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हिन्दी दिवस (Hindi Divas)
हिन्दी दिवस (Hindi Divas) : अगर हम भारत को राष्ट्र बनाना चाहते हैं। तो हिन्दी ही हमारी राष्ट्रभाषा हो सकती है यह बात राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कही है। किसी भी राष्ट्र की सर्वाधिक प्रचलित एवं सुरक्षा से आत्मसात की गई भाषा को राष्ट्रभाषा कहा जाता है। राजभाषा वह भाषा होती है जिसका प्रयोग किसी देश में राजकाज को चलाने के लिए किया जाता है।
वाल्टर कैनिंग ने कहा था विदेशी भाषा का किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र की राजकाज और शिक्षा की भाषा होना सांस्कृतिक दासता है। संविधान के अनुच्छेद ३४३ के खंड १ में कहा गया है कि भारत संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है।
हिन्दी राष्ट्र के बहु संख्या के लोगों द्वारा बोली और समझी जाती है जो अत्यंत सरल है पंडित राहुल सांकृत्यायन के शब्दों में हमारी नागरी लिपि दुनिया की सबसे वैज्ञानिक लिपि है हिन्दी में आवश्यकतानुसार देशी विदेशी भाषाओं के शब्दों को सरलता से आत्मसात करने की शक्ति है। यह भारत की एक ऐसी राष्ट्रभाषा है। जिसमें पूरे देश में भावनात्मक एकता स्थापित करने की पूर्ण क्षमता है।
भाषा संस्कृति की संरक्षक एवं वाहक होती है भाषा की गरिमा नष्ट होने से उस स्थान की सभ्यता और संस्कृति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। हिन्दी को राजभाषा बनाए जाने के संदर्भ में गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर ने कहा था भारत की सारी प्रांतीय बोलियाँ जिनमें सुंदर साहित्य की रचना हुई है अपने घर या प्रांत में रानी बन कर रहे प्रांत की जन गण के हार्दिक चिंतन की प्रकाश भूमि स्वरूप कविता की भाषा हो कर रहे प्रकाश भूमि स्वरूप कविता की भाषा हो कर रहे और आधुनिक भाषाओं के हार की मध्य मणि हिन्दी भारत भारती होकर विराजती रहे। प्रत्येक देश की पहचान का एक मज़बूत आधार उसकी अपनी भाषा होती है।
हिन्दी कोउसका वास्तविक सम्मान नहीं दिए जाने का कारण भाषावाद है। भारत के संविधान में २२ भाषाओं को मान्यता प्राप्त है। इन सभी भाषाओं में हिन्दी भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। आज हमारे देश में हिन्दी बोलने वालों की संख्या ४२ करोड़ से भी अधिक है यह भाषा की बहुलता का ही नतीजा है कि देश में भाषा बाद की स्थिति उभरी है।
जिससे हिन्दी को नुक़सान हुआ हिन्दी की स्थिति अन्य भारतीय भाषाओं की अपेक्षा अधिक व्यापक होने के कारण इसे राष्ट्रभाषा की गरिमा देने के सम्बंध में लोकमान्य तिलक महात्मा गांधी सुभाष चंद्र बोस आदि ने मान्यता प्रदान की। भाषा विद डॉ सुनीति कुमार चटर्जी के अनुसार हिन्दी संपूर्ण उत्तर भारत में प्रचलित भाषा का प्राचीनतम और सरलतम नाम है। अतः अंग्रेज़ी राज्य को भारत से समाप्त करने की मांग के साथ अंग्रेज़ी भाषा की गुलामी से छुटकारा लेने के लिए भारत की भारती हिन्दी को अपनाने का उसका प्रचार प्रसार करने का उद्घोष किया गया।
भगवान भारतवर्ष में गूंजे हमारी भारती
हमारी भाषा अत्यंत सहज और सरल है। डॉक्टर श्यामसुंदर दास आदि के प्रयत्नों से काशी नागरी प्रचारिणी सभा और बाबू पुरुषोत्तम दास टंडन द्वारा हिन्दी साहित्य सम्मेलन की स्थापना हुई। स्वतंत्रता संग्राम के समय राजनेताओं ने यह महसूस किया था कि हिन्दी दक्षिण भारत के कुछ देशों को छोड़कर पूरे देश की संपर्क भाषा है। देश के विभिन्न भाषा भाषी आपस में विचार विनिमय करने के लिए हिन्दी का सहारा लेते है।
डॉ राजेंद्र प्रसाद के शब्दों में हिन्दी चिरकाल से ऐसी भाषा रही है। जिसने मात्र विदेशी होने के कारण किसी शब्द का बहिष्कार नहीं किया। १४ सितंबर १९४९ को संविधान सभा के एकमत से भारत की राजभाषा बनाने का निर्णय लिया था। इसलिए भारत में प्रत्येक वर्ष १४ सितंबर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
