना ही स्वभाव
है यह जिन्दगी॥
ये दुनिया तेरा घर नहीं छोड़
कर जायो प्रभाव।
बस चार दिन का ही पड़ाव
है यह जिन्दगी॥
बस चलते रहना ही ज़िन्दगी है
१
अभी बहुत दूर जाना और
जिंदगी अभी बाक़ी है।
जोशो ओ जनून बने जाम
ओ जिंदादिली बने साकी है॥
हर पल कुछ करते सोचते
रहो काम कोई नया तुम।
ठहर गये जिस पल तो
बनेगी ज़िंदगी बैसाखी है॥
२
यह अंत नहीं दूसरी
पारी की शुरुआत है।
आप यूँ खाली नहीं लिये
अनुभव की सौगात हैं॥
जो अनसुलझी रही पहेली
वक्त मिला हल करने का।
अपनी रुचियाँ पूरी करने
की तो आज हर बात है॥
३
सुख मय जीवन जीने का
हर पल आपके पास है।
भटक गये जो रिश्ते उन्हें
संवारने की अब आस है॥
तेजी से बदल रही दुनिया
कदम मिलाकर चलें साथ।
इस नाज़ुक दौर में ध्यान
रहे स्वास्थ्य का ख़ास है॥
४
नजर घुमा कर देखोअनेक
काम घर में ही करने को।
लिखो पढ़ो देखो खेलो इस
अवसाद को अब हरने को॥
बहुत कुछ नया अब भी
जान सकते हैं इस उम्र में।
ये सोचो कि अभी सीखना
और वक़्त नहीं डरने को॥
तेरे मीठे बोल
१
चार दिन की ज़िन्दगी फिर अंधेरा पाख है।
फिर ख़त्म कहानी और बचेगा धुंआ राख है॥
अच्छे कर्मों से ही यादों में रहता है आदमी।
तेरे अच्छे बोल व्यवहार से ही बनती साख है॥
२
कब किससे कैसे बोलना यह मानना बहुत ज़रूरी है।
इस बुद्धि कौशल कला को जानना बहुत ज़रूरी है॥
शब्द तीर हैं कमान हैं देते हैं घाव गहरा बहुत।
हर स्तिथी को सही सही पहचानना बहुत ज़रूरी है॥
३
साथ समय समर्पण दीजिए
आप बदले में यही पायेंगे।
जैसा बीज डालेंगें धरती में फल
वैसा उगा कर लायेंगे॥
सम्मान पाने को सम्मान देना
उतना ही है ज़रूरी।
बस तेरे मीठे बोल ही सदा
सम्बको याद आयेंगें॥
डॉक्टर्स डे
१
चिकित्सक ईश्वर तो नहीं पर वे
ईश्वर से भी तो कम नहीं हैं।
प्रभु ने भेजा उन्हें इस धरती
पर जहाँ भी आँखें नम वहीं हैं॥
मौत के मुँह से बचा कर लाते
हैं वह किसी भी व्यक्ति को।
नमन हर डॉक्टर को हमारा चाहे
उन की नियुक्ति कँही है॥
२
अपनी जान जोखिम में डालकर
महामारी में वह बचाते हैं।
बन कर प्रभु का दूत वह जीवन
का संदेश लेकर आते हैं॥
आज चिकित्सकदिवस के पुनीत
अवसर पर नमन हर डॉक्टर को।
जिनके हाथों नव जीवन नव
ऊर्जा हम इस धरती पर पाते हैं॥
शुभ कामना संदेश प्रदाता
अभी असली इम्तिहान बाक़ी है
१
सफर जारी पर अभी तो
आने को मुकाम बाक़ी है।
किया जा चुका बहुत कुछ
पर अभी काम बाक़ी है॥
साठ के पार हो चुके
तो कोई बात नहीं।
अभी तो नापी है ज़मीं
अभी आसमान बाक़ी है॥
२
अभी अदा करने शुक्रिया
वह हर इन्सान बाक़ी है।
पूरे जो कर नहीं पाये
वह हर अरमान बाक़ी है॥
अभी तो शुरू ही हुई है
जीवन की दूसरी पारी।
जान लो कि ज़िन्दगी का
