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इंसाफ (Justice)
करना है भगवान तुझे इंसाफ (Justice)
क्यों कर रहा तू दुनिया साफ
क्यों छीन रहा किसी की माँ
किसी के पिता किसी के भाई
किसी के मांग का सिंदूर
क्यों रुला रहा है सबकों
कितने कष्ट में है दुनिया
रो रही सबकी आँखे
तू क्यों बंद किया अपनी आँखे
आज तुझे देना है ज़बाब
अब तुझे भगवान करना इंसाफ॥
डॉक्टर
हे डॉक्टर साहब तुम हो
भगवान का दूसरा रूप हो
करते दिन रात सबकी सेवा
दूसरा जन्म लोगों को देते हो
कोई गुस्से में भी बात करे
हंंस कर सबकी बात सुन लेते हो
रहेंगे हम सदा आपकी ऋणि
सबको नए-नए रोगो से मुक्त करते हो।
जान को जोखिम में लेकर
इस देश की सेबा करते हो
घर परिवार सब माँ के सहारे छोड़
मरीजों की सेवा में लगे रहते हो॥।
करती हूँ शत-शत प्रणाम आपको
जीतना भी कहुँ बहुत कम है।
खत तुम्हारें नाम का
खत तुम्हारें नाम का
लिखती हूँ कुछ ऐसा
जो तुम्हारें नाम का
तू मेरे सपने में आये
आकर मुझें तड़पाये
क्या है तेरा मेरा वास्ता
देखती हूँ तेरा रास्ता
मन मेरा इतना घबराये
कहीं बिछङ हम न जाये
खत तुम्हारें नाम का
लिखती हूँ कुछ ऐसा
जो तुम्हारें नाम का॥
माँ की कोख से आवाज़
माँ की कोख से आवाज़ है आई
माँ मैं कब बाहर आऊंगी
मुझे भी देखना है दुनिया
मुझे भी रहना है सबके संग
माँ बोली बस रूक जा
९ महीने होगी बहुत जल्दी पूरी
तू भी देखेगी दुनिया
हाँ माँ मुझे भी देखनी यहाँ की हरियलिया
प्यारे प्यारे फूल और खिलौना
माँ की कोख से आवाज़ आई
जब होंगे यहाँ आत्याचार
तो है तुझे रोकना
हिम्मत बाँध कर आना तू बेटी
करना है अच्छे बुरे का सामना
हाँ माँ हाँ माँ
ये दुनिया हैं बहुत प्यारी
यहाँ रहते अच्छे लोग
ये सब सुन कर माँ
लगता है अभी बाहर आ जाऊँ
नहीं नहीं ऐसा मत करना
कुछ दिन की बात
हर बात बताउंगी मैं तुमको
जो होता है इस दुनिया
तो ठीक है मैं अभी तेरे कोख में हूँ
तुम रखना अपना ख़्याल॥
गुड़िया रानी गुड़िया रानी
तू है मेरी प्यारी रानी
हरदम तेरे संग खेलू
मेरे दिल की तू है रानी
काले काले तेरे बाल
लाल गुलाबी तेरे गाल
सुंदर प्यारे छोटे हाथ
सदा रहे तू मेरे साथ
हर बच्चों को प्यारी लगती
सब रंगों में ख़ूब जचती
तुझे सवारूँ हर पल मैं
साँझ सवेरे पास मैं रखती
गुड़िया रानी बिटिया रानी
एक राजा-सा गुड्डा लाऊँ
तेरी शादी में जी भरकर
सब संग खेलू नाचूँ गाऊँ
तू जादू की पुड़िया है
सबसे न्यारी गुड़िया है
भूल न जाना प्रीत हमारी
दुश्मन हो चाहे दुनिया सारी॥
भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार बढ़ रहा है
अंबर भी रो रहा है
कोई किसी का सुन नहीं रहा है
काला बाजारी चल रहा है
किसे सुनाये व्यथा अपनी
गरीबों का जीना है मुश्किल
भ्रष्टाचार बढ़ रहा है
काम बस पूरा लेते
काम बस है पूरा लेते
वेतन मांगने में धमकी देते
