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भारत की प्रथम महिला सरोजिनी नायडू
सरोजिनी नायडू: सशक्तिकरण महिला का चेहरा
सरोजिनी जी के रूप में जान रहे,
उनके संघर्षों के पथ से उनको
राजनीति तक आज पहचान रहे।
स्वतंत्रता सेनानी के रूप में,
वे सदैव बड़ा मनोवल रखती थी
भारत को लेखन से जोड़कर
वीर काव्य यह कहती थी
यह भारत तुम्हारा है …
यह इतिहास तुम्हारा है …
झुक ना जाए जीवन पथ पर,
सर ओ मातृभूमि के लाडलो
रक्षा के अधिकारी बनो तुम,
यह सर्वसिद्धि हित तुम्हारा है॥
सरोजिनी जी के सम्मान में
हम नमन आज करते हैं
उनकी जैसा कौन यहाँ,
भारत में कोई सितारा हैं॥
आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर, मध्य प्रदेश
भारत
हे मन माधव तू मेरा
पल-दो-पल का रैन बसेरा
जीवन है कितना ये तेरा
चांद सितारों को भी यहाँ
एक दिन धूमिल ही होना
किसको क्या दे जाएंगे
किसका क्या ले जाएंगे
सोच विचार कर मन मेरे,
समय कभी ये नहीं ठहरा
यही रह जाएगा सभी झमेला
न होने देना अपना मन मेला
अपने जीवन में भरकर प्रेम
शुक्रिया शुरू करदे तू कहना
ये जीवन सरल हो जाएगा
प्रभु शरण को जब जाएगा
सुख दुख तो आता जाता रहता
जैसे धूप छांव का जीवन में होना
खुशी है तेरी, तेरे ही हाथों में
हे “मन” माधव तू ही मेरा।
दुनिया की क्यों सुनता है तू
इस दुनिया में है सभी महान॥
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