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हमें हाल बदलना है
हमें हाल बदलना है
१
बस कैलेंडर ही नहीं साल बदलना है।
जीने का कुछअंदाज ख़्याल बदलना है॥
नई पीढ़ी सौंपकर जानी विरासत अच्छी।
दुनिया का यह बदहाल हाल बदलना है॥
२
हर समस्या का कुछ निदान पाना है।
जन जन जीवन को आसान बनाना है॥
बदलनी है समाज की सूरत और सीरत।
हर दिल से हर दिल का तार जुड़ाना है॥
३
शत्रु के नापाक इरादों पर भी काबू पाना है।
उन्हें ध्वस्त करना ख़ुद को मज़बूत बनाना है॥
दुनिया को देना है विश्व गुरु भारत का पैगाम।
शांति का संदेश सम्पूर्ण संसार में फ़ैलाना है॥
४
वसुधैव कुटुंबकम्-सा यह संसार बनाना है।
मानवता का सबको ही प्रण दिलाना है॥
नर नारायण सेवा का भाव जगाना मानव में।
इस धरा को ही स्वर्ग से भी सुंदर बनाना है॥
५
जीवन शैली खान पान का रखना है ध्यान।
आचरण वाणी को भी करना है मधु समान॥
प्रगति और प्रकृति मध्य रखना अपनत्व भाव।
विविधता में एकता को बनना है अभियान॥
६
माला में हर गिर गया मोतीअब पिरोना है।
अब हर टूटा छूटा रिश्ता पाना खोना है॥
आंख मेंआंसू नहींआए किसीका दर्दों ग़म में।
हर कंटीली राह पर फूलों को बिछौना है॥
हर काम का रखता, प्रभु हिसाब है
१
यत्र तत्र सवर्त्र प्रभु, रहता विद्धमान है।
जहाँ गुनाह ईश्वर वहाँ, भी निगेहबान है॥
कण कण हर क्षण, में प्रभु है व्याप्त।
तेरे हर कर्म को, देख रहा भगवान है॥
२
जिसने जान लिया मर्म, वह सच्चा इंसान है।
औरों का भला करने, वाला बनता महान है॥
अवरोधों से लड़ कर, भी जो बढ़ता आगे।
बस तेरेअच्छे कर्मों का शेष, रहता निशान है॥
३
मुश्किल घड़ी में भी, हमें मुस्कराना चाहिये।
प्रभु कादा करना हमें, सदा शुकराना चाहिये॥
मंजिल ज़रूर मिलती है, बस ज़रा चलते जायो।
हर रिश्ता बस नेक नियती, से निभाना चाहिये॥
४
रोज नई सुबह नई ऊर्जा, हमें भरपूर मिलती है।
एक नई रंगत फूलों पर, रोज़ ही खिलती है॥
यह बात काफ़ी नए उत्साह, नई उमंग के लिए।
जिंदगी हर दिन इक़, नई कहानी लिखती है॥
५
पूरी दुनिया को चला रही, प्रभु की कमान है।
प्रभु ही करता कथा और प्रभु ही यजमान है॥
मनुष्य का फ़र्ज़, बसअच्छे काम करते रहना।
रह जायेगी ज़मीं पर तेरी, यही एक पहचान है॥
लोक परलोक इसी जन्म में सुधरता है
१
सौ बरस का सामान इक्कठा
क्यों रखा बेहिसाब है।
सब कुछ छोड़ कर जाना यही
चलन साहब है॥
धरती पर रह कर ही स्वर्ग सी
जियो ज़िन्दगी तुम।
मत इंतज़ार करते रहो तुम
स्वर्गजाने का ख़्वाब है॥
२
मानव बन कर जीना ही प्रभु
की इच्छा जनाब है।
बसअच्छे कर्म सदा करते रहो
यही इसका जवाब है॥
नित प्रति दिन करों तुम अपना
स्व मूल्यांकन भी।
तजते रहो हर वह आदत जो
