Table of Contents
लिबास (Dress) :
लिबास (Dress): रिहाना: अम्मी, अम्मी। मैं स्कूल नहीं जाऊंगी। सब मुझे चिढ़ाते हैं, आप के कारण सब मुझ पर हंसते हैं। कहते हैं कि रिहाना तुम तो स्कूल भी बुरक़ा डालकर आती हो।
रुखसार (रिहाना की अम्मी) : नहीं बेटा ऐसा नहीं है। तुम तो मेरी जान हो। तुम्हें तो पता है कि स्कूल ड्रेस के कलर का ही मैंने तुम्हारे लिए फुल कुर्ता सिला दिया है और दुपट्टा भी बनवा दिया है।
रिहाना: अम्मी आप ही पहनिए। मुझे ऐसे लिबास नहीं चाहिए, जिससे मेरा मज़ाक बने। स्कूल में सब स्कर्ट पहन कर आते हैं और आप ना जाने किस दुनिया में खोई हैं कि मुझे स्कूल भी अब बुरक़ों की तरह कपड़ा पहन कर जाना पड़ रहा।
रुखसार: ठीक है, आज पहन कर चली जा। कल से ना बोलूंगी।
रिहाना: यह तो आप रोज बोलती हैं लेकिन दूसरे दिन ही फिर से आपकी यही बातें।
रिमी (रिहाना की सहेली) : रिहाना, रिहाना। स्कूल नहीं चलेगी क्या? लेट नहीं हो रहा? आज भी तुम लेट करोगी।
रिहाना: बस रिमी, सिर्फ पांच मिनट दे। अम्मी की पोशाक पहन कर आती हूँ।
(रिमी और रिहाना स्कूल जाते हैं)
रिमी: मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता है रोज़-रोज़ अपनी माँ से पोशाक के लिए बहस करना; इसलिए उन्होंने जो सिलवा दिया है, मैं वही पहन कर आ जाती हूँ लेकिन तुझे तो रोज बहस करना है। रिहाना, तुझे तो पता है न कि हमारी माँ हमें लेकर कितनी चिंतित रहती हैं?
रिहाना: हाँ मालूम है मुझे।
रिमी: तुझे पता है ना इस समय बलात्कार…
रिहाना: हाँ, हाँ। अब तू भी शुरू ना कर दे और एक बात बताओ, बलात्कार का पोशाक से क्या लेना-देना?
रिमी: अरे पागल, माँ कहती है कि आदमी छोटे-छोटे कपड़ों में लड़कियों को देखते ही जानवर हो जाता है। उनकी नियत डोल जाती है और फिर वह उस लड़की का शिकार करने के लिए निकल जाता है।
रिहाना: (हा हा-हा हा) पागल है तू…
रिमी: सच में बोल रही हूँ। पिताजी कहते हैं बलात्कार तो पहनावे के कारण ही होता है।
रिहाना: अच्छा पहनावे के कारण बलात्कार कैसे?
रिमी: तू भी तो रोज देखती है न। छोटे-छोटे कपड़े पहन कर स्कूल जाओ, मार्केट जाओ या कहीं भी जाओ तो सभी की नज़रें हमारे कपड़ों में ही होती हैं।
रिहाना: सब फालतू की बातें हैं। लोगों को बोलो न कि अपना नज़रिया बदलें। हमें क्यों कपड़े बदलने के लिए बोलते हैं?
रिमी: सच बोल रही हूँ। माँ ने तो दीदी के लिए भी हमेशा ऐसे ही कपड़े बनवाए।
रिहाना: हाँ देख रही हूँ। तेरी माँ मेरी माँ से कम थोड़ी है। (दोनों हंसती हैं)
रिमी: ठीक है चल, सोनिया भी रास्ते में मिल गई।
सोनिया: हाय, कैसी हो तुम दोनों। देखो मेरा न्यू स्कर्ट, न्यू शूज… पापा जी ने दिलाया है।
रिमी: वाह! बहुत छोटे हैं… तू स्कूल ऐसे आएगी?