असली इम्तिहान बाक़ी है॥
३
अभी भी दुनियादारी का
कुछ लगान बाक़ी है।
कर नहीं पाये इस्तेमाल वह
साजो सामान बाक़ी है॥
रुकना नहीं थमना नहीं
तुम्हें इस बीच दौड़ में।
अभी भी जीतने को हर
तीरो कमान बाक़ी है॥
४
सेवा निवृत हो गये पर अभी
अनुभव का सम्मान बाक़ी है।
कुछ नया करने सीखने को
भी जज्बो तूफ़ान बाक़ी है॥
अब तो वरिष्ठ नागरिक का
दायित्व भी है कंधों पर।
अभी देखने घूमने को भी
पूरा जहान बाक़ी है॥
५
चुप रह गई जो अब तक
अभी वह ज़ुबान बाक़ी है।
ऊपरवाले ने भी दिये काम
अभी वह फरमान बाक़ी है॥
मुक्कमल करना हर काम
इसी एक ही ज़िन्दगी में।
भागते रहे ज़िन्दगी भर अब
जरा चैनो आराम बाक़ी है॥
चमक नहीं, रोशनी चाहिये
१
बच्चों को मंहगे त्यौहार नहीं,
उन्हें संस्कार दीजिये।
उनको अपने अच्छे गुणों,
का उपहार दीजिये॥
आधुनिक खिलौने तो ठीक है,
पर साथ उनके लिए।
कैसे करें बड़ों से बात वह,
उचित व्यवहार दीजिये॥
२
बच्चों को अभिमान नहीं,
स्वाभिमान सिखाइये।
आलस्य नहीं गुण उनको,
श्रमदान का बताइये॥
बच्चों को चमक ही चमक नहीं,
चाहिये उनको रोशनी।
दिखावा नहीं आदर आशीर्वाद,
का गुणगान दिखाइये॥
३
बच्चों को भी सिखाइये कैसे,
बनना है आत्मनिर्भर।
प्रारम्भ से ही बताइये कैसे,
बढ़ना है जीवन सफर॥
अच्छी आदतें पड़ती हैं अभी,
कच्ची मिट्टी में ही।
ज़रूर सुनाइये कथायें साहस की,
दूर करने को उनका डर॥
४
नींव ही समय है जब बात हो,
बुलंद इमारत की।
कैसी होगी आगे की जिन्दगी,
उस इबारत की॥
आगे बढ़ने के गुण डालिये शुरू,
से ही भीतर उनके।
वह शुरू से ही पढ़ाई पढ़ें मेहनत,
और शराफ़त की॥
मैं हिन्दुस्तान हूँ
१
दुनिया जहान में आला,
मैं हिन्दुस्तान हूँ।
सारे जग से ही निराला,
मैं हिन्दुस्तान हूँ॥
विरासत लेकर चल रहा हूँ,
संस्कार संस्कृति की।
प्रेम अमन का भरा प्याला,
मैं हिन्दुस्तान हूँ॥
२
अतिथि देवो भव आचरण,
मैं हिन्दुस्तान हूँ।
ध्यान ज्ञान मंत्र उच्चारण,
मैं हिन्दुस्तान हूँ॥
संकल्पना आत्म निर्भरता,
का उदाहरण हूँ मैं।
बड़े बुजुर्गों का वंदन चारण,
मैं हिन्दुस्तान हूँ॥
३
महाभारत की महा हाला,
मैं हिन्दुस्तान हूँ।
वेदों की देव दीप शाला,
मैं हिन्दुस्तान हूँ॥
एकसौपैंतीस कोटिआशीर्वाद,
अग्रसर कर्मपथ पर।
शत्रुओं लिए भीषण ज्वाला,
मैं हिन्दुस्तान हूँ॥
४
संत ऋषि मुनियों माटी का,
मैं हिन्दुस्तान हूँ।
शौर्य गाथायों हल्दी घाटी का,
मैं हिन्दुस्तान हूँ॥
वसुधैव कुटुम्बकम पड़ोसी हूँ,
धर्म पालन कर्ता।
विविधता में एकता चौपाटी,
का मैं हिन्दुस्तान हूँ॥
५
तेजी से विकास राज दुलारा,
मैं हिन्दुस्तान हूँ।
विश्वगुरु शांति दूत का उजाला,
मैं हिन्दुस्तान हूँ॥
