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नव वर्ष २०२३
नव वर्ष २०२३ की शुभकामनाएं-
शुभारम्भ है शुभारम्भ है
लुका छिपी सूरज की बहुत ठंड है॥
शुभारम्भ है शुभारम्भ है
शहरों गलियों फुटपाथों पर सोया भूखा जीवन ठिठुर-ठिठुर कर तंग है॥
शुभारम्भ है शुभारम्भ है
भोर कोहरे कि चादर ओढ़े
आकाश शीत लहर है॥
शुभारम्भ है शुभारम्भ है
किसान गावं का संसय में
श्रम व्यर्थ का भय हैं॥
शुभारम्भ है शुभारम्भ है
बीते वर्ष के शुख दुःख हर्ष विषाद याद संग है॥
शुभारम्भ है शुभारम्भ है
वैश्विक मनवावता कही भुखमरी
कुपोषण संक्रमण से लडती कही यर्थ का जंग है॥
शुभारम्भ है शुभारम्भ है
आने वाला पल प्रहर नई चुनौती अवसर उपलब्धि का आगमन शुभ आशा अभिलाषा
अंत नहीं अनंत पथ हैं॥
शुभारम्भ है शुभारम्भ हैं
जाने कितनो को खोया बीते वर्ष ने आने वाला शुख़ शांति वैभव कि आशाओं का अंतर्मन है॥
शुभारम्भ को शुभ बनाए घृणा द्वेष जंगो के मैदानों को त्यागे मानवता कि अलख जगाए बैर भाव में करुणा क्षमा दया कि
अलख जगाए॥
शुभ आगमन को शुभारम्भ
बनाए मन से गाए शुभारम्भ है शुभारम्भ है॥
सुबह से शाम हो गयी
सुबह से शाम हो गयी इंतज़ार में धूप कि तपिस छावँ में।
हवाओं में तेरे आने ख़ुशबू वक़्त गुजर गया बेकरार के इंतज़ार में॥
आये न आये तुम लम्हों बहार में।
मायूसी का आलम तेरे न मिलने का ग़म जाने कब ख़्वाबों में आ गये॥
रात भर तेरी याद में कभी जागता सोता करवटें बदलते रहे हम।
हसीन ख़्वाब में तुझे ही देखते रहे हम।
दिन तेरे इंतज़ार कि बेकरारी रात तेरे ख्वाबो कि हक़ीक़त बन गए हम।
शायद हसरत के प्यार का यही है सबब॥
मोहब्बत का सबाब चढ़ने दो ख़्वाब कि मोहब्बत को हक़ीक़त कि चाहत का जूनून बनने दो।
मेरी मुहब्बत का खुदा ने अंजाम यही लिखा है।
सुबह से शाम परवाने कि तरह ढलने दो।
इश्क कि इबादत जूनून चढ़ने दो।
इश्क में दर्द के अश्को को बहने दो॥
इश्क और इबादत में इम्तेहान तमाम।
आरजू के इंतेहा इंतेहानो से गुजरने दो॥
दीवानो का शायद हश्र है यही।
इश्क के गुमाँ गुरुर में जलने दो॥
कायनात कि इस ज़िन्दगी को मयस्सर नहीं तेरी मुहब्बत।
चाह यूँ ही इश्क़ के पैमाने में ढलने दो।
बंद बोतल के शराब में भी तेरे ही अक्स शराब को इश्क़ के अश्को में पी लेने दो।
तेरे मिलने कि उम्मीद कि खुशियो के इंतज़ार में ग़म के पल दो पल कि ज़िन्दगी तो जी लेने दो॥
खामोश निगाहों के दिल कि गहराई के जज़्बात यादों में रहने दो॥
जिंदगी का समर्पण कर
जिंदगी का समर्पण कर देता है जब मानव
उद्देश् पथ पर विलग विलय ज़िन्दगी हो जाती है॥
उद्देश्य के उद्गम और शिखरतम् तक।
स्वयं स्वीकार साकार उद्देश्य पथ
सच्चाई अवनि आकाश की ऊंचाई॥
व्यक्ति का व्यक्तित्व समर्पित
समर्पण का वर्तमान इतिहास।
सत्य समर्पण के गर्भ से जन्म
नव चेतना की नयी
जागृति, वर्तमान भविष्य
के मूल्यों का सिद्धांत॥
सत्य समर्पण मंगलकारी