इसे रोको इसे टोको
भ्रष्टाचार बढ़ रहा है॥॥
बाल विवाह
खिलौना नहीं हूँ मैं भी
मुझे ही मत खेलना,
बाल विवाह रोकना, सबको समझाना।
बचपन मुझे जीना
आगे है हमे बढ़ना,
राह जो रोके हमारा, अंगार बन जाना।
मुस्कान सिमट गई
सुनाई दी ये विबाह,
अश्क़ की धारा भी बही, कोई ना दर्द जाना।
जिम्मेदारी नहींं पता
अब प्रभु तू ही बता,
कैसा बना है ये रीत, अब रिहा कराना।
वो भी देखेंगी दुनिया
करेगी सपने पूरे,
उड़ान अब भरेगी, यह बात बताना॥
अबला नहीं सबला हूँ
नारी अबला नहीं सबला हैं
हर क़दम में आगे नारी है
रसोई में अन्नपूर्णा बन कर आती हूँ
घर में लक्ष्मी बन कर आती हूँ
संकट आने पर दुर्गा बन जाती हूँ
विद्यालय में सरस्वती बन कर जाती हूँ
जो भटकते हैं उन्हें गीता सुनाती हूँ
कभी दीप बन जाती हूँ
जब आये संकट
जिंगरी बन जाती हूँ
सबके मन को मोह कर
दिल में जगह बनाती हूँ
हर काम को हिम्मत से करती हूँ
तन मन से कोमल होती हूँ
दुर्बल नहीं समझती हूँ॥॥
नारी अबला नहीं सबला हैं।
प्रेम वाला रंग
प्रेम का रंग ऐसे चढ़ा
जो न उतरे कभी
प्रेम के प्रति मेरा क़दम ऐसे बडा़
जो न रुके कभी
प्रेम मैं तुमसे ऐसे किया
जो न टूटे कभी
तुमको बस पाना है मुझे
यही सोचता हूँ अभी
तुम मेरे हो मेरे रहना
दूर न जाना कभी
रो रो कर अश्क़ इतने बहाये
ये पूछो तो कभी
कैसे कटे तुम भी रातें
ये तुम न जानो गे अभी
भोले बहुत नादान हो
समझ जाओगे कभी
प्रेम का रंग ऐसे चढ़ा
जो न उतरे कभी॥।
मत मारो मुझे कोख में
मैंने क्या जुर्म किया
मारना हैं तो उन दरिन्दों को मारो
जो बेटी का सम्मान नहीं करतें
बेटी को आगें बढ़ाओ
बेटी को शिक्षा दो
उसे सर झुका कर
चलने को मत कहो
उनकों अपने हक़ के लिये लड़ने दो
जो हो रहें अनाचार, उसके खिलाफ आवाज़ उठा सकें
बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ
बेटी है तो आज हैं, बेटी हैं तो कल
बिन बेटी के ये जग सूना
बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ
बेटी हो तो ख़ुसी मनाओ
यह सन्देश सबकों बताओ
जगह जगह फैलाओ
नारे लगाओ
बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ
घर घर जाकर बेटी होने पर उनकों बधाई दो
हर क़दम में बेटी को करो आगें
पुरानी सोच को करो दूर
बेटी होने पर खुशिया मनाओ
बेटी ही होती लक्ष्मी रूप
बेटी ही होती काली रूप
बेटी ही दुर्गा रूम
बेटी ही सरस्वती रूप
बेटी पर प्यार लुटाओ
बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ॥
अनाचार
फिर हुआ अनाचार
हम बहुत शर्मिंदा हैं निर्भया
आज फिर किसी की इज्ज़त लूटी
अपनी हवस फिर मिटाये
भूल गये वह दरिन्दे
उनकी भी हैं बहन बेटी
गिद्ध के जैसे
नोंच खाये
आग जैसे हवस अपना मिटाये
ईश्वर को भी हैं बहुत पछतावा
क्यू बनाया मैं इनको मानव
जो नहीं जानता नारी का सम्मान
जो भूल जाता हैं अपनी बेटी बहन को