सारे जग में शान अद्धभुत,
मेरी निराली है।
दुनिया की आँख का तारा,
मैं हिन्दुस्तान हूँ॥
पर्यावरण
१
नदी ताल में कम हो रहा जल
और हम पानी यूँ ही बहा रहे हैं।
ग्लेशियर पिघल रहे और समुन्द्र
तल यूँ ही बढ़ते ही जा रहे हैं॥
काट कर सारे वन कंक्रीट के कई
जंगल बसा दिये विकास ने।
अनायस ही विनाश की ओर कदम
दुनिया के चले ही जा रहे हैं॥
२
पॉलीथिन के ढेर पर बैठ कर हम
पॉलीथिन हटाओ का नारा दे रहे हैं।
प्रक्रति का शोषण कर के सुनामी
भूकंप का अभिशाप ले रहे हैं॥
पर्यवरण प्रदूषित हो रहा है दिन रात
हमारी आधुनिक संस्कृति के कारण।
भूस्खलन, भीषणगर्मी, बाढ़, ओलावृष्टि
की नाव बदले में आज हम खे रहे हैं॥
३
ओज़ोन लेयर में छेद, कार्बन उत्सर्जन
अंधाधुंध दोहन का ही दुष्परिणाम है।
वृक्षों की कटाई बन गया आजकल
विकास प्रगति का दूसरा नाम है॥
हरियाली को समाप्त करने की बहुत
बडी क़ीमत चुका रही है ये दुनिया।
इसी कारण ऋतुचक्र, वर्षाचक्र का नित
असुंतलन आज हो गया आम है॥
४
सोचें क्या दे कर जायेंगे हम अपनी
अगली पीढ़ी को विरासत में।
शुद्ध जल और वायु को ही क़ैद कर
दिया है जीवन शैली की हिरासत में॥
जानता नहीं आदमी कि कुल्हाड़ी
पेड पर नहीं पाँव पर चल रही है।
प्रकृति नहीं सम्पूर्ण मानवता ही नष्ट
हो जायेगी इस दानव-सी हिफाज़त में॥
पत्थर के मकान
१
आजकल घर नहीं पत्थर के मकान होते हैं।
सवेंदना शून्य ख़ामोश से वीरान होते हैं॥
घर को रैन बसेरा कहना ही ठीक होगा।
कुत्ते से सावधान दरवाजे की शान होते हैं॥
२
घर में चहल पहल नहीं सूने ठिकाने हैं।
मकान में कम बोलते मानो कि बेगाने हैं॥
सूर्य चंद्रमा की किरणें नहीं आती यहाँ।
संस्कारों की बात वाले हो चुके पुराने हैं॥
३
हर किरदार में अहम का भाव होता है।
स्नेह प्रेम नहीं दीवारों से लगाव होता है॥
समर्पण का समय नहीं किसी के पास।
आस्था आशीर्वाद का नहीं बहाव होता है॥
४
आदमी नहीं मशीनों यहाँ का वास होता है।
पैसे की चमक का मतलब ख़ास होता है॥
मूर्तियाँ ईश्वर की होती बहुत ही आलीशान।
पर आचरण कहीं नहीं आसपास होता है॥
५
जमीन नहीं यहाँ पर बड़े मकान होते हैं।
मतलब के ही आते कुछ मेहमान होते हैं॥
दौलत से मिलती सारी नकली ख़ुशी यहाँ।
पैसे पर खड़े ये घर नहीं ऊँचे मचान होते हैं॥
फिर सब गुलज़ार होगा
१
हिम्मत रखना दिन वैसे ही फिर गुलज़ार होंगें।
बीमारी से दूर फिर शुभ समाचार होंगें॥
दौर पतझड़ का आता है बहार आने से पहले।
पुराने दिन फिर वैसे ही बरकरार होंगें॥
२
लौटकरआ जाएंगी खुशियाँ अभी कठिन वक़्त है।
यह कॅरोना ले रहा था परीक्षा सख्त है॥
समय से लें दवाई और ऊर्जा बढ़ायें अपनी।
इस कॅरोना के खूनी पंजों में लगा गया रक्त्त है॥