लगती खराब है॥
३
उम्र का तकाजा कि शरीर भी
एक दिन गल जाता है।
यह पद रुतबा सब कुछ जैसे
कि ढल जाता है॥
रिश्ते नाते सब छूट जाते हैं
इस दुनिया लोक में।
बनकर राख यह अपना शरीर
भी जल जाता है॥
४
मधुर भाषा और सुंदर सभ्यता
से जीवन जीना चाहिए।
उत्तम भाव, लगन की दिव्यता
के साथ जीना चाहिए॥
आंखों की नमी और दिल की
संवेदना मत मरने देना।
इन सद्गुणों की भव्यता के
साथ जीवन जीना चाहिए॥
सफल जीवन के कुछ मुख्य मूल मंत्र
१
ध्यान दें अपने विचारों पर
जो जाकर शब्दाचार बनेंगे।
शब्दों पर ध्यान दें अपने
जो फिर व्यवहार बनेंगे॥
ध्यान दें अपने व्यवहार पर
जो बनेगी आदत आपकी।
ध्यान दें अपनी आदतों पर
जो चरित्र चित्रकार बनेंगे॥
२
वाणी आचरण व्यवहार और
चरित्र मंत्र जीवन काल के।
साहस तेज उत्साह और
सहयोग तंत्र जीवन काल के॥
बुद्धि विवेक शील कौशल
से बनता उत्तम जीवन काल।
घृणा द्वेष राग क्रोध होते हैं
अवगुण यंत्र जीवन काल के॥
३
बूंद-सा जीवन इंसान का और
सागर से बड़ाहंकार क्यों है।
बहुतकुछ सबमें तो कुछ कमी
से उसका तिरस्कार क्यों है॥
सब के लिए मंगलकामना भी
है प्रभु की स्तुति के ही समान।
झूठ को गले लगा कर फिर यूं
सच का ऐसा प्रतिकार क्यों है॥
४
जो समय के साथ चलता वक्त
भी करता उसका सम्मान है।
समय से बड़ा नहीं दूजा कोई
भी और बलवान है॥
सारी सृष्टि इसलिए ही है
समय के आधीन चलती।
धन देके भी वक़्त का क्षण खरीद
नहीं सकते इतना मूल्यवान है॥
हर जीत मुमकिन है
१
सदियों से ही चल, रही यही रीत है।
हार के बाद ही, मिलती जीत है॥
गर नहीं छोड़ी प्रीत, जोशो जनून से।
सफलता बन जाती, फिर मीत है॥
२
परिश्रम और व्यवहार, यही दो मंत्र हैं।
बुद्धि और विवेक, जीत के दो तंत्र हैं॥
सहयोग और सरोकार को बनाना मित्र।
साहस और उत्साह, जीत के दो यंत्र हैं॥
३
बनना सफल तो, कर्म शीलता साथ रखो।
सबसे मिला कर हाथों, में तुम हाथ रखो॥
मंजिल ख़ुद चलकर, पास तुम्हें बुलाएगी।
बस निरंतर अभ्यास, का सूत्र याद रखो॥
४
व्यवहार लोकप्रियता, सिक्के के दो पक्ष हैं।
सफल होते वह जो, मधुर वाणी में दक्ष हैं॥
अनुठा काम करते, वह जगहअपनी बनाते।
जीत का हार पहनते, रखते जीवन लक्ष्य हैं॥
आज सबको नाज़ है
१
जीती रहो जीतती रहो
देश की बेटी हो तुम।
हर कांटा बीनती रहो
देश की बेटी हो तुम॥
तुम से ही आस तुम ही
हो विश्वास देश का।
नया कुछ सीखती रहो
देश की बेटी हो तुम॥
२
बेटियों से सुशोभितआज
हर साज देश का।
तुम से निर्मित हो रहा
हर काज देश का॥
बेटियों ने सीना चौड़ा
कर दिया है आज।
बेटी जन्म पर दुःखित आए
आदमी बाज देश का॥
३
बेटी के सर पर चुनरी और
बंधा परचम भी हैआज।
बेटियों से ही महक रहा घर
गुलशन चमन भीआज॥
बेटों साथ क़दम से कदम
मिला चल रही बेटियाँ।
बेटियों से शिक्षा हर संस्कार
बचा अमन भी आज॥
करोना संकट अभी टला नहीं है
१
डर कर रहना घर का
खाना पीना।
वर्ष २०२१ / २२ में बीता
जीवन यूँ जीना॥
घर में क़ैद बीत गया
एक साल।
अपनों के बीच ही बीता
पूरा बारह महीना॥
२
घर के अधूरे काम घर
में पूरे किये।
बच्चों ने भी क्लास ऑन
लाइन ही लिये॥
बड़ो ने भी किया वर्क
फ्रॉम होम।
अखबार टी वी देख कर
ही जीवन जिये॥
३
इन दोसालों सीखा दिया
स्वास्थ्य का अर्थ।
सावधानी हटे तो होता है
अर्थ का अनर्थ॥
करोना ने बताया घर
खाने का महत्त्व।
जो बिना मास्क के घूमा
वो गिरा कॅरोना गर्त॥
४
करोना ने बताया दूर
रहकर रिश्ता निभाना।
वर्ष २१ / २२ ने सिखाया
परायेअपना बनाना॥
सावधान रहें नव वर्ष में कि
करोनाभी टला नहीं।
बीते दो सालों ने समझाया
सादा जीवन बिताना॥
प्रभु ने हमको दिया, अनमोल वरदान
१
सफर जारी रखो कि कुछ
काम करना है।
किसीके लिए सहयोगअच्छा
पैगाम करना है॥
प्रभु ने दिया जीवन किसी
के काम आने को।
हर किसी के लिए सदभाव
का एलान करना है॥
२
बस उम्मीद का दामन सदा
थामे साथ में रखना।
हौंसले से मिला कर तुम हाथ
से हाथ रखना॥
नाकामियों से जीवन में तुम
कभी घबराना नहीं।
भले को हर किसीके लिये
दिल में फरियाद रखना॥
३
रिश्तों से कभी मुँह तुम यूँ ही
मोड़ना नहीं।
दोस्ती की डोर हाथ से कभी
छोड़ना नहीं॥
सम्बंधों की पूंजी अनमोल
बहुत होती है।
इस दौलत का ताला कभी यूँ
ही तोड़ना नहीं॥
४
वाणी से कभी आग-सी बात
मत करना।
आपस में नफ़रत द्वेषराग की
शुरुआत मत करना॥
क्रोध है ज़िन्दगी में एक दाग
की तरह से।
जब भी करनानुराग की ही
सौगात तुम करना॥
५
उलझनों में ही मुश्किलों का
तुम्हें हल मिलेगा।
समस्या में ही तुम्हें समाधान
का कल मिलेगा॥
खुद भी तुम ख़ुद से बात
करते रहो हमेशा।
टेड़ी मेड़ी शाखों पर ही तुम्हें
रसीला फल मिलेगा॥
शुभकामना नववर्ष २०२३ के लिए
१
बस आदमी को आदमी से
प्यार हो जाये।
हर नफ़रत की जीवन में
हार हो जाये॥
इंसानियत का ही हो बोल
बाला हर जगह।
हर व्यक्ति में मानवता का
संचार हो जाये॥
२
हर किसी का हर किसी से
सरोकार हो जाये।
हर सहयोग देने को आदमी
तैयार हो जाये॥
अमनो चैन सुकून की हो
अब सबकी जिंदगी।
खत्म हमारे बीच की हर
तकरार हो जाये॥
३
राष्ट्र का हित ही सबका
कारोबार हो जाये।
देश की आन को हर बाजू
तलवार हो जाये॥
दुश्मन नज़र उठा कर देख
न सके हमको।
हर जुबां पर शत्रु के लिए
ललकार हो जाये॥
४
माहमारी कॅरोना की करारी
अब हार हो जाये।
पूर्ण स्वास्थ्य का स्वप्न दुनिया
में साकार हो जाये॥
भय डर का यह जीवन अब
हो जाये समाप्त।
यह विषाणु हर जीवन सेअब
बाहर हो जाये॥
५
हर बाग़ में अब गुल गुलशन
बहार हो जाये।
जिंदगी का मेला वैसा ही फिर
गुलज़ार हो जाये॥
यह नववर्ष खुशियाँ लेकर
आये हज़ारों हज़ार।
हर ओर जीवन में सुख शांति
बेशुमार हो जाये॥
नववर्ष पर यह संकल्प हमें दोहराना है
१
सतपथ पर हमको, चलते जाना है।
नहीं गिरना हमको, नहीं गिराना है॥
आत्मबलआत्मविश्वास, से है बढना।
नववर्ष पर यह, संकल्प दोहराना है॥
२
जीवन में क्रम सीखने का बढ़ाना है।
घरपरिवार की जिम्मदारी निभाना है॥
हर छूटे टूटे रिश्ते को है जोड़ना हमें।
नववर्ष पर यह संकल्प फिर लाना है॥
३
कर्तव्यऔरअधिकार मेल मिलाना है।
खुशियों को मिल कर हमें बटाना है॥
सहयोगसहभागिता को करना निश्चित।
हर दिल की बात सुननाऔर सुनाना है॥
४
वाणी आचरण से दिल न कोई दुखाना है।
नफरत रागद्वेष हरअंश मन से मिटाना है॥
वसुधैव कुटुंबकम् का पूर्ण भाव है लाना।
नववर्ष पर स्वयं से यह संकल्प कराना है॥
५
धनअर्जन नहीं स्वास्थ्य सर्वोपरि बनाना है।
स्वच्छतालख भी हर दिल में जलाना है॥
बनना आदर्श नागरिक समाज राष्ट्र हित में।
यह संकल्प अब हर दिल में जगाना है॥
६
भूलकर अतीत को आगे बढ़ते जाना है।
संवार के वर्तमान सुंदर भविष्य बनाना है॥
भूत काल में होता नहीं कोई भी भविष्य।
नव वर्ष पर यह संकल्प दोहराना है॥
यूँ ही नहीं क़िस्मत मेहरबान बनती
१
यूँ ही नहीं कोई कहानी
बनती ज़िन्दगी में।
यूं ही नहीं कामयाब रवानी
बनती ज़िंदगी में॥
तराशना पड़ता है ख़ुद ही
हाथ की लकीरों को।
यूँ ही नहीं क़िस्मत दीवानी
बनती ज़िन्दगी में॥
२
यूँ ही नहीं नाम होता है जा
कर दुनिया में।
हर गली में अदब सलाम
होता दुनिया में॥
जुबान दिल दिमाग़ जीतना
होता है सबका।
यूँ ही नहीं हर लफ़्ज़ पैगाम
होता दुनिया में॥
३
हर ज़ख़्म सिलने की अंदर
रमक होनी चाहिये।
तेरे चेहरे पर इक़ अलग सी
दमक होनी चाहिये॥
यह दुनिया यूँ ही नहीं चाहती
हर किसी को।
तेरी आंखों में कुछ अलग सी
नूरोचमक होनी चाहिये॥
नव वर्ष तेरा बार बारअभिनंदन
१
नववर्ष तेरा बार बार अभिनंदन करना है।
तुझकोअब पीड़ा दर्द हर मन से हरना है॥
आलोकित करनी धरा नवप्रभात किरणों से।
महामारी करोना सेअबऔर नहीं डरना है॥
२
हर मन में तुझको भाव सदभाव भरना है।
भाव घृणा का तुझको अब नष्ट करना है॥
अहम नहींअहमियत का विचार है जगाना।
मानवता को सदा लिए जीवित रखना है॥
३
शत्रु की हर ललकार का उत्तर धरना है।
हर निर्बल निर्धन की भी झोली भरना है॥
विश्व में भारत मस्तक करना ऊंचा और।
हर दिल से निकालना प्रेम का झरना है॥
४
हे नववर्ष नारी समता का पाठ पढ़ना है।
नैतिक शिक्षा प्रसारऔरअधिक करना है॥
मांभारती चरणोंअलख जलानी देशप्रेम की।
प्रकृति का दामन भी हरियाली से भरना है॥
५
नव वर्षआशायों का दामनऔर भरना है।
नई नई चुनौतियों सेअभीऔर लड़ना है॥
जन जन के सपनों में भी भरना है रंग।
नववर्ष तेरा बार बारअभिनंदन करना है॥
सफल जीवन का मंत्र
१
मिट्टी का पुर्जा चलते चलते
रुक जाता है।
मत नाज़ कर तन यह इक
दिन झुक जाता है॥
व्यक्ति चला जाता और बस
बात है रह जाती।
बस कर्मअच्छे कर कि एक
दिन तन चुक जाता है॥
२
व्यक्तित्व यूं ऊँचा बनायो सब
सुनने को तैयार रहें।
आकर्षण हो तेरी शख्सियत में
कि सब वफादार रहें॥
जब बढ़ो आगे तो कारवाँ पीछे
पीछे चल निकले।
मानने को बात तुम्हारी तैयार
सारा संसार रहे॥
३
दुआयें सबकी लेते रहो दुआयें
सबको देते रहो।
अपने परायों का भी आशीर्वाद
तुम लेते रहो॥
ना जाने कब ज़िन्दगी की वह
आखिरी शाम आ जाये।
सब से निभा कर चलने की बात
हमेशा कहते रहो॥
४
पराजय तब होती जब आप हार
को मान लेते हैं।
जय तो निश्चित जब बात कोई
आप ठान लेते हैं॥
गिर कर फिर से खड़े होने में
ही छिपी है जीत।
असंभव भी सम्भव ख़ुद चुनौती
का जब संज्ञान लेते हैं॥
प्रगति और प्रकृति का संतुलन
१
वृक्ष हमारे अमृत पुत्र
प्रेम ख़ूब दिखाओ इनसे।
हमारे यह जीवन साथी
रक्षावचन निभाओ इनसे॥
मिलती वृक्षों से प्राण वायु
हमारे जीवन रक्षक।
रोज़ पेड़ नये लगा कर
सेवा भाव लगाओ इनसे॥
२
शीतल वायु जल वर्षा
ईंधन तक देते वृक्ष हैं।
खाना पीना फल फूल
देते यही वृक्ष हैं॥
मिट्टी का कटान पहाड़ों की
ढलान रोकते वृक्ष ही।
तेज धूप में छाँव भी देते
यही वृक्ष हैं॥
३
धरा का शृंगार हरियाली
इन वृक्षों से आती है।
पक्षियों की रात यहीं पर
ही गुज़ारी जाती है॥
मानवता की बहुमूल्य
संपदा मत काटो जंगल।
चारा लकड़ी की ज़रूरत
पूरी इनसे हो पाती है॥
४
प्रगति के साथ प्रकृति की
बस बनी रहे पहचान है।
आज आदमी कल के कष्ट
दुःख सेअभीअनजान है॥
समय रोज़ दे रहा हम सब
को सख्त चेतावनी।
प्रगति प्रकृति संतुलन जान लो
सबसे बड़ा समाधान है॥
जीवन का अमिट सत्य
१
कभी सीने में जज़्बा भावना
का मरने मत देना।
सच्चे दोस्त की दोस्ती को
कभी हरने मत देना॥
छोटी-सी ज़िन्दगी रोज़ सुधारों
अपनी हर गलती को।
भूल से भी कभीअपने हौसलों
को डरने मत देना॥
२
जान लो कि कर्म और भाग्य
साथ साथ चलते हैं।
जो बैठे ही रहते वह बस हाथ
ही हाथ मलते हैं॥
किसी की लकीर मिटायो नहीं
बड़ीलकीर खींचों तुम।
जान लो कि जलाने वाले खुद
ही जाकर जलते हैं॥
३
यह ज़िन्दगी में कभी जीत तो
कभी हार होती है।
कभी यहाँ पर निराशा तो कभी
बहार होती है॥
धैर्य विवेक आस विश्वास से ही
जीती जाती यह जंग।
जिंदगी की सड़क आड़ी तिरझी
हौसलों से पार होती है॥
तेरे कर्मों का लेखा जोखा
१
काया माया सब कुछ इसी