क्लेश नाश का संचारी विस्मयकारी।
समर्पण जागृत होता मन की
अनंत धरा के झंझावात, तूफानों
के अंतर द्वन्द मंथन मति॥
समर्पण एक सार्थक योग
मानव का कल्याणकारी।
समर्पण के स्वरुप बहुत है
नैतिकता से च्युत हो जाना
विमुख कर्तव्यों से होकर
पतित पथ भ्रष्ट हो जाना
समर्पण अंतर मन की ज्वाला॥
प्यास, आस, विश्वाश
मूल्यों, मर्यादाओं की नैतिकता
में विलय विलीन हो जाना।
भाग्य बदल लेता स्वयं मानव
अपना भगवान् का मिल जाना॥
समर्पण आकर्षण की आस्था का स्वर साम्राज् सत्कार।
घनघोर निराशा के बादल जब
छा जाते आशाओ के मार्ग अवरुद्ध हो जाते॥
संकल्प, समर्पण नई क्रांति का
नव सूर्योदय संध्या लाते।
अमंगल, मंगल, मृग मरीचिका
विल्पव, भ्रम, भय भयंकर दूर भगाते॥
अस्तित्व, अस्ति का मिट जाना
व्यक्तित्व, व्यक्ति की पहचान
परिवर्तन सत्य समर्पण।
पत्थर में भगवान् बोलते प्राणी
में प्राण दीखते मिथ्य यह संसार॥
समर्पण का अति सुन्दर भाव
लूट जाना, मिट जाना जीवन
सम्पत्ति का, बैभव बिलिन हो जाना समपर्ण हो जाना।
समर्पण से प्रेम जाग्रत प्रेम में आशाओं का संचार।
आशाओं के आसमान में विश्वस का प्रभा प्रवाह॥
विश्वाश के प्रभा प्रवाह से अचल
अटल अडिग आस्था की अवनि
अविष्कार। समर्पण की वास्तविकता
परम् अलौकिक प्रकाश।
प्रकाश की किरणों का युग ब्रह्माण्ड नया सत्कार॥
हे मानव मर्म मर्यादा के जीवन
मूल्यों का संचय कर लो।
जीवन की यथार्थता सच साबित कर दो॥
जीवन पथ का जो भी हो उद्देश्य तुम्हारा
उद्देश्य पथ के पथ पथिक तुम।
उद्देश्यों के मूल्यों में स्वयं
शक्ति की भक्ति समर्पण कर दो मिट जाएगा अँधेरा॥
उज्वल निर्मल मन काया की
माया के उजियारे से रौशन युग कर दो॥
तुम मिलना मुझे जब भी
तुम मिलना मुझे जब भी दिल पुकारे
चाहतों की राह में अरमानो की
आश में मुस्कानों के मुकाम पे।
तुम मिलना मुझे चलती जिंदगी
में विखर जाऊँ, मंजिलों से भटक
जाऊँ, मकसद की मासूका मकसद ज़िन्दगी के अंधियारे उम्मीद उजालो में॥
तुम मिलना मुझे तुफान भंवर
में उलझ जाये ज़िन्दगी की कश्ती।
डगमगाने डूबने लगे किश्ती की हस्ती।
मझधार तूफानों की मसक्कत मौसिकी
पतवार बनकर किनारों में॥
तुम मिलना मुझे जज्बे के उठते
ज्वार में धड़कन की हर सांस में।
लम्हों उदास में थकती, हारती
जिंदगी के विजय के प्रवाह उत्साह में॥
तुम मिलना मुझे जब ज़िन्दगी का
कारवां साथ छोड़ दे तन्हाई में परछाई भी दामन छोड़ दे।
जिंदगी बोझ लगे तन्हाई की हद हँसी मस्ती जिंदगी की आवाज़ में॥
बचपन से तुझे सवारता, जवाँ जज्बे में उतारता, जिन्दंगी की
की एहसास जान इज़्ज़त ईमान।
क्या कहूँ हिम्मत या हौसला
इरादा या इल्म माँ बाप गुरुओ का आशीर्वाद सच्चाई।
तुम मिलना मुझे मौका मुबारख मुकाम में॥
खुदा के नूर में जन्नत की हूर में
स्वर ईश्वर की आवाज़ में अपने अलग नाज़ अन्दाज़ में।
हर क़दम ताल में दोजख की सजा अपराध में।