सोनिया: हाँ, मेरे मम्मी-डैडी ने कहा है जो ड्रेस है, वही पहन कर जाओ।
रिहाना: तुम्हारे मम्मी पापा को डर नहीं लगता?
सोनिया: डर किससे?
रिमी: बलात्कार से…
सोनिया (चौंककर) : व्हाट नॉनसेंस? क्या पागलों की तरह बोल रही हो?
रिमी: (सिर नीचे की ओर करते हुए) मेरे मां-पापा कहते हैं कि छोटे कपड़े पहनने से बलात्कार हो जाता है।
रिहाना: (हंसते हुए) इसके मां-पापा तो कहते बस हैं। मेरी अम्मी ने तो देखो मेरे लिए पूरा ऊपर से नीचे तक पोशाक ही दिलवा दिया।
सोनिया: ओह! अच्छा, इसीलिए तुम दोनों फुल कपड़े पहनते हो।
रिहाना: हाँ भई…
सोनिया: एक बात बताओ, न्यूज़ पेपर और न्यूज़ चैनल देखती हो?
रिमी-रिहाना (दोनों एक साथ) : हां-हाँ।
रिमी: तो उसमें भी तो हमेशा बलात्कार का मुख्य मुद्दा यही होता है कि लड़की के साथ बलात्कार इसीलिए हुआ कि उसने छोटे कपड़े पहन रखे हुए थे।
रिहाना: (रिमी का समर्थन करते हुए) हाँ, टीवी में तो यह भी बोला जाता है कि लड़कियों को शाम को क्या ज़रूरत है घर से बाहर जाने की। उन्हें घर में ही रहना चाहिए, ना तो उन्हें छोटे कपड़े पहनने चाहिए, ना तो उन्हें किसी लड़के से दोस्ती करनी चाहिए, अगर नौकरी करती है तो दिन का शिफ़्ट ले सकती हैं, कपड़े हमेशा ढीला-ढाला पहन सकती हैं, और जींस पहनने की तो कोई ज़रूरत ही नहीं। मां-बाप को जितनी जल्दी हो सके, लड़की की शादी कर देनी चाहिए। लड़की अपने नखरों से लड़को को आकर्षित करती हैं … और न जाने क्या-क्या बोलते रहते हैं।
सोनिया: हाँ, यही दिखाते और बोलते हैं और आज तुम दोनों उनका समर्थन कर रही हो?
रिमी: हम समर्थन नहीं कर रही हैं। जो मम्मी-पापा ने समझाया, वही बता रहे हैं। (रिहाना भी रिमी का समर्थन करती है)
सोनिया: देखो, स्कूल आ गया। चलो, अब शाम में इस बारे में बात करेंगे।
टीचर: सभी बच्चे प्रार्थना करने के लिए चलो।
(प्रार्थना के बाद)
टीचर: आज आप सभी बच्चों से मिलने मेडिकल कॉलेज से डॉक्टर मैडम आई हैं। वह तुम्हें कुछ सिखाएंगी और तुम्हारे भविष्य निर्माण हेतु ज़रूरी बातें बताएंगी; इसलिए आज सभी बच्चे हाल में ही बैठेंगे। हॉल में सभी बच्चों की बैठने की व्यवस्था की गई है। लाइन बनाकर सभी बच्चे हॉल की तरफ चलें और एक लाइन से चेयर पर बैठ जाएँ।
मैडम: आज हमारे बीच मेडिकल कॉलेज इंदौर कि डॉक्टर कीर्ति नायक (साइकोलॉजि की प्रोफेसर) हम सभी के समक्ष हैं मैं उनका स्वागत और अभिनंदन करती हूँ और उनसे विनम्र निवेदन करती हूँ, वह स्टेज में आएँ। सभी बच्चे स्वागत करें डॉक्टर कीर्ति नायर जी का। (बच्चे जोरदार तालियाँ बजाते हैं)
डॉक्टर कीर्ति नायर: (स्टेज में पहुँचकर) मेरे प्यारे बच्चो, मैं आज आप सभी के साथ अपने जीवन के कुछ अनुभव शेयर करना चाहती हूँ, आप लोगों को कुछ बताना चाहती हूँ, कुछ सिखाना चाहती हूँ। आप लोग सीखोगे न मुझसे?
बच्चे: (ज़ोरदार आवाज़ में) यस मैम।
डॉक्टर कीर्ति नायर: और मुझे कुछ दिखाओगे ना?
बच्चे: (मुस्कुराते हुए ज़ोरदार आवाज़ में) यस मैम।
डॉक्टर कीर्ति नायर: जब आप छोटे रहे होंगे, तब आपके मम्मी पापा ने आपको गुड टच, बैड टच के बारे में बताया होगा। आप सब गुड टच, बैड टच जानती होंगी। आज उसी बातों पर हम चर्चा करेंगे और जिन बच्चों के मन में जो भी सवाल हो, वे मुझसे बेझिझक पूछ सकते हैं। मैं आज आपके सारे सवालों के जवाब देकर ही जाऊंगी। पूछोगे ना आप लोग सवाल?
बच्चे: यस मैम।
डॉक्टर कीर्ति नायर: बच्चो, आप सभी क्लास सिक्स्थ से ट्वेल्फ़्थ तक के विद्यार्थी हो। जो बातें मैं बताने जा रही हूँ, वे बेहद ज़रूरी हैं। विदेशों में विद्यालयों में इनकी अलग से कक्षाएँ चलती है परंतु हमारे यहाँ ऐसी कोई सुविधा नहीं है और मैं चाहती हूँ कि हमारे यहाँ भी बच्चों को एजुकेशन में वे सारी बातें बताई व सिखाई जाएँ, जो उनकी सुरक्षा के लिए अति आवश्यक है। आप हमेशा सुनते हैं कि कहीं ना कहीं, किसी ना किसी की लड़की के साथ छेड़खानी हुई है, रेप हुआ है। ऐसी बातें सुनकर आप सभी के मन में आक्रोश आता होगा और प्रश्न उठते होंगे कि ऐसा क्यों होता है। क्या प्रश्न उठते हैं तुम्हारे मन में?
बच्चे: यस मैम।
डॉक्टर कीर्ति नायर: मैं चाहती हूँ कि कक्षा ६ से १२ तक के सभी बच्चो को इन सब के बारे में समझाया और बताया जाए और उन्हें सेल्फ डिफेंस के लिए प्रैक्टिस करवाई जाए।
मैडम: जी मैम।
रिहाना: (हाथ ऊंचा करती हुई) मैडम जी, मैडम जी, मुझे आपसे कुछ पूछना है।
डॉक्टर कीर्ति नायर: हां-हाँ पूछो।
रिहाना: बलात्कार कपड़ों की वजह से होता है?
डॉक्टर कीर्ति नायर: ऐसा किसने कहा तुमसे?
रिहाना: मेरी अम्मी कहती हैं।
डॉक्टर कीर्ति नायर: क्या कहती हैं तुम्हारी अम्मी?
रिहाना: कहती हैं कि छोटे कपड़े पहनने की वजह से बलात्कार होते हैं।
डॉक्टर कीर्ति नायर: नहीं, यह बात सही नहीं है।
रिहाना: मैं अपनी मम्मी को रोज़ समझाती हूँ लेकिन वह समझती ही नहीं हैं। मेरा स्कूल ड्रेस देखिए ना, फुल कपड़े पहना कर भेजती हैं। कहती हैं कि छोटे कपड़े पहनने से तुम्हारे साथ भी वही हो जाएगा, जो बाकी छोटे कपड़े पहनने वाली लड़कियों के साथ होता है।
डॉक्टर कीर्ति नायर: ऐसा नहीं है बेटा, छोटे कपड़े पहनने से बलात्कार का कोई सम्बंध नहीं है। बलात्कार एक मानसिक रोग है, जिसका मूल कारण नशा, गंदी फ़िल्में और क्रूर मानसिकता होती है। इसका कपड़ों से कोई सम्बंध नहीं है।
रिमी: मैडम क्या मैं कुछ बोल सकती हूँ?
डॉक्टर कीर्ति नायर: हाँ बेटा, बिल्कुल बोलो।
रिमी: मैडम जब नशा इसका कारण है तो सरकार नशा बेचने वाले लोगों को सजा क्यों नहीं देती? क्यों देश में आज भी जगह-जगह दारू भट्टी हैं? लोग खुलेआम गांजा बेच रहे हैं, अफीम-चरस-हेरोइन, इन सब का नाम क्यों हमेशा आता है? इन्हें पूरी तरह से बंद नहीं कर दिया जाता है? जब हम जानते हैं कि हमारे देश का विकास कैसे होगा तो उस विकास को करने के लिए क्यों इन सब चीजों में पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया जाता? क्यों मैम क्यों?
डॉक्टर कीर्ति नायर: बेटा मैं तुम्हारी बातों से पूर्णत: सहमत हूँ। सरकार प्रयास तो करती है लेकिन प्रतिबंध नहीं लगा पाती। उसका मूल कारण है, जनता का समर्थन ना मिल पाना। तुमने सुना होगा, भारत में पॉलिथीन बैन कर दी गई है लेकिन इसके बाद भी तुम अभी सामान लेने को निकलोगी तो तुम्हें पॉलिथीन में ही समान दिया जाएगा और तुम उसे मना भी नहीं करोगी। क्या तुम मना करोगी या आज तक तुमने कभी मना किया है? बताओ मुझे?
रिमी: नहीं मैडम, कभी नहीं मना किया। आप सही बोल रही हैं। हम जानते हुए भी कभी घर से झोला नहीं लेकर जाते और हम खुद पॉलिथीन की मांग करते हैं, हम गलत हैं मडम।
डॉक्टर कीर्ति नायर: यही बात तो समझाना चाह रही हूँ बेटा। सरकार ने सरकारी कागजों पर यह मोहर लगा दिया गया कि भारत में नशा का सामान बेचना गैर कानूनी है लेकिन जनता जब इस बात को स्वीकार करें तब ना। जनता मांग करती हैं और उन मांगों की पूर्ति होती है। नशा भी उन्हीं में से एक है। जब तक पूरा समाज एक होकर एक साथ आवाज़ नहीं उठाएगा। तब तक नशा मुक्त समाज की कल्पना करना मूर्खतापूर्ण है।
सोनिया: (खड़े होकर) तो क्या हम ऐसे ही जीवन भर सिर्फ कपड़ों की वजह से ही शिकार कहलाते रहेंगे जबकि उसका मूल कारण तो नशा घिनौनी मानसिकता, गंदी वीडियोज़, यह सब है। इन सब में बैन लगाने से ही कुछ हो सकता है। हमारे कपड़ों पर क्यों बैन लगाया जा रहा है?
रिमी: जी मैडम, आप भी देख रही हैं। अभी कुछ ही दिनों पहले एक दादा ने अपनी पोती को इसलिए मार दिया क्योंकि उसने जींस टी-शर्ट पहना हुआ था।
रिहाना: मैडम मुझे इन कपड़ों में कोई परेशानी नहीं है। बस परेशानी है तो मेरे मन में उठते हुए सवालों से। मैं इन कपड़ों का बोझ तो सह सकती हूँ लेकिन मेरे मन में उन खौलते हुए सवालों का बोझ नहीं सहन कर पा रही। बस एक ही बात बार-बार मन में आती है कि छोटे कपड़े पहनने से बलात्कार कैसे हो सकता है और बड़े कपड़े पहनने से बलात्कार क्यों नहीं हो सकता। बलात्कार का कपड़ों से क्या सम्बंध।
डॉक्टर कीर्ति नायर: तुमने सही कहा बेटा, कपड़ों का बलात्कार से कोई सम्बंध नहीं है। मैं आज तुम्हें एक कहानी सुनाती हूँ। क्या तुम सब कहानी सुनना पसंद करोगी?