देश रह जाता है।
अंत समय तो बस मिट्टी का
वेश रह जाता है॥
कुछ इक्कठा करना है तो
करो तुम नेकनामी।
केवल लेखा जोखा तेरे कर्मों
का शेष रह जाता है॥
२
जब तक श्वास और विश्वास
तब तक जीवन है।
भीतर संवेदना का आभास
तब तक जीवन है॥
पानी के बुलबुले-सी क्षण
भंगुर ज़िन्दगी हमारी।
जिंदा अहसास और आस
तब तक जीवन है॥
३
हर दिन तराशते रहो तुम
अपने किरदार को।
अच्छाच्छा छानते रहो छोड़
दो बेकार को॥
बस जीने का ही दूसरा नाम
है यह जिन्दगी।
जब तक ज़िन्दगी बांटते रहो
तुम बस प्यार को॥
४
बेचैन होकर नहीं जीवन बस
चैन से जियो।
गम ख़ुशी दोनों ही आंसू तुम
नैन से पियो॥
यही तो जीवन का सार और
है यही सारांश।
जब तक ज़िन्दगी हिम्मत से हर
काम दिन रैन कियो॥
व्यक्तित्व बनकर जियो
१
कूद पड़ो मैदान में कि जिंदगी भी जंग है।
नरम गरम ख़ुशी गम यही इसका ढंग है॥
हज़ारोंअंग मिल कर बना जीवन रंगमंच यह।
हारी बाज़ी जीत जाता जो रखता हौसलें का रंग है॥
२
जो समय का मोल समझे वो बनतानमोल है।
वक्त के साथ चलता गढ़ता इतिहास भूगोल है॥
समय से डर कर रहो कि यह है बहुत बलवान।
यही समय की हुकूमत का सबसे बड़ा बोल है॥
३
आपका व्यवहार आपके जीवन का आइना है।
जो समय के साथ सुधरे होता वही सयाना है॥
समय और स्थिति कभी भी सकती है बदल।
आपका धैर्य विवेक अच्छे भविष्य का बयाना है॥
४
बस दिल में लगन जीने की चाहत होनी चाहिये।
कभी किसी की भावना नहीं आहत होनी चाहिये॥
मुस्करा कर और देख कर मुस्कराने में फ़र्क़ है।
आपसे हर किसी को मिलती राहत होनी चाहिये॥
५
चेहरा अपना तुम इक खुली किताब-सा रखो।
दुयाओं में लपेट रिश्तों को तुम आबाद-सा रखो॥
दिमाग से नहीं पर दिल से तुम मिलों हर किसी से।
जोड़ तोड़ का कभी नहीं दिल में हिसाब-सा रखो॥
जैसी करनी वैसी भरनी
१
आज आदमी चेहरे पर चेहरे लगाये हज़ार है।
ना जाने कैसे चलन का गया व्यवहार है॥
मूल्य अवमूल्य शब्द कोरे किताबी हो गये।
अंदर कुछअलग-कुछअलग आदमी बाहर है॥
२
जैसी करनी वैसी भरनी यही विधि का विधान है।
गलत कर्मों की गठरी लिये घूम रहा इंसान है॥
पाप पुण्य का अंतर ही मिटा दिया है आज।
अहंकार से भीतर तक समा गया अज्ञान है॥
३
अधिक बोलने सेआज ज़्यादा बात खराब होती है।
मेरा ही हक़ बस यहीं से पैदा दरार होती है॥
अपना सुधार कम दूसरों कापयश सोचतेअधिक।
बस यहीं शुरुआत ग़लत किरदार की होती है॥
४
पाने का नहीं देने का दूसरा नाम ख़ुशी है।
जो जानता है देना वह रहता सदा सुखी है॥
दुआयें तो बलाओं का भी मुँह हैं मोड़ देती।
जो रहता सदा लेने में वह कहीं ज़्यादा दुखी है॥
एस. के. कपूर “श्री हंस”
बरेली
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