बेटी की ख़ुशी (daughter’s happiness)
बेटी की ख़ुशी (daughter’s happiness): एक सीधी-सादी मगर सलीके से रहने वाली लड़की थी हमारी पूनम। सब से मधुरता से बातें करना, मिल जुल कर रहना, अपने काम को बहुत तरीके से करना, यह सब गुण पूनम के अंदर जन्म से ही थे। पढ़ाई में काफ़ी अच्छी थी वह। बहुत मुश्किल से अपने माता-पिता को मनाने के बाद उसने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने पर एक नौकरी शुरू करी थी। वह अपनी नौकरी से बहुत खुश थी। बहुत कुछ करने की चाहत ही उसकी आंखों में।
अपना काम हमेशा समय पर पूरा करने के कारण जल्द ही उसने ऑफिस में अपनी जगह बना ली थी। स्वभाव में सहज होने के कारण सब उसे बहुत पसंद करते थे। पर कहते हैं ना हमसे ज़्यादा चिंता पड़ोसियों को हमारी होती है। पूनम उस समाज से आई थी जहाँ पर लड़कियों का नौकरी करना अभी भी अच्छा नहीं माना जाता था। पड़ोसियों के द्वारा लगातार बातें करने और भड़काने के कारण जल्दी पूनम की शादी तय कर दी गई।
पूनम ने उसे अपनी नियति समझकर स्वीकार कर लिया। बहुत सारे अरमान लेकर पूनम अपने ससुराल में आई। पर यहाँ पर कुछ अलग ही माहौल था। लाख सबकी मर्जी का काम करने के बावजूद भी नहीं घर में उसे कोई क्यों पसंद नहीं करता था। उसे कभी समझ में नहीं आया। ससुराल में उस पर तरह-तरह की पाबंदियाँ थी। उसे किसी बाहर वाले से बात करने की इजाज़त नहीं थी। घर के फ़ोन पर भी ताला लगाकर रखा जाता था अपने मायके वालों से बात ना कर ले।
पूनम को अपने पति से थोड़ी उम्मीदें थी पर वह भी वैसा ही निकला जब उसका मन होता पूनम के पास आता नहीं तो उससे बात भी नहीं करता। इन्हीं सब परिस्थितियों के बीच एक दिन उसे पता चला कि वह गर्भवती है। वह ख़ुशी से फूली न समाई उसे लगा कि अब सब कुछ शायद ठीक हो जाए। पर ऐसा ना था। उसके ससुराल वालों के व्यवहार में कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा था।
उसे अभी भी सिर्फ़ काम करने वाली एक बाई की तरह ही रख रहे थे। अब तो उसका पति उस पर हाथ भी उठाने लगा था। उस पर दबाव बनाया जा रहा था लड़का ही होना चाहिए। पूनम के मायके वालों को भी ख़बर नहीं करी गई कि वह गर्भवती है। पर कहते हैं ना जिसका कोई नहीं होता उसका भगवान होता है न जाने किस तरह उसके माता-पिता को पता चल गया कि वह गर्भवती है। एक दिन अचानक ही पूनम के माता-पिता उससे मिलने उसकी ससुराल आ पहुँचे।
उसकी खराब हालत और अवस्था को देखकर हैरान हो गए और देखकर वह ससुराल वालों की मर्जी के खिलाफ पूनम को अपने घर ले गए। पूनम अपने मायके आ गई। पर अभी भी उसके मन में उम्मीद थी कि शायद बच्चा होने के बाद कहीं कुछ सुधर जाए। जल्दी वह दिन आया एक प्यारी-सी बेटी को जन्म दिया। इसकी ख़बर पूनम के उसकी ससुराल में दी। जवाब में उन्हें सुनना पड़ा कि अब उसको वही रख ले। फिर भी पूनम सोचती थी कि शायद कभी बच्चे के मोह में पति मिलने आ जाए। देखते-देखते १ साल बीत गया पर उसकी ससुराल से कोई नहीं आया।
एक दिन उसकी ससुराल से फ़ोन आया। उसके पति का एक्सीडेंट हो गया है उसकी मृत्यु हो गई है। ख़बर अच्छी नहीं थी एक परिणीता के लिए यह अत्यंत दुख की बात थी पर पता नहीं पूनम को अजीब-सा सुकून महसूस हो रहा था। फिर एक बार नियति को स्वीकार कर लिया। धीरे-धीरे पूनम की बेटी बड़ी होने लगी। पूनम ने फिर नौकरी शुरू कर दी जहाँ पर वह पहले काम करती थी उसे वहीं पर काम मिल गया। वहाँ पर अब बहुत कुछ बदल चुका था। काफ़ी सारे कर्मचारी नए जुड़ चुके थे। उनमें से अजय भी एक था।
पूनम और अजय अक्सर काम के सिलसिले में बातें करते रहते थे। पूनम की सादगी देखकर अजय उसे चाहने लगा था उससे शादी करना चाहता था। पूनम इस बात से अनजान थी। एक बार मौका देख कर अजय पूनम के घर आ गया। थोड़ी देर इधर-उधर की बातें करने के बाद सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया। यह सुनकर पूनम अचानक घबरा गई। रूढ़ीवादी समाज के चलते और अपनी अतीत के कारण उसका किसी पर भी विश्वास उठ चुका था। उसने अजय को साफ-साफ ना कह दिया। पर अजय भी कहाँ हार मानने वाला था। उसने पूनम के मां-बाप के साथ में मुलाकाते बड़ा दी।
पूनम के मां-बाप अजय को पसंद करने लगे थे। वह जान गए थे अजय एक दिल का साफ़ और सुलझा हुआ व्यक्ति है। पर कहीं ना कहीं उन्हें भी समाज की चिंता सता रही थी। धीमे-धीमे २ साल बीत गए। पूनम के पिता ने देखा कि उनकी बेटी बहुत अकेली-सी है और उसकी बेटी को भी एक पिता चाहिए। आख़िर उन्होंने यह फ़ैसला ले ही लिया की पूनम का पुनर्विवाह करवा देना चाहिए। उन्होंने पूनम को समझाया बहुत समझाने के बाद वह मान गई। उन्होंने अजय और पूनम का रिश्ता तय कर दिया।
जैसे ही सब रिश्तेदारों और अड़ोस पड़ोस को पता चला तो हंगामा मच गया। पर पूनम के पिता ने किसी की एक न सुनी मुझे कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ता था कि कोई क्या बोलेगा अपनी बेटी कि ख़ुशी की परवाह थी। पूनम की शादी अजय से हो गई। अजय पूनम और पूनम की बेटी दोनों का बहुत ख़्याल रखता था। पूनम के चेहरे पर कुछ दिनों बाद अनोखी चमक आ गई और उसकी ख़ुशी देखकर उसके पिता ने चैन की सांस ली। समाज के खिलाफ जाकर अपनी विधवा बेटी का पुनर्विवाह करवा कर पूनम के पिता ने एक मिसाल क़ायम की।
आभा चौहान
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