रोती रहती हैं माँ
मैं कैसे जानवरों को जन्म दिया
जो आज एक नारी का अपमान किया
हाथ पैर को तोड़े
पहले किया अनाचार
फिर हत्या करने की कोशिश की
मुँह से आवाज़ न आने
पर आत्मा उसकी
चीख चीख कर रोती बेटी
सबसे पूछे एक सवाल
ऐसा कौन-सा क़ानून बना
जो रोक सकें अनाचार।
बादलों के गाँव में
आ चल चले हम
बादलों के गाँव मे
क्या शर्म करे हम
आ चल चले हम
बादलों की गाँव मे
इस दुनियाँ से दूर एक घर
एक घर बनायेगे
ले मुझे चल मुझे दूर हवाएँ
जो बदल मेरी प्यास बुझाए
आ चल चले हम
बादलों के गाँव में
जब देखू मै
इधर उधर
दूर तक पानी-पानी है
आ इस पानी में बैठ हम बात
मिलता यहाँ सुकून
आ यहाँ कुछ फरियाद करें
आ चल चले हम
बादलों की गाँव में॥
यूँ ना जाओ छोड़ कर मुझे
तेरे बिन मन नहीं लगता
बेचैन-सी रहती हूँ तेरे बिन
यूँ न जाओ छोड़ कर मुझे
जहाँ भी देखू
तेरा चेहरा ही दिखता है
हर पन्ने पर लिखती हूँ तेरा नाम
यूँ ना जाओ छोड़कर मुझे
जैसे ही शाम होती है
तेरा रास्ता देखने लगती हूँ
मन नहीं लगता तेरे बिन
भूख प्यास सब ख़त्म हो गये तेरे बिन
यूँ ना जाओ छोड़ कर मुझे
हर लब्ज में तेरा ही नाम है
रास्ते में चलती हूँ
तेरे साये नज़र आते है
हर दीवार के कोने-कोने में
तेरी तस्वीर नज़र आती है
यूँ ना जाओ छोड़ के मुझे।
शब्द ही शक्ति है
शब्द में ऐसी शक्ति है
जो अपनो को करे दूर
और पराये को अपना ले
कठोर शब्द बोल कर
अपनो को भी दूर कर सकते है
मीठी वाणी बोल कर
दुश्मन को करे एक
शब्द ही है जो
दोस्त को दुश्मन बना दे
और यही शब्द दुश्मन को दोस्त बना दे
और यही शब्द जो देते है गाली
उसी को बदल कर करे गाली को मिठास
शब्द ही अपनो से कराये दुश्मनी
शब्द ही अपने बड़ो से कराये परिचय शब्द ही है जो रुला देता है
शब्द ही ऐसा जो हँसा देता है
शब्द ही है जो शिखरों में चढ़ा देता है
नफरत की शब्द को प्यार से बया करना चाहिए शब्द तो होते है लाखो
पर बन जाती है हजारो बाते
शब्द ही ऐसा होता है
महके तो लगाव
बहके तो तनाव॥॥॥
पेड़ लगाओ, धरती बचाओ
पेड़ लगाओ धरती बचाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
पेड़ हमारे अभिन्न अंग है
ये वातावरण को शुद्ध बमाये
ये हमे शुद्ध हवा दे
जब धरती पर तप्ती है आग सी
तो पेड़ देते है छाव
जब जलते पाँव ख़ुद ही
करते है हम गलती
जो पेड़ काटते है
करते है वह ख़ुद ही गलती
पेड़ प्रदूषण को करता है दूर
जल जीवन और लोगों को
करता है प्रभावित
हरे हरे पेड़ धरती पर लगाना चाहिए
प्रकृति को सजाना चाहिए
ये पेड़ है प्रकृति का सुंदर उपहार
पेड़ लगाओ धरती बचाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ॥
अर्पणा दुबे
अनूपपुर मध्यप्रदेश
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१- उपलब्धि
२- लिबास
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