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हिंदुत्व विरोधी ताकतों को रोकने के लिए बांग्लादेश की नकेल कसनी जरूरी
बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे उत्पीड़न के खिलाफ हिन्दू संगठनों ने दिखाई सामूहिक एकजुटता, कहा-
- संयुक्त राष्ट्र संघ हिंदुओं पर अत्याचार रोकने को बांग्लादेश पर बनाये दबाव
- क्रांतिमान पार्क में आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न सामाजिक,धार्मिक संगठनों के साथ शहर के लोगों ने की
- शिरकत।
- जनसभा के बाद तिरंगा और सनातनी भगवे झंडे के साथ नारे लिखी विभिन्न पट्टियां लेकर लघु
सचिवालय की ओर किया प्रस्थान। - रोष मार्च निकालकर राष्ट्रपति के नाम अतिरिक्त उपायुक्त को सौंपा गया ज्ञापन
- राष्ट्रीय एकता मंच के बैनर तले आयोजित इस रोष प्रदर्शन में जिले की सौ से अधिक संस्थाओं और संगठनों
के हजारों की संख्या में प्रतिनिधि और सदस्य हुए शामिल। - ज्ञापन में केंद्र सरकार से भी इस मामले में सख्ती से कदम उठाए जाने को कहा।
हिसार, 10 दिसंबर : बांग्लादेश में हिंदुओं सहित अन्य अल्पसंख्यकों पर कट्टरपंथियों द्वारा की जा रही ज्यादती और अत्याचारों के खिलाफ शहर के लोगों में भारी रोष है। इसी मामले में मंगलवार को शहर के क्रांतिमान पार्क में राष्ट्रीय एकता मंच के बैनर तले एक रोष जनसभा का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न सामाजिक, धार्मिक संगठनों के साथ विभिन्न संस्थाओं के सदस्यों के साथ- साथ शहर के गणमान्य लोगों ने शिरकत की। इसमें वक्ताओं ने बांग्लादेश सरकार के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। जनसभा के बाद प्रदर्शन करते हुए लघु सचिवालय पहुंचकर अतिरिक्त उपायुक्त सी जया श्रद्धा को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया।
ज्ञापन में संयुक्त राष्ट्र संघ से इस मामले में हस्तक्षेप कर तुरंत बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाने के साथ साथ केंद्र सरकार से भी इस मामले में सख्त कदम उठाए जाने की मांग की गई। राष्ट्रीय एकता मंच के संयोजक मुकेश बंसल ने बताया कि बांग्लादेश में अगस्त माह से हिंदुओं के साथ लगातार अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। उससे देशभर के हिंदुओं में रोष है। इसी बारे में आज यह जनसभा का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न सामाजिक, व्यापारिक और धार्मिक संगठनों के साथ सामाजिक संस्थाओं के 5 हजार से अधिक प्रतिनिधियों ने शिरकत की।
जनसभा को लेकर शहर के लोगों में काफी उत्साह देखा गया। सुबह 9 बजे से ही लोग क्रांतिमान पार्क में जमा होने शुरू हो गए। आयोजन किसी व्यक्तिविशेष संगठन या संस्था का न होकर सामूहिक एकजुटता का दिखा। संत समाज हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर काफी गुस्से में दिखा। उन्होंने हिंदुओं को एकजुट होने का संदेश देते हुए इस मामले में पूरी दुनिया के हिंदू समाज से सहयोग की मांग की। जात पात मत पंथ भुलाकर पूरा सनातन समाज एकजुट हो। तभी इस तरह के अत्याचारों को रोका जा सकेगा। उन्होंने कहा कि ये न सोचे कि ये घटनाक्रम बांग्लादेश में हो रहा है, इससे हमारा क्या लेना देना। इस घटनाक्रम को आगे बढ़ने से रोका नहीं गया तो कट्टरपंथियों के हौंसले बढ़ेंगे। हिंदुत्व विरोधी ताकतों को इससे और बढ़ावा मिलेगा। इससे आने वाले समय में देश भी इसी तरह की स्थिति का सामना कर सकता है। ऐसे में वर्तमान समय में इस तरह की ताकतों के खिलाफ सामूहिक एकजुटता का भाव सबसे पहले जरूरी है।
ज्ञापन में ये उठाईं मांगें
- भारत सरकार इस मामले को प्राथमिकता से उठाए और बांग्लादेश सरकार के साथ कूटनीतिक चर्चा कर हिन्दू सहित सभी अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
- संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग और महासचिव इस विषय पर तत्काल हस्तक्षेप करें और बांग्लादेश पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाएं।
- भारत में आने वाले सभी अल्पसंख्यकों सहित हिन्दू शरणार्थियों को सुरक्षा और पुनर्वास प्रदान करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
- बांग्लादेश में धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का सख्ती से पालन करवाया जाए।
- इस्कॉन मंदिर के पूज्य संत चिन्मय कृष्ण दास जी को शीघ्र रिहा करवाया जाए।
- संयुक्त राष्ट्र संघ जमाते इस्लामी को आतंकवादी संगठन घोषित करे।
इन्होंने किया संबोधित
रोष प्रदर्शन को राष्ट्रीय एकता मंच के संयोजक मुकेश बंसल, सह संयोजक डॉ विनय, गोरखनाथ आश्रम से महंत विनोदनाथ, खरड़ अलीपुर आश्रम से स्वामी जितेंद्रानंद,स्वामी सच्चिदानंद गिरी, गौशाला संचालक ढाणी गारण,सनातन संस्कृति रक्षक मंडल से तपस्वी सतपाल जी महाराज, श्री गोरख शक्ति पीठ के खेड़श्वरी श्री महाराज, इंद्रपाल जी महाराज,सनातन वाल्मीकि धर्मपीठ चंडीगढ़ से स्वामी गुरुशरण जी महाराज, भारत स्वाभिमान ट्रस्ट से ईश आर्य जी, पर्वतारोही अनीता कुंडू,स्वामी दर्शन गिरि जी, प्रजापिता ब्रह्मकुमारी विश्वविद्यालय केंद्र से बीके अनीता बहन, सेवा भारती से शिल्पा सर्राफ,आईएमए से डॉ जेपी नलवा, सैनी न्याय संघर्ष समिति से महेंद्र सैनी, कटला राम लीला प्रधान सुरेंद्र लाहौरिया, भाविप से अनुपमा अग्रवाल,दयानंद ब्रह्म महाविद्यालय से वेदप्रकाश जी, जिला ब्राह्मण सभा के राजकुमार भारद्वाज, गुरुकुल आर्यनगर से रामकुमार जी, दीपक गौतम सचिव भाविप केशव शाखा, विनय बिश्नोई अध्यक्ष बार एसोसिएशन, भीख नहीं किताब दो से अनु चिनिया, नागरिक चेतना मंच के सुभाष जैन, सेक्टर 9 और 11 एसोसिएशन, क्लॉथ मार्केट एसोसिएशन अनिल सेठी, होटा प्रधान अशोक गोदारा, पटेल नगर,
सूर्य नगर ब्राह्मण सभा आदि के पदाधिकारियों ने संबोधित किया।
इन संस्थाओं ने की भागीदारी
ज्ञापन सौंपने वालों में पतंजलि, पंचनद शोध संस्थान, सेवा भारती, विश्व हिंदू परिषद, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, दुर्गा वाहिनी, इस्कॉन आर्ट ऑफ लिविंग, भारतीय मजदूर संघ, समृद्ध भारत परिषद, सेवक सभा चैरिटेबल ट्रस्ट, शिवाजी स्मारक, रामलीला कमेटी कटला, दयानंद ब्रह्म महाविद्यालय, गुरुकुल आर्यनगर, आर्य समाज मंदिर हिसार, संस्कृत भारती, अखिल भारतीय संस्कृत विकास परिषद, पुरानी अनाज मंडी लोहा मंडी व्यापार एसोशिएशन, गोसेवा हेल्पलाइन, महाराज अजमीढ जी विकास ट्रस्ट, व्यापार एवं व्यवसाय कुंज, हिसार होटल एसोसिएशन, ब्राह्मण महासभा, युवा स्वर्णकार संगठन, अग्रवाल सेवा समिति, स्वदेशी जागरण मंच, हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी टीचर एसोसिएशन, भारत विकास परिषद केशव शाखा, हरियाणा प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रन वेलफेयर ट्रस्ट, मिलेनियम पब्लिक स्कूल, सुमन सीनियर सेकेंडरी स्कूल, राइजिंग सन कॉन्वेंट स्कूल, बीजेएस गगन स्कूल, नवभारत स्कूल, लक्ष्मी स्कूल, होली हार्ट स्कूल, संत योग स्कूल के के एमएम। योग सीनियर सेकेंडरी स्कूल, कोलंबस हाई स्कूल,आर्य समाज मॉडल टाउन, पतंजलि योग समिति, राहुल मेमोरियल फाउंडेशन ट्रस्ट, श्री प्रभु संकीर्तन मंडल, राष्ट्रीय चेतना मंच, अखिल भारतीय सेवा संघ, महाराजा अग्रसेन प्रचार प्रसार सेवा ट्रस्ट, अग्रवाल वैश्य समाज, बिजन इंटरनेशनल फाउंडेशन, हिमालय परिवार