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२१वीं सदी का सुदृढ़ भारत (21st century strong India)
21st century strong India: विश्व में अनेक देश है जिसमें से कुछ देश विकसित है और कुछ अविकसित तो वहीं कुछ देश ऐसे भी है जो विकसित देशों की शृंखला में शामिल होने के लिए प्रयासरत है। जिन्हें विकाशशील देश कहा जाता है। उन्हीं विकासशील देशों में से एक हमारा भारत भी हैं।
अपनी आजादी के ७४वें वर्ष में प्रवेश करने जा रहे भारत ने पराधीनता का लंबा दौर देखा है। लगभग ६ सदी के गुलामी के लंबे दौर के बाद १५ अगस्त १९४७ को भारत ने स्वाधीनता प्राप्त की लेकिन यह संघर्ष इतना आसान भी नहीं था। आजादी के लिए ना जाने कितने वीरों ने अपना सर्वस्व मातृभूमि पर न्योछावर कर दिया स्वाधीनता की यज्ञ बेदी को ना जाने कितने ही बलिदानियों ने अपने प्राणों की आहुति देकर तृप्त किया है।
वैसे २०वीं शताब्दी पूरी दुनिया के लिए बड़ा बदलाव लाने वाला रहा एक ओर जहाँ इस शताब्दी में दुनिया ने दो-दो महाविनाशकारी विश्वयुद्ध का दंश झेला तो वहीं इसी सदी में विश्व के अनेक देशों ने स्वाधीनता प्राप्त कर लोकतंत्र की स्थापना की। भारत के लिये भी २० वीं सदी बड़ा बदलाव लेकर आया परन्तु जिस समय भारत स्वतन्त्र हुआ उस समय २०वीं सदी का लगभग आधा भाग निकल चुका था फिर भी भारत ने अपनी मेहनत के बदौलत कई बड़ी उपलब्धियाँ हासिल की।
भारत को इसी दौरान ४ युद्ध भी लड़ने पड़े हालांकि एक युद्ध को छोड़ कर शेष ३ युद्ध में उसे विजय श्री भी हासिल हुई लेकिन युद्ध तो युद्ध ही होता है नुक़सान तो दोनों ही पक्षो को उठाना पड़ता है। अब दुनिया के साथ भारत भी २१वी सदी में प्रवेश कर चुका है और २१वी सदी का सुदृढ़ भारत अपने प्रतिभा और मेहनत के दम पर हर क्षेत्र में अनेकानेक सफलता प्राप्त कर पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।
२१वीं सदी का भारत, विश्व को एक नयी दिशा देने के लिए उद्यत हो रहा है जिससे समस्त मानव-समाज को जीने का एक नया पैगाम मिल सके l जहाँ जीवन में आर्थिक-समृद्धि के साथ-साथ वह सब भी मिल सके जो पैसे से कभी ख़रीदा ही नहीं जा सकता l क्या सभ्य और स्वतंत्र समाज के लिए यह ज़रूरी नहीं कि उसमें एक सहज अपनापन हो, जहाँ अजनबी इंसान से भय नहीं लगता हो l
जहाँ हर बचपन को खिलने का अवसर मिल सके l जहाँ खेत-खलिहान, नदियाँ तथा जंगल इतने भी दूर न हो कि केवल टीवी पर दूर से ही दर्शन हो सके l जहाँ पड़ोस भी परिवार-सा लगे l जहाँ हर जीव में कुछ नया कर दिखाने की तड़प पैदा हो l कुल मिलाकर, जहाँ अर्थ के साथ ही सभी प्रकार के अन्य सुख हर व्यक्ति को स्वयं के पुरुषार्थ से प्राप्त हो सके, ऐसी व्यवस्था हो l
२१वीं सदी का भारत सम्पूर्ण विश्व का मार्गदर्शन कर रहा है चाहे योग और आयुर्वेद की महिमा से दुनिया को अवगत कराना हो या विश्व शांति का संदेश देना हो भारत हर क्षेत्र में विश्वगुरु के रूप में उभर रहा है। भारत का मानना है कि केवल आर्थिक विकास ही विश्व विकास को परिभाषित नहीं कर सकता बल्कि आर्थिक विकास के साथ ही साथ मानव विकास और मानवता का विकास ही सही मायने में विकास की पहचान कराता है। आखिर उस भौतिक विकास का क्या लाभ जहाँ संवेदना ही ना हो। इस प्रकार भारत “वसुधैव कुटुम्बकम” की भावना को लेकर अपने साथ-साथ विश्व कल्याण के लिए निरंतर कार्य कर रहा है।
२१वीं सदी का सुदृढ़ भारत मिलकर विकास करने में विश्वास करता है। सबका साथ-सबका विकास के मूलमंत्र को लेकर चलने वाला भारत कभी भी किसी को दबाने का प्रयास नहीं करता लेकिन यदि उन्हें कोई दबाने का प्रयास करे तो सहन भी नहीं करता है। आज का भारत सामरिक रूप से बहुत ज़्यादा मज़बूत हो चुका है। भारत के पास राफेल, चिनुक और सुखोंई जैसे घातक लड़ाकू विमान है जो बड़े-से-बड़े दुश्मन को भी पल भर में पछाड़ सकता हैं।
२१वीं सदी का सुदृढ़ भारत विश्व के मदद के लिए सदैव तत्पत रहता है। इसे तत्कालीन उदाहरण से समझा जा सकता है। पूरा विश्व आज कोरोना नामक वैश्विक महामारी से लड़ रहा है और अभी तक कोई भी देश इसके लिए वैक्सीन का निर्माण नहीं कर पाया है। विकल्प के रूप में मलेरिया की दवाई हाईड्राक्सो क्लोरोक्वीन का प्रयोग किया जा रहा है.
चूंकि भारत इस दवाई का सबसे बड़ा उत्पादक देश है अतः अमेरिका समेत सबकी नज़र भारत की ओर था और भारत ने भी किसी भी देश का विश्वास नहीं तोड़ा और सबके लिये यह दवाई उपलब्ध कराया। साथ ही ज़रूरतमंद देशों को अन्य संसाधन भी उपलब्ध कराने में भारत तत्परता से जुटा हुआ है। यही कारण है कि दुनिया की नजरों में आज भारत का स्थान बहुत ऊंचा हुआ है। भारत का लोहा आज पूरी दुनिया मानता है।
२१वीं सदी का सुदृढ़ भारत अनेक चुनौतियों से भी घिरा हुआ है जहाँ एक ओर सीमा में चीन और पाकिस्तान जैसे शत्रु देश है जिनकी वज़ह से सीमा में तनाव बना रहता है तो वहीं दूसरी ओर अशिक्षा, जनसंख्या विस्फोट, कुप्रथा, गरीबी, बेरोजगारी आदि समस्या देश के भीतर है।
निष्कर्षतः हम पाते है कि २१वी सदी का सुदृढ़ भारत एक ऐसा राष्ट्र है जो विश्व को राह दिखाने में समर्थ है लेकिन उसे अपने समस्याओं का निदान स्वयं करना होगा तभी वह दुनिया के विश्वास पर सही रूप से खरा उतर पायेगा। हमे विश्वास है कि भारत इसमें सफल भी होगा क्योंकि २१वी सदी का यह भारत अपनी बड़ी-से-बड़ी समस्याओं का समाधान निकालने में पूर्ण रूप से समर्थ हैं।
वीरेन्द्र सिंह ठाकुर
ग्राम- कपसीडीह (राजिम), जिला :- गरियाबंद (छ.ग.)
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