३
जान बाजी लगा निकलने की ज़रूरत नहीं है।
यूँ ही चितायों में जलने की ज़रूरत नहीं है॥
भयानक मंज़र खूनी खंजर देखा है कॅरोना का।
लापरवाही से काम लेने की ज़रूरत नहीं है॥
४
जरा-सा ठहर जायो कि सब
सही गुज़र जाये।
इस दूसरी लहर का ये नया
उफ़ान गुज़र जाये॥
यूँ आँधी में बेवजह निकलना
अभी ठीक नहीं है।
हम सब निखर कर आयेंगें
ये मुकाम गुज़र जाये॥
सहयोग ही जीवन
१
अहंकार का नशा बहुत
मतवाला होता है।
मनुष्य नहीं स्वयं का ही
रखवाला होता है॥
सौहार्द, स्नेह, प्रेम, सहयोग
ही है सफल मन्त्र।
अहम क्रोध केवल बुद्धि
का दिवाला होता है॥
२
वो कहलाता सभ्य सुशील
जो सरल होता है।
वो कहलाता विनम्र शालीन
जो तरल होता है॥
इसी में है बुद्धिमानी कि
व्यक्ति प्रेम से रहे।
वही बनता सर्वप्रिय जो
नहीं गरल होता है॥
३
अहंकार जीवन के लिए एक
विषैले सर्प समान है।
कभी करे न त्रुटि स्वीकार
उस दर्प समान है॥
यह ईश्वरीय विधान है कि
घमंड सदा रहता नहीं।
वह कभी नया सीख न पाये
मादक गर्व समान है॥
४
साधन शक्ति संपत्ति सदा एक
से कभी रहते नहीं हैं।
अभिमानी को लोग सफल
कभी कहते नहीं हैं॥
वाणी का कुप्रभाव सदा ही
पड़ता है भोगना।
जान लीजिए सदैव यह जहर
लोग सहते नहीं हैं॥
एक बेमिसाल कहानी
१
छूने को ऊपर ऊँचा
आसमान है।
जीवन संघर्ष का अनुभव
महान है॥
कोई एक हार नहीं है अंत
जीवन का।
आगे भी कर्म है, पहचान है,
सम्मान है॥
२
आचार, विचार, सदाचार,
ज़रूरी है जीवन में।
संस्कार, व्यवहार, सुधार,
ज़रूरी है जीवन में॥
हार कर बिखर जाना तो
अच्छी बात नहीं है।
हर हाल लेकर आना निखार
ज़रूरी है जीवन में॥
३
सोच और रास्ता अच्छा होना
चाहिये जीवन में।
किताबेंओ दोस्त सच्चा होना
चाहिये जीवन में॥
ग़लत राहऔर सोच से बिखर
जाती है जिन्दगी।
एक बात दिल में बच्चा होना
चाहिये जीवन में॥
४
काम के लिए दीवानगी होनी
चाहिये जीवन में।
रुकी रुकी नहीं रवानगी होनी
चाहिये जीवन में॥
तेरी ज़िन्दगी की बानगी की
मिसालें दें लोग।
कोई इक़ बेमिसाल कहानी होनी
चाहिये जीवन में॥
विश्व घर परिवार दिवस
१
जहाँ प्रेम का उपहार हो
वो घर परिवार है।
जहाँ सहयोग ही आधार हो
वो घर परिवार है॥
जहाँ लोग जीते मरते हों
एक दूजे के लिए।
जहाँ आशीर्वाद आभार हो
वो घर परिवार है॥
२
जहाँ माता पिता से सीखते
हों संस्कार बच्चे।
जहाँ दादा दादी से लातें
हों प्यार बच्चे॥
जहाँ सुख दुःख के साथी हों
सब ही घर वाले।
वो ही घर परिवार जहाँ पाते
सबका दुलार बच्चे॥
३
घर परिवार में रहती भावना
बस समर्पण की।
एक दूजे के लिए करने को
कुछ भी अर्पण की॥
छल कपट भेद भाव से दूर
घर होता स्वर्ग समान।
ऐसे परिवार को ज़रूरत नहीं
किसी भी दर्पण की॥