डॉक्टर जयंती प्रसाद नौटियाल ने भाषा शोध अध्ययन २०१२ में यह सिद्ध किया कि हिन्दी विश्व में सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है इसने अंग्रेज़ी सहित विश्व की अन्य भाषाओं को पीछे कर दिया। आचार्य विनोबा भावे ने कहा मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज़्ज़त करता हूँ पर मेरे देश में हिन्दी की इज़्ज़त न हो यह मैं सहन नहीं कर सकता।
आज हिन्दी भारत की राजभाषा है राष्ट्रभाषा बनाने एवं इसके व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए भारत सरकार ने अनेक योजनाओं को मूर्त रूप प्रदान किया जिनमें कक्षाओं कवि सम्मेलनों नाटक-नाटक और गोष्ठियों संगोष्ठी में हिन्दी अनुसंधान हिन्दी टंकण आदि को बढ़ावा देने के साथ पत्र पत्रिकाओं को आर्थिक सहायता दिया जाना प्रमुख है। वहीं कंप्यूटर इंटरनेट विज्ञापन टेलीविजन रेडियो आदि क्षेत्रों में हिन्दी का अधिकाधिक प्रयोग करके इसके विकास एवं संवर्धन का कार्य किया।
हिन्दी के युवाओं ने नए-नए स्तरीय लेखों द्वारा इसे उच्च शिखर पर पहुँचाया है। हिंदी को आज भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोकप्रियता मिली है मारीशस फिजी श्रीलंका आदि देशों में हिन्दी बोली और समझी जाती है। आज विश्व भर में १० जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है और समय-समय पर विश्व हिन्दी सम्मेलनों का आयोजन भी किया जाता है। नौवां विश्व हिन्दी सम्मेलन वर्ष २०१२ में जोहांसबर्ग में संपन्न हुआ। आज हिन्दी कि इन सारी उपलब्धियों को देखकर पंडित गोविंद बल्लभ पंत की कही बात सत्य साबित होती है हिन्दी का प्रचार और विकास कोई रोक नहीं सकता।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार और प्रयोग से जुड़ी राजभाषायी गतिविधियों तथा कार्यक्रमों के माध्यम से केंद्र सरकार के कार्यालयों में सरकारी कामकाज में अंग्रेज़ी के स्थान पर हिन्दी का प्रयोग को बढ़ावा देना इस विभाग का लक्ष्य। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए इस विभाग के अंतर्गत केंद्रीय हिन्दी प्रशिक्षण संस्थान केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो विभिन्न क्षेत्रों में स्थित क्षेत्रीय राजभाषा कार्यान्वयन कार्यालय कार्यरत हैं। राजभाषा के रूप में हिन्दी को उचित स्थान पर विराजमान करने के उद्देश्य समय-समय पर कई समितियों का गठन किया गया। संसदीय राजभाषा समिति केंद्रीय हिन्दी समिति हिन्दी सलाहकार समिति केंद्रीय राजभाषा कार्यान्वयन समिति नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति इत्यादि कुछ ऐसी ही समितियाँ हैं।
हिन्दी आज प्रमुख संपर्क भाषा है हिन्दी भारत की एक ऐसी भाषा है जिसके माध्यम से भारत के विभिन्न क्षेत्रों के विभिन्न भाषा भाषी आपस में विचार विनिमय करते हैं। एनी बेसेंट ने बिल्कुल सत्य कहा है कि भारत के विभिन्न प्रांतों में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं में जो भाषा सबसे प्रभावशाली बन कर सामने आती है वह है हिंदी। वह व्यक्ति जो हिन्दी जानता है पूरे भारत की यात्रा कर सकता है। और हिन्दी बोलने वालों से हर तरह की जानकारी प्राप्त कर सकता है हिन्दी भाषा में बहुत माधुर्य होता है अपनापन होता अपने भाव व्यक्त करने की क्षमता होती है।
हमारे देश कीएकता अखंडताको भावनात्मक के सूत्र में बाँधने में हमारी हिन्दी भाषा ही सक्षम है। हिन्दी की प्रगति हेतु भारतेंदु हरिश्चंद्र की पंक्तियाँ उल्लेखनीय है।
भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय को शूल॥
हिन्दी साहित्य को समृद्ध बनाने के लिए रामचरितमानस की भूमिका अहम है इस कालजई रचना के साथ रचनाकार तुलसीदास जी की प्रासंगिकता सर्वदा बनी रहेगी। पंडित हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कहा है लोकनायक वही हो सकता है जो समन्वय कर सके लोक शासकों के नाम तो भुला दिए जाते हैं। लोक नायकों के नाम युग युगांतर तक स्मरण किए जाते हैं।
अतः हिंदी को हम प्रेम पूर्वक अपना कर सभी कार्य क्षेत्र में इसका अधिक से अधिक प्रयोग करेंगे व्यावहारिक रूप से राजभाषा एवं राष्ट्रभाषा बनाने का गौरव प्रदान करेंगे।
पदमा ओजेंद्र तिवारी
दमोह, मध्य प्रदेश
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