सभी बच्चे: (एक साथ तेज़ आवाज़ में) जी मैडम।
डॉक्टर कीर्ति नायर: (कहानी सुनाती है) एक लड़की थी, जिसको उसके मां-बाप प्यार से दिया कहते थे। वह बहुत सुंदर थी, हंसती-खिलखिलाती रहती थी, हमेशा खुश रहती थी। उसकी उम्र महज ५ वर्ष थी। स्कूल जाना उसने शुरू ही किया था। स्कूल में उसने प्यारे-प्यारे ड्राइंग बनाना सीखा। अपनी प्यारी तोतली आवाज़ में उसने कविता बोलना सीखा और अपने स्कूल की प्रार्थना भी सीखी। जो भी अंकल-आंटी उसके घर में आते थे, उन सभी को वह अपने स्कूल की प्रार्थना सुनाती थी।
बहुत ही प्यारी बच्ची थी। जो भी उसे देखे, वाह उसका मन मोह लेती थी लेकिन एक दिन उसकी ज़िन्दगी में एक राक्षस आया, मोटा ताज़ा काले कलर का राक्षस, जिसे वह अंकल कहती थी और वह अंकल जब भी आता, उसके लिए एक चॉकलेट ले आता। दीया के मां-बाप भी समझते थे कि वे दीया को बहुत प्यार करते हैैं। अपनी बेटी से ज़्यादा इसलिए उसके इसलिए चॉकलेट लाते हैं, वह अपने अंकल के साथ खेलती रहती थी।
एक दिन दीया अपने कमरे में अकेले खेल रही थी, तभी वह चॉकलेट वाले अंकल आए और दीया से कहा हम तुम्हारे लिए बहुत सारा चॉकलेट लाए हैं। तुम हमारे साथ एक गेम खेलोगे? दीया को तो कुछ मालूम ही ना था। वह मासूम खुश हो गई। तोतली आवाज में बोलते हुए उसने हाँ कर दिया। अंकल ने कहा-मैं जैसे-जैसे कहूंगा तुम्हें वैसे-वैसे करना है। इस गेम में जिसको ज़्यादा दर्द होगा। वह रोएगा नहीं। अगर रोएगा तो हार जाएगा और उसकी चॉकलेट उसे नहीं मिलेगी और दर्द होने पर भी नहीं रोएगा तो यह सारी चॉकलेट उसी की है। दिया तो मासूम-सी बच्ची। उसे तो कुछ मालूम ही नहीं था कि-कि वह उस राक्षस के हवस का शिकार होने जा रही है और वह उसकी बातों में आ गई।
उसने दीया के साथ बहुत ही गंदी हरकतें की, जिससे दीया के प्राइवेट पार्ट से खून निकलने लगा और खून लगातार बढ़ता ही जा रहा था। अंकल घबरा गया और दिया को उसके कमरे में छोड़कर भाग गया। दीया बेहोश अपने कमरे में खून से लथपथ पड़ी हुई थी। आधे घंटे बाद उसकी माँ दीया-दीया की आवाज़ देती हुई कमरे में पहुँची तो दिया को देख कर उसकी आंखें खुली की खुली रह गईं। (रोती हुई) यह क्या हो गया… दीया की माँ की चीख सुनकर उसके पापा भी दौड़ते हुए आए और उन्होंने दीया को तुरंत हॉस्पिटल ले जाने के लिए गाड़ी निकाली। दीया को हॉस्पिटल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टर ने कहा की दीया के साथ बलात्कार हुआ है, जिससे इसका प्राइवेट पार्ट फट गया है ऑपरेशंस होंगे, तभी जाकर यह ठीक हो पाएगी।