तुम मिलना मुझे ज़िन्दगी के फलसफा फसानों अपसानो की चाह की राह में॥
तुम मिलना मुझे मेरी पैदाईस
की पहली आवाज़ में मेरे जनाजे
के कंधे चार में प्राण में॥
तुम मिलना मुझे प्यार में यार में
रिश्ते नातो परिवार में घर संसार
में दोस्ती दुश्मनी के इंतज़ार इज़हार में॥
जिंदगी एहसास अजीब
जिंदगी एहसास अजीब
दोस्त दुश्मन के बीच गुजराती
दोस्त भी कभी नाम के।
मौका मतलब कस्मे वादे
दुश्मन कभी दोस्त दोस्ती का मतलब समझाते॥
दोस्त कभी दुश्मन तो कभी दुश्मन दोस्त बन जाते।
जिंदगी में यक़ीन का सवाल
किस पर यक़ीन करे।
जिंदगी के सफ़र में मतलब का
हर रिश्ता हर रिश्ता क़ीमत का सौदा॥
मौका परस्त इंसान जाँबाज सरीखा।
मौके मतलब की नज़ाकत से
नहीं वाक़िब इल्म का इंसान नाकाबिल् जैसा॥
कामयाब काबिल जिंदगी
मतलब मौके की तलाश
मौके पर मतलब का हथौड़ा॥
क़ोई मरता है तो मारने दो
कोई जलता है तो जलने दो
जिंदगी के जज्बे को जज़्बा ही रौंदता॥
खुद के दर्द ग़म की फ़िक्र नहीं करती जिंदगी।
गैर की खुशियों के कफ़न ओढती
मोहब्बत भी तिजारत धंधा॥
मोहब्बत से पहले ही जिंदगी
एक दूजे को फायदे नुक्सान के तराजू पर तोलता॥
जिन्दंगी मतलब का जज्बा
जूनून खुदगर्जी की आशिक
अक्स अश्क की हद हसरत का मसौदा॥
मुश्किल है एक अदद मिलना
जिंदगी के सफ़र का सच्चा रिशता।
नफरत का दौर इस क़दर हावी
नफ़रत में ही मोहब्बत का यक़ीन
जिंदगी के कारवां में भीड़ बहुत
फिर भी ज़िन्दगी तनहा तनहा॥
ऊंचाई की परछाई यादो का सफ़र तनहा।
दुनियाँ के शोर में जिंदगी
अंधी दौड़ में भागती ख़ुद के तलाश में ख़ुद का पता पूछती
थक हार कर ख़ुद का एतवार कर लेती॥
चंद लम्हों में टूटता तिलस्म
जहाँ रेविस्तान वहाँ बाढ़
जहाँ बाढ़ वहाँ रेगिस्तान॥
कभी बाढ़ शैलाभ तूफ़ान में
डूबती कभी रेगिस्तान में एक
बूँद को तरसती भटकती॥
कभी कश्ती लड़खाड़ाती भंवर
में फंस जाती डूबता इंसान संग
डूबने का करता इंतज़ार॥
किनारे पर खड़ी जिंदगियाँ सिर्फ
खुदा का करती गुहार कुछ कह
सुन लेती काश ऐसा होता काश
वैसा होता की चर्चा आम॥
खुद के डूबने का अंदाज़ा ही नहीं
कब लड़खड़ा जायेगी हर उस ज़िन्दगी की कश्ती जिसने ख्वाब
बहुत सजाये हक़ीक़त में जिंदगी के लम्हे गवाए॥
एक दूजे का खीचने में टांग जिन्दा ज़िन्दगी को समझ के लाश॥
जिंदगी के लम्हे चार, दो दूसरों के
लिये गढ्ढा खोदने में गुजर गए दो
खुद डूबने के डर की भय आह॥
जिंदगी में वक़्त बहुत कभी कमबख्त वक़्त की मार काश कश्मकश का अफ़सोस॥
जिंदगी जागीर नहीं ज़िन्दगी होश
हद हक़ीक़त का फलसफा ज़िन्दगी उसी की जिसने जिया
दुनियाँ के दरमियान॥
ख़ुशी गम में भी संजीदगी का संजीदा इंसान का इल्म ईमान॥
क्योकि किस्सा है आम ज़िन्दगी के सफ़र में गुजर जाते जो मुकाम
वो फिर नहीं आते॥
चाहे तो लो
गुनगुना गुजरा हुआ ज़माना आता नहीं दुबारा हाफिज खुदा तुम्हारा
की ज़िन्दगी सरेआम॥
जननी जन्म भूमि