पतंजलि, आर्यसमाज, अखिल भारतीय संस्कृत विकास परिषद, शिव हनुमान भक्त मंडल, शिवाजी स्मारक समिति, भीख नहीं किताब दो, अखिल भारतीय सेवा संघ, अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन, भारतीय मजदूर संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारत विकास परिषद, समृद्ध भारत परिषद, राष्ट्रोदय चेतना मंच, सेवा भारती, वनवासी कल्याण आश्रम, संस्कृत भारती, स्वदेशी जागरण मंच, दुर्गा वाहिनी, अधिवक्ता परिषद, निमा, आईएमए तथा अनेक जाति-बिरादरियों के प्रमुख, एवं अनेक व्यापारी और धार्मिक संस्थाओं और संगठनों ने सामूहिक रूप में ज्ञापन सौंपा।
जब सब जुटेंगे तो न बंटेंगे, न कटेंगे
बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ हिंसा और अत्याचार की बढ़ती घटनाएं भारतवर्ष के लिए भी चिंतनीय है। इसका सामयिक प्रभाव आने वाले समय में देश की अस्मिता पर भी पड़ सकता है। इसी चिंतन के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी इस मामले में सक्रिय हो गया है। फर्क बस इतना है कि इस बार पटकथा सामने न आकर पर्दे के पीछे लिखी जा रही है। सामाजिक समरसता और सामूहिक एकता की समग्र भावना की इस राष्ट्रव्यापी मुहिम में संघ का उद्देश्य एकजुटता की भावना पैदा करना है। इस बार सामाजिक व धार्मिक संगठनों के साथ जनप्रतिनिधियों को भी साथ जोड़ा जा रहा है। ताकि अभियान केवल संघ का न होकर एकजुटता का दिखे। मध्यप्रदेश के बड़े शहरों भोपाल, इंदौर,उज्जैन,जबलपुर आदि में हुए प्रदर्शनों में लाखों की संख्या में शामिल लोगों ने मामले की गंभीरता दिखा दी है। उत्तरप्रदेश के वाराणसी, प्रयागराज,राजस्थान के कई बड़े शहरों ने भी अभियान में अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई है। इसी क्रम में हरियाणा में भी सभी जिलों में विभिन्न संगठनों के साथ बड़ी बैठक कर कार्य योजना बनानी शुरू कर दी गई है।
भारत के पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में अगस्त माह से जो हो रहा है, आज वो किसी से छिपा नहीं है। सत्ता परिवर्तन के बाद वहां हिन्दू और अन्य अल्पसंख्यक निशाने पर हैं। हाल ही में हिंदू धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी ने मामले को और हवा दे दी है। वैसे तो इस मामले में शुरुआत से ही हिंदू संगठनों ने आवाज उठानी शुरू कर दी थी। इसका प्रभाव भी कुछ दिखाई देने लगा था। पर जिस तरह से एक बार फिर हिंदुओं के साथ जो व्यवहार दिखा है। उससे अब नजर फेरना सहज नहीं है।
आंकड़ों पर नजर डाले तो बांग्लादेश की जनसंख्या में 91 फीसदी मुसलमानों की भागीदारी हैं। हिंदू 8% से भी कम हैं। 1971 में यह प्रतिशतता 13.5 प्रतिशत थी। जो लगातार घटी ही है। 1991 में यह आंकड़ा 10 प्रतिशत तक पहुंच गया। जो अब 8 फीसदी से भी नीचे पहुंच चुका है। अगस्त माह में बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद हिंदुओं पर हमले बढ़ रहे हैं। हजारों की संख्या में हिंदुओं के मकानों, दुकानों और मंदिरों को निशाना बनाया गया है। जब बांग्लादेशी हिंदुओं ने आवाजें उठानी शुरू की है तो वे सीधे निशाने पर आने शुरू हो गए हां। हाल में ही हिंदू धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया जाना भी सहजता से पचने लायक नहीं है।
हिंदू धर्म विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म माना गया है। विश्व भर में हिंदू धर्म को मानने वालों की संख्या काफी प्रभावी है। 50 से अधिक देशों से हिन्दू धर्म को मानने वाले विश्वभर में फैले हुए हैं। हिंदू धर्म मानने वाला भारत प्रथम देश है। भारत के अलावा नेपाल और मॉरीशस ही तीन ऐसे देश हैं, जहां पर हिंदुओं को बहुसंख्यक माना जा सकता है।