दीया के माता-पिता तो यह समझ ही नहीं पा रहे थे कि उनकी बेटी के साथ यह हो क्या गया और किसने किया है… दीया की माँ का तो रो-रोकर बुरा हाल हो रहा था, २ दिन बाद जब दिया को होश आया, तब पुलिस और दिया के मम्मी-पापा ने उससे पूछा कि किसने किया है बेटा यह सब? दीया ने कहा-चॉकलेट वाले अंकल। दीया के मम्मी-पापा यह सुनकर दंग रह गए। जिन पर उन्होंने इतना भरोसा किया था उन्हीं ने उनकी बच्ची की ज़िन्दगी बर्बाद कर दी।
अब बताओ बच्चो, क्या पांच साल की बच्ची किसी को अपने छोटे कपड़े पहन कर आकर्षित कर सकती है? यहाँ घिनौनी मानसिकता ही सामने आई कि नहीं, बताओ?
रिहाना: जी मैम, आपकी यह कहानी सुनकर मुझे और मेरी तरह सभी लड़कियों को यह समझ में आ गया कि बलात्कार कपड़ों की वजह से नहीं, घिनौनी मानसिकता की वजह से होती है।
रिमी: जी मैम, लेकिन मैम अगर कभी ऐसा हुआ तो हमें क्या करना चाहिए? हमें कैसे तैयार रहना चाहिए?
डॉक्टर कीर्ति नायर: बेटा, इसके लिए आपको कराटे सीखना बहुत ज़रूरी है। छोटे बच्चों के साथ यह होता है, तो उनके माता-पिता को अपने बच्चों को पहले से ही सतर्क रखना ज़रूरी है। कोई अंकल हो, कोई परिचित या अपरिचित… बच्चों से उतना ही सम्बंध बनाए, जितना आवश्यक है। आज के समय में सभी लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की क्लासेस ज़रूर लेनी चाहिए। आजकल तो इंटरनेट का जमाना है। मोबाइल में यूट्यूब या गूगल के माध्यम से सर्च करके सेल्फ डिफेंस की वीडियो देखकर तुम कराटे सीख सकती हो और अपने स्कूल में भी कराटे क्लासेस की मांग कर सकती हो, यह जरूरी है।
सोनिया: मैम आज आपने हमें सही बात बताई। जो बातें हमें किसी ने नहीं बताई थी। मैम आप साइकोलॉजी की प्रोफेसर हैं। बस एक बात पूछना चाहती हूँ कि आप सायकोलॉजी की प्रोफेसर कैसे बनीं?
डॉक्टर कीर्ति नायर: (मुस्कुराते हुए) जिस प्रकार तुम लोगों के मन में बलात्कार के लिए प्रश्न उठते हैं, वैसे ही मैं भी इसका कारण जानना चाहती थी। फिर उसके बाद मैंने साइकोलॉजी की पढ़ाई की, पीएचडी की।
सोनिया: थैंक यू मैडम, (मासूमियत भरी आवाज़ में) मैडम जी दीया का क्या हुआ?
डॉक्टर कीर्ति नायर: आज दीया आप सभी के सामने है। आप सभी को समझा रही है कि भविष्य में कभी आप सभी के साथ ऐसा कुछ ना हो। क्यों मेरे बच्चे समझ गए ना कि दीया ही आप की डॉक्टर कीर्ति नायर है?
अनुराधा शुक्ला
शोधार्थी, पंडित एस०एन० शुक्ला विश्वविद्यालय, शहडोल मध्य प्रदेश
यह भी पढ़ें-
१- उपलब्धि
5 thoughts on “लिबास (Dress) : अनुराधा शुक्ला”