जननी जन्म भूमि का जीवन यह उधार।
माँ भारती की सेवा मे जीना मारना जीवन का परम् सत्य सत्कार॥
माँ के चरणों में शीश चढाऊँ पाऊँ जनम जीतनी बार
माँ का स्वाभिमान तिरंगा
कफ़न हमारा सद्कर्मो का सौभाग्य॥
आँख दिखाए जो भी माँ को शान में करे गुस्तगी
चाहे जो भी हो चाहे जितना भी
ताकतवर हो रक्त से शत्रु का तर्पण करूँ मैं बारम्बार॥
मेरे पूर्वज है राम, कृष्ण, परशुराम अन्यायी अत्याचारी के काल।
धर्म युद्ध का कुरुक्षेत्र है मेरा मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च
धर्म युद्ध लिये जीवन का कर्म क्षेत्र कुरुक्षेत्र का मैदान॥
अर्जुन युवा को ओज माँ भारती की हर संतान।
गांडीव की प्रत्यंचा पंचजनन्य का शंख नाद॥
माँ भारती के नौजवान की
गर्जना से आ जाए भूचाल
विष्णु गुप्त चाणक्य चन्द्रगुप्त
अखंड माँ भारती के आँचल के
संग्राम संकल्प युग प्रेरणा स्वाभिमान॥
मेरी माँ करुणा ममता की सागर
गागर अमन प्रेम शांति का पाठ
पढ़ाया अमन प्रेम शांति के दुश्मन का काल ढाल का शत्र शात्र सिखाया॥
अपने लालन पालन के पल
प्रतिपल में मान सम्मान से
जीना मारना सिखलाया॥
माँ भारती की आरती पूजा
बंदन पल प्रहर सुबह और शाम।
दिन और रात करते वीर सपूत
वीरों को जनने वाली संस्कार
संस्कृति की शिक्षा देने वाली
माँ भारती के लिये पल प्रति न्योछावर करने को प्राण॥
माँ भारती के वीर सपूतों के
ना जाने ही कितने नाम
हंसते हंसते माँ की चरणों में
कर दिया ख़ुद के प्राणों का बलिदान॥
त्याग तपश्या की भूमि की है यही पुकार उठो मेरे
बीर सपूतो नौजवान।
आज मांगती हूँ मैं तुमसे देती हूँ कस्मे॥
लाड प्यार ना हो मेरा बेकार
सीमाओं पर आक्रांता ने दी है तुमको ललकार।
भरना होगा तुमको हुंकार
गर्जना नहीं सिर्फ़ करना होगा पौरुषता
पराक्रम से आक्रांता का मान मर्दन संघार॥
मातृभूमि माँ भारती की
मर्यादा का रखना होगा मान।
अक्क्षुण अभ्यय निर्भय निर्विकार
माँ भारती मातृभूमि के तुम दुलार नौजवान॥
स्वाभिमान तिरंगा का सर पर बाँधे
सफा पगड़ी जीवन मूल्यों उद्देश्यों का कफ़न तिरंगा साथ॥
जय माँ भारती जननी जन्म भूमि
के बंदन अभिनन्दन की सांसे धड़कन प्राण॥
माँ भारती
माँ भारती अपने बीर सपूतों को नहीं बिसारती।
पल प्रहर सुबह शाम दिन रात
समय के दर्पण में निहारती॥
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य अभ्युदय
काल या मौर्य मुकुट चंद्र गुप्त का हो पुरुषार्थ।
पुरू पराक्रम हो या चौहान
पृथ्वी का शब्द भेदी वाण॥
भारत माता अपने बीर सपूतों
व्याख्याता प्रेरक प्रेरणा की अधिष्ठाता की दर्पण प्राण॥
संग्राम शेर राणा सांगा के सैकड़ो घाव।
खुद के आँचल दामन की दमक
मराठा आन वान सम्मान
शिवा जगदम्ब की युद्ध निति
का पथ विजय छाँव॥
मेवाड़ मुकुट महाराणा
प्रतिज्ञा घास की रोटी अवनि
सैय्या का परम प्रताप॥
मंगल पाण्डेय गुलामी की
जंजीरों में जकड़ी माँ भारती
का जाबांज सपूत आजादी की हुंकार॥
