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और इंतज़ार ख़त्म हुआ
और इंतज़ार ख़त्म हुआ: २९ जून २०२४ ये तारीख़ भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सुनहरें पन्नों में दर्ज हो गई। भारतीय टीम साल २००७ के बाद १६ वर्षों बाद़ इतिहास बनानें में कामयाब रही और खिताब़ जीतनें में भी। इस वर्ष भारतीय टीम एक भी मुकाबला हारे बिना अजेय रथ पर सवार हो विश्व विजेता बनी। १६ वर्षों में हर बार नज़दीक आकर फिसलते रहे। टीमों में कमी नहीं थी बस छोटी-छोटी चूक हमसे हर बार खिताब को दूर कर रही थी, लेकिन इस बार सारी खामियों को पार करते हुए दबाव में ना बिखर कर उसे सोखते हुए भारतीय टीम ने कर दिखाया। मैदान पर खिलाड़ी तिरंगा लिए रो रहे थे और एक सच्चा क्रिकेट प्रेमी होने के नाते आसूं मेरी आँखों में भी थे। सच में हर भारतीय के लिए यह एक गौरवशाली क्षण था।
कईं मायनों में ख़ास रही यह यात्रा। इस विश्व कप से पहले जिस प्रकार भारत आस्ट्रेलिया से विश्व टैस्ट चैम्पियनशिप का फाइनल हारा और फिर से आस्ट्रेलिया ने एकदिवसीय विश्व कप २०२३ के फाइनल में भारत को हराया, वह भारतीय टीम हो या एक क्रिकेट प्रेमी होने के नाते सहन करने योग्य नहीं था। उसके बाद इस जीत ने पुरानें घावों पर मरहम़ लगा दिया।
एक भयंकर हादसे के बाद़ जिस प्रकार ऋषभ पंत ने वापसी की वह अपनें आप में उनके साहस, खेल के प्रति उनकी चाहत को दर्शाता है। चोट के चलते हार्दिक पंङ्या, सूर्यकुमार यादव जिस प्रकार टीम से अंदर-बाहर होते रहे, उनका टीम में अहम स्थान पाना भी बेहद रोचक था। ख़ासकर हार्दिक को जिस तरह गुजरात से लाकर (IPL) में मुम्बई इंडियन का कप्तान बनाया गया और जिस प्रकार पंड्या को आलोचना और गालियाँ मिली, उन पर अभद्र टिप्पणियाँ की गई आज वही लोग उनके गीत गा रहे होगें। हार्दिक का प्रदर्शन इतना शानद़ार रहा कि इस टीम में वह रीढ़ की हड्डी बने रहे और सूर्या की तेज-तर्रार पारियाँ हो या डेविड मिलर का सीमारेखा पर नामुमकिन दिखाई देने वाला कैच हो, विश्व कप के सबसे शानदाऱ कैचों में गिना जायेगा क्योंकि अगर सूर्य वह कैच नहीं पकड़ते तो शायद़ हम ये खुशियाँ नहीं मना पाते।
हमारें सभी गेंदबाजों ने अविस्मरणीय प्रदर्शन किया। जसप्रीत बुमराह ने सभी मैचों में गेंदबाजी की ऐसी धार दिखायी कि विश्व का कोई भी बल्लेबाज उसके वार से नहीं बच पाया और आज पूरा विश्व उसका लोहा मान रहा है। अर्शदीप सिंह ने चमत्कारी प्रदर्शन किया और भारत के लिए सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बनें। कुलदीप यादव, अक्षर पटेल और रविन्द्र जडेजा की तिकड़ी ने भी गजब़ का प्रदर्शन किया। अन्तिम मुकाबले में ज़रूर यह तिकड़ी दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों के आगे बिखरी नज़र आयी लेकिन कुल मिलाकर उनका प्रदर्शन काबिल-ए-तारीफ़ ही कहा जायेगा।
फाइनल में जिस प्रकार विराट कोहली के साथ अक्षर पटेल ने ०३ विकेट गिरने के बाद़ साझेदारी की और ४७ रनों की याद़गार पारी खेली, वह कभी भूली नहीं जायेगी। उस पारी की बदौलत विराट कोहली उस दबाव से उबर कर इस विश्व कप में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाये।
भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने जिस प्रकार स्वयं आगे आकर टीम का नेतृत्व किया, टीम को बाँधे रखा वह देखने लायक था। सुपर ८ मुकाबले में आस्ट्रेलिया के खिलाफ़ उनकी ९२ रनों की पारी और सेमीफाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ लगाया गया उनका अर्धशतक हमेशा याद़ किया जायेगा।
दबाव कम करने को उनका स्वयं आगे आकर प्रदर्शन करना उनके विश्वास और आत्मबल को दिखाता है, जब आपका कप्तान स्वयं आगे आकर प्रदर्शन करे, दबाव से लड़े तो पूरी टीम ही ऊर्जा से ओत-प्रोत हो जाती है और यह हुआ भी। हमारी ओपनिंग जोड़ी इस पूरे विश्व कप में विफल रही, विराट कोहली इस कड़ी में ज़्यादा आउट हुए लेकिन उसके बाद ऋषभ पंत हो, सूर्यकुमार हो, अक्षर पटेल हो, शिवम दुबे हो या हार्दिक पंड्या सभी ने महत्त्वपूर्ण मौकों पर टीम को संकट से निकाल लिया।
इस कड़ी में एक और महत्त्वपूर्ण किरदार है जिसे बिल्कुल भी भुलाया नहीं जा सकता, वह है भारतीय टीम के कोच- (दॅ वॉल कहे जाने वाले) राहुल द्रविड सर। उन्होंनें मैदान के बाहर से भारतीय टीम को जिस प्रकार संभाला और बनाया वह प्रशंसनीय है। कप्तान रोहित शर्मा और कोच राहुल द्रविड की जुगलबंदी ने यह विश्व कप भारत के नाम करा दिया।
एक प्रशंसक होने के नाते यह कहना चाहूँगा कि हमारी यह टीम खास़ थी जिसने अपने प्रदर्शन से हर क्रिकेट प्रेमी को सर ऊँचा करने का गौरवपूर्ण पल दिया और दुःख यह रहेगा कि यह विश्व कप बहुत सारे खिलाडियों का अन्तिम टी-२० विश्व कप रहा जिन्हें हम खेल के इस हिस्से में दोबारा नहीं देख पाएंगें। विराट, रोहित, जडेजा, वार्नर, विलियम्सन्, बोल्ट जैसे और भी खिलाड़ी टी-२० से विदा ले गये और साथ़ ही भारतीय टीम के कोच (राहुल द्रविड) जी का कार्यकाल भी समाप्त हो गया। खुशियों के पलों में दुःख भी आया है, लेकिन रीत तो यही है कुछ भी सदा के लिए नहीं रहता। अब नए कप्तान और नए कोच के साथ़ भारतीय टीम क्रिकेट की किताब में नया अध्याय लिखेगी। भारतीय टीम को टी-२० २०२४ विश्व कप जीतनें की बधाई और भविष्य के लिए शुभकामनाएँ॥
वरूण राज ढलौत्रा
सहारनपुर (यू०पी०)
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