अतीत में जाएं तो बांग्लादेश में हिंदुओं की बड़ी संख्या वहां निवास करती थी। आंकड़ों की माने तो 1991 के बाद से हर जनगणना ने वर्तमान बांग्लादेश की आबादी में हिंदुओं की संख्या में गिरावट देखने को मिली है।
चाणक्य नीति में एक प्रसिद्ध श्लोक है। जो इस घटनाक्रम के संदर्भ में बिल्कुल सटीक बैठता है। आचार्य चाणक्य कहते हैं –
नात्यन्तं सरलैर्भाव्यं गत्वा पश्य वनस्थलीम्।
छिद्यन्ते सरलास्तत्र कुब्जास्तिष्ठन्ति पादपाः॥
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि मनुष्य को हद से ज्यादा भी सरल और सीधा नहीं होना चाहिए। जंगल के वृक्षों में सबसे पहले सीधे वृक्षों को काटा जाता है उसी प्रकार सीधे मनुष्य को चालाक और चतुर लोग पहले फायदा उठाते हैं। ठीक यही अब बांग्लादेश में हो रहा है। पूर्व समय में पूर्वी पाकिस्तान जो आज का बांग्लादेश है। इसके स्वतंत्र गठन में भारत ने जो भूमिका निभाई थी। उसे शायद बांग्लादेश की आवाम भूल गई है। भारत की मदद से अपने आपको विकसित राष्ट्र की ओर बढ़ने वाला बांग्लादेश आज भारत को ही आंखे दिखाने को है। कहने को बार-बार कहा जा रहा है कि बांग्लादेश में हिंदू या अन्य अल्पसंख्यकों के हितों के खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। लेकिन जिस तरह से वर्तमान स्थिति बनी है वो साफ दिखा रही है कि सब कुछ सही नहीं है।
ऐसा नहीं है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस मामले में पहली बार सख्ती दिखा रहा है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इस वर्ष विजयादशमी के अवसर पर नागपुर में आयोजित संघ के स्थापना दिवस समारोह में भी इस मामले को उठाया था। अपने वार्षिक उद्बोधन में उन्होंने बंग्लादेश में हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ हुई हिंसक घटनाओं पर चिंता जताते हुए साफ कहा था कि बंग्लादेश की घटनाओं में विश्व के हिंदू समुदाय के लिए यह संदेश छिपा हुआ है कि असंगठित रहना अत्याचारों को निमंत्रण देना है। संघ प्रमुख ने भारत सरकार और पूरी दुनिया के हिंदुओं से बंगलादेश के हिंदुओं की मदद करने की अपील की थी।
विगत दिनों मथुरा में संपन्न संघ की राष्ट्रीय बैठक में भी पुनः इसी बात पर जोर दिया गया था। मथुरा बैठक के समापन के बाद सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र को बंग्लादेश में हिन्दुओं सहित सभी अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाने चाहिए। इसी क्रम में शनिवार को बयान जारी कर बांग्लादेश सरकार से यह सुनिश्चित करने की अपील की है कि हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार तत्काल बंद हों। साथ ही चिन्मय कृष्ण दास की तत्काल रिहाई की भी मांग की। सामूहिक एकजुटता की भावना का यह प्रयास कितना सार्थक प्रभाव बनाएगा। यह तो अभी भविष्य के गर्भ में है। चाणक्य नीति के ही एक अन्य श्लोक से यही उम्मीद है कि बांग्लादेश की आवाम और सरकार को सद्बुद्धि आए और वो इस घटनाक्रम पर रोक लगाने का काम करें। साथ ही भारत की केन्द्र सरकार भी इस मामले में सिर्फ कहने भर तक सीमित न रहे।
न ही कश्चित् विजानाति किं कस्य श्वो भविष्यति।
अतः श्वः करणीयानि कुर्यादद्यैव बुद्धिमान्॥
सीधा सा भाव है कि किसी को नहीं पता कि कल क्या होगा, इसलिए जो भी काम करना है, उसे आज ही कर लेना चाहिए. यह बुद्धिमान इंसान की निशानी है।
सुशील कुमार ‘नवीन’
हिसार
96717 26237
लेखक वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार है। दो बार अकादमी सम्मान से भी सम्मानित हैं।
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