फिर से विश्व गुरु की पहचान वाला, भारत महान होगा
१
मिलकर धूल में भी हम खड़े हो सकते हैं।
टूटकर फिर हम दुबारा बड़े हो सकते हैं॥
गिर कर भी फिर वैसे ही उठना आता हमको।
देख लेना फिर वैसे ही आसमां चढ़े हो सकते हैं॥
२
परीक्षा यूँ ही बारम्बार
हम देकर आयेंगे।
खुशियाँ अपरम्पार हम
फिर जाकर लायेंगे॥
माना कि मुसीबत है और
समय है महामारी का।
लेकिन वैसा ही आकार
हम लाकर पायेंगे॥
३
हर परिस्थिति में हम मुस्कराना जानते हैं।
हे प्रभु हम देना तेरा शुकराना जानते हैं॥
हर मुश्किल को आसान बनाना हैं हम जानते।
अपनी गलतियों का देना हर्जाना हम जानते हैं॥
४
जमीन से आसमान तक
फिर भारत का नाम होगा।
कुछ ऐसा ही नायाब सा
हमारा काम होगा॥
हमें गर्व और गौरव है
अपनी क्षमता विरासत पर।
फिर विश्व गुरु की पहचान
वाला भारत महान होगा॥
हमारे बुजुर्ग
१
क्षमा दुआ अनुभव और आस, है बुजुर्गों के पास।
बहुत ही जिम्मेदारी अहसास, है बुजुर्गों के पास॥
छोटे बड़ों का ध्यान और करें, घर की रखवाली भी।
संस्कृति, संस्कारों का वास है, बुजुर्गों के पास॥
२
बहुत दुनिया देखी बड़ों ने, उनसे ज्ञान लीजिये।
उन्होंने किया लालन पालन, उन पर ध्यान दीजिए॥
उनके मान सम्मान आशीर्वाद से, संवरता आपका भी भाग्य।
आ जाता कुछ चाल में अंतर, नही अपमान कीजिये॥
३
हर किसी के लिए ख़ूब जज़्बात, हैं बुजुर्गों के पास।
अनुभवों की इक लंबी बारात, हैं बुजुर्गों के पास॥
दिल है दिमाग़ है हर बात है, पास बुजुर्गों के।
दुआओं ही दुआओं की सौगात, है बुजुर्गों के पास॥
४
पैसे की तो बहुत क़दर है, बुजुर्गों के पास।
बहुत ही ज़्यादा पारखी नज़र है, बुजुर्गों के पास॥
रखते तजुर्बा हर मौसम बरसात, का बुज़ुर्ग हमारे।
एक पूरी ज़िन्दगी का सफ़र है, बुजुर्गों के पास॥
संघर्ष में तप कर व्यक्ति महान होता है
१
जब हौंसला हमारा चट्टान-सा होता है।
तो फिर रास्ता भी आसान-सा होता है॥
जो विपरीत परिस्थितियों में धैर्य खोते नहीं।
उनके लिए संकट बस मेहमान-सा होता है॥
२
मन में है विश्वास तो कोई हरा नहीं सकता।
बिना आस के तो कोई जिता नहीं सकता॥
यदि मन से न हारे तो फिर हार नहीं होती है।
यदि ठान लो तो कोई गिरा नहीं सकता॥
३
उम्मीद से तो अंधेरे में भी उजाला हो जाता है।
खराब हालात में प्रभु रखवाला हो जाता है॥
कुदरत ख़ुद सवाल का जवाब जाती है बन।
जोश जनून से आदमी दिलवाला हो जाता है॥
४
जो कि हर स्थिति में धैर्यवान होता है।
वह जाकर फिर एक सफल इंसान होता है॥
अपने अनमोल जीवन का मूल्य जो जानता।
वही फिर सोने-सा तप कर महान होता है॥
एस. के. कपूर “श्री हंस”
बरेली
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