खूब लड़ी मर्दानी झांसी वाली
शेरनी जीते जी हार न मानी। बुंदेलों के जज्बे ताकत हस्ती
की हिम्मत रानी लक्ष्मी बाई नारी। माँ भारती के स्वाभिमान की गौरव नारी॥
तात्या टोपे चाणक्य वरदायी
रामकृष्ण परमहंश स्वामी सन्यासी विवेका माँ भारती
के संकल्प साध्य के आराधक ज्ञानी॥
सूर कबीर तुलसी मीरा केशव
भक्ति शक्ति के भारत माता के सच्चे सेवक॥
महत्मा की आत्मा माँ भारती की
ज्योति चमक सत्य अहिंशा के शौर्य सूर्य की प्रथम पहल॥
युवा क्रांति की चिंगारी खुदीराम हेमू कालानी क्रांति की
चिंगारी के ज्वलित प्रज्वलित मशाल जलियावाला बाग़।
दैत्य दानव डॉयर का दानवीय
संघार लाठियाँ टूटी हिम्मत ना
टुटा ललकार का लाला लाजपत राय॥
सरदार भगत सिंह बटुकेश्वर असफकुल्लाह खान चंद्रशेखर
आजाद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल निति नियत की ललकार॥
खून और आजादी के रिश्तों की पुकार नेता सुभाष।
मानव फौलाद नहीं हो सकता
मिथ्या कर दिया साबित वल्लभ सरदार पटेल एक नाम॥
मोती की ज्योति से निकली ज्योति जवाहर लाल।
मालवा का भिक्षु पंडित वक्ता अधिवक्ता माँ भारती का अरमान अंदाज़॥
कुछ नाम माँ भारती के सपूत
संतानो की जिसने माँ की सेवा
जीवन वार दिया न्योवछार दिया
ना कई चिन्ता ना कोई परवाह किया॥
कारागार की फौलादी दीवारे हो या फांसी का फंदा
हँसते हँसते झेल गए झूल गए करते माँ भारती का सजदा॥
माँ भारती का हर बीर सपूत
माँ के माँ के इतिहास का धन्य
धरोहर वर्तमान का दिग्दर्शक प्रेरक पथ प्रकाश का बैभव विश्वास॥
भारत माँ का बीर सपूत उसकी
नज़रो का नूर चाहे वक़्त आइना हो
या समाज की आवाज़ माँ भारती
का वीर सपूत उसके आँचल दामन की चमक चमत्कार॥
गाँव की माटी
१-गाँव की माटी प्रकृति—
सुबह कोयल की मधुर तान
मुर्गे की बान सुर्ख सूरज की
लाली हल बैल किसान गाँव
की माटी की शोधी ख़ुशबू भारत की जान प्राण॥
बहती नदियाँ, झरने, तालाब
पगडंडी पीपल की छाँव
बाग़, बगीचे विशुद्ध पवन के
झोंके भावों के रिश्तों के ठौर
ठाँव गाँव की माटी की शान॥
भोले भाले लोग नहीं जानते
राजनिति का क्षुद्र पेंच दांव
एक दूजे के सुख दुःख के साथी
गाँव की माटी का अलबेला रीती रिवाज॥
जाती धर्म अलग-अलग हो
बड़े उमंग से शामिल होते मिल
साथ मनाते एक दूजे का तीज त्यौहार॥
२—गाँव की माटी और जन्म का रिश्ता—
गाँव की मिट्टी की कोख से
जन्मा भारत हिन्द का हर
इंसान चाहे जहाँ चला जाए
गाँव की मिट्टी ही पहचान॥
पैदा होता जब इंसान पूछा
जाता माँ बाप कौन, कहाँ
जन्म भूमि का कौन-सा गाँव
गाँव गर्व है गाँव गर्भ है
गांव की माटी का कण कण
ऊतक टिशु सांसे धड़कन प्राण॥
उत्तर हो या दक्षिण पूरब हो
या पक्षिम गाँव से ही पहचान
कहीं नारियल के बागान कहीं
चाय के बागान सेव, संतरा, अंगूरों
की मिठास खुसबू में भारत के कण-कण का गाँव॥
त्याग तपस्या बलिदानो की
गौरव गाथा का सुबह शाम
गाँव की माटी का अभिमान॥
आजाद, भगत, बटुकेश्वर, बिस्मिल हो या लालापथ राय बल्लभ पटेल हो,
या राजेन्द्र प्रसाद चाहे लालबहादुर सब भारत के गाँवो की माटी के लाल॥
३—गांव की माटी वर्तमान और इतिहास——
इतिहास पुरुष हो या वर्तमान
गाँव की माटी के जर्रे का जज़्बा बचपन नौजवान॥
सुखा, बाढ़ मौसम की मार
विषुवत रेखा का भी गाँव जहाँ
अग्नि की वारिश भी लगाती है शीतल छाँव॥
लेह, लद्दाख, लाहौल, गंगोत्री हिम
हिमालय की गोद में बसे गाँव
हर दुविधा दुश्वारी भी प्यारी
नहीं चाहता छोड़ना क़ोई अपना गाँव॥
गाँव की मिटटी का पुतला गाँव का वर्तमान गाँव की परम्परा में ही
खुश गाँव की माटी पर ही प्रथम
कदम गाँव की मिटटी में ही चाहत लेना अंतिम सांस॥
गाँव आँचल बचपन का कागज
की कश्ती वारिश का पानी का
गाँव परेशानी बदहाल गॉव हर
हाल में जन्नत से खूबसूरत जननी
जन्म भूमि स्वर्गादपि गरिष्येते गाँव की माटी जीवन का प्रारम्भ
अंतिम सांस की माटी गाँव॥
जवानी की रवानी दीवानी
जवानी की रवानी दीवानी
मस्तानी होती है।
लगा दे आग पानी में जवानी आग होती है॥
जवानी दरिया समंदर, तूफां
घूम जाए जिधर तूफानी होती है॥
खुदा भी खौफ़ज़ादा जवानी
के तारानो से कहि बे राग मौसम
कभी मौसम से बेगानी होती है॥
परवाह नहीं कश्ती किनारों का
खुद के किनारों की हद हस्ती होती हैं॥
जवानी की मौत भी सजदा करती
बदल दे वक़्त क़िस्मत को जवानी
वो कहानी होती है॥
कभी वह तोड़ती पत्थर
कभी निकलती वह निर्झर
गीतों की धुन में जवानी
नई आन्दाज होती है॥
पसीनों में नहाईं मेहनत
मोती की चमक
महक जवानी की कहानी जुबानी होती है॥
चाहतों की मंज़िलों का अफसाना
जहाँ की मजलिसों महफ़िलों की
अदा आशिकी जवानी अकिकत आम होती है॥
सुबह सुर्ख सूरज अपने रौ में
चलती जवानी अदाओं की नाज़ होती है॥
निकली नहीं चिंगारी ना
शोला ज्वाला आई नहीं
जवानी सुबह की शाम आम होती है॥
चलते वक़्त रफ़्तार की धार
बदल दे तरानों से तारीख जवानी
जज्बों की वह जाम होती है॥
जवानी एक नशा बिन शराब
शबाब बहकती है अपनी धुन में
महकती है जवानी अपनी आरजू
का चमन बहार होती है॥
इश्क है, अंजाम है,
आगाज़ है, आवाज़ है, जवानी
जिंदगी के सफ़र की जान है॥
जवानी जूनून का पैमाना
शुरुर शान की मंज़िल का मैख़ाना
जवानी मधुमास की बयार होती है॥
मासूम की चाहत, नादां की
राहत, जवानी पत्थर फौलाद होती है।
परवानों-सी जलती मकसद की मोहब्बत शमां के लौ पर मरती है
जवानी की अपनी पहचान होती है॥
जवानी चुनौती है जवानी
चाहत की चाशनी जहाँ आई
नहीं वहाँ अंधेरो की शाम होती है॥
आई जहाँ छायी जहाँ सावन
की रिमझिम फुहार शोला शैलाभ
जवानी वक़्त बदलती तलवार होती है॥
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
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उत्कृष्ट के उत्कर्ष के साहित्यिक मनीषि मनोज जी का आभार।
सादर धन्यवाद…! आपका आशीर्वाद यूँ ही बना रहे…!