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कोरोना (corona)
आज विश्व में कोरोना (corona) नामक एक बीमारी फैली हुई हैं। यह जो एक राज्य या देश में न होकर पूरे विश्व के कोने-कोने में अपने पैर पसारकर कोरोना महामारी का रूप ले लिया है। इस वक़्त जगत में एक किसान से लेकर बिजनेसमैन तक के सारे काम ठप हो चुके हैं। मानव प्रजाति भी एक बच्चे से लेकर बुज़ुर्ग तक घरो में क़ैद हैं। सरकार की के सुझाव भी यही हैं कि आप लोग घरों में रहे और सुरक्षित रहे। कोरोना रोकथाम के लिए प्रशासनिक अधिकारी व सम्पूर्ण सरकारी कर्मचारी इसे नियंत्रण करने के लिये रात दिन अपने कर्त्तव्य पर डटे हुये हैं।
अब कोरोना एक सीखने समझने का वक़्त हैं, क्योंकि कहा जाता हैं कि खाली समय शैतान का घर। आज इस वक़्त में हम भी अपने-अपने घरों में बैठें हैं, अगर इस समय का सद्पयोग करते हुए दिमाग़ में नये-नये विचार पैदा किये जायें तो हमारे जीवन को सुंदर बनाने और समाज को कुछ देने के लिये हम सदा-सदा के लिये एक सृजनात्मक और मददगार इंसान बन सकते हैं।
इस कोरोना के लॉकडाउन में विद्यार्थी भी अपने दिमाग़ को लोकअप करे और खाली वक़्त के समय अपने दिमाग़ में सकारात्मक ऊर्जा से अपने मन मस्तिष्क को नई दिशा दें। पढाई और सफल भविष्य के प्रति मन में आने वाले नकारात्मक विचारों को सूचीबद्ध कर, अपने मन में दृढ़ संकल्प लेकर सकारात्मक सोच के नये पुंज स्थापित करें। एक शून्य और वैज्ञानिक दृष्टि से सोचें कि इस संसार में कुछ भी असम्भव नहीं है। बस इसी सकारात्मक सोच के साथ एक बार पुनः विचार करें कि शिक्षा के क्षेत्र में उच्च स्तर कैसे प्राप्त किया जा सकता है?
अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्रचित, नियमित और अनुशासनशील होकर उच्च स्तर प्राप्त करने के लिए नई सोच पैदा करें, फिर यह नकारात्मक विचार हमेशा के लिये स्वतः भाग जायेंगे। सही मायने बुद्धिपूर्ण विचार हजारों दिमागों में आते रहे हैं, लेकिन उनको अपना बनाने के लिये हमकों ही उन पर गहराई से विचार करना चाहिये। जब तक कि वे हमारी अनुभूति में जड़ न जमा ले।
आज समाज में विभिन्न प्रकार की कुप्रथायें फैली हुई हैं, दहेज प्रथा, बालविवाह, औसर, मौसर और भेदभाव जैसी, छोटी मोटी कुप्रथाएँ जिस पर भी विचार कर कुप्रथाओं को बंद किया जा सकता हैं, क्योंकि आज लॉकडाउन के समय में सब उत्सव रुके हुए हैं, तो कोई फ़र्क़ नहीं पड़ रहा हैं और जीवन चल रहा हैं तो क्यों न, इनको हमेशा के लिए बंद कर दे।
हमें सामाजिक, आर्थिक व मानसिक रूप से फायदा होगा, और हम एकता व देशहित के रूप में आगे बढ़ेंगे। अगर हमें दान करना ही हैं तो, हमें शिक्षा के क्षेत्र में और गरीबों की सहायता के लिए दान करना होगा, जिससे ज़रूरतमंद लोगों को रोजी-रोटी, शिक्षा और संस्कार प्राप्त होंगे। इनके साथ संस्कार रूपी ज्ञान का प्रचार प्रसार करे, इनसे लोगों में अच्छे विवेक का जन्म होगा, जो आज के मानवीय जीवन में एक सकारात्मक सिद्ध होगा।
मदन मालाणी
राबाउप्रावि बावड़ी कल्ला
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