Table of Contents
क्रान्ति ज्योति सावित्रीबाई फुले का महान व्यक्तित्व
सावित्रीबाई फुले:- नारी को ज्ञान दिलाया, जीने का सम्मान दिलाया।
घर घर में दिया जलाया, धारा से अंधकार मिटाया॥
जीवनवृत्त
सावित्रीबाई फुले का जन्म ३ जनवरी १८३१ को हुआ था। इनके पिता का नाम खन्दोजी नैवेसे और माता का नाम लक्ष्मी था। सावित्रीबाई फुले का विवाह १८४० में ज्योतिराव फुले से हुआ था।
महानायिका
सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं। हर बिरादरी और धर्म के लिये उन्होंने काम किया। जब सावित्रीबाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में लोग उन पर गंदगी, कीचड़, गोबर, विष्ठा तक फेंका करते थे। सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुँच कर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थीं। अपने पथ पर चलते रहने की प्रेरणा बहुत अच्छे से देती हैं।
विद्यालय की स्थापना
वे स्कूल जाती थीं, तो विरोधी लोग उन पर पत्थर मारते थे। उन पर गंदगी फेंक देते थे। आज से १९१ साल पहले बालिकाओं के लिये जब स्कूल खोलना पाप माना जाता था तब उन्होंने ५ सितंबर १८४८ में पुणे में अपने पति के साथ मिलकर विभिन्न जातियों की नौ छात्राओं के साथ उन्होंने महिलाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की। एक वर्ष में सावित्रीबाई और महात्मा फुले पाँच नये विद्यालय खोलने में सफल हुए।
तत्कालीन सरकार ने इन्हे सम्मानित भी किया। एक महिला प्रिंसिपल के लिये सन् १८४८ में बालिका विद्यालय चलाना कितना मुश्किल रहा होगा, इसकी कल्पना शायद आज भी नहीं की जा सकती। लड़कियों की शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी। सावित्रीबाई फुले उस दौर में न सिर्फ़ ख़ुद पढ़ीं, बल्कि दूसरी लड़कियों के पढ़ने का भी बंदोबस्त किया।
समाज उद्धारक
सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जीया जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। वे एक कवयित्री भी थीं उन्हें मराठी की आदिकवियत्री के रूप में भी जाना जाता था।
निधन
१० मार्च १८९७ को प्लेग के कारण सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया। प्लेग महामारी में सावित्रीबाई प्लेग के मरीजों की सेवा करती थीं। एक प्लेग के छूत से प्रभावित बच्चे की सेवा करने के कारण इनको भी छूत लग गया और इसी कारण से उनकी मृत्यु हुई।
मैं तो यहाँ पर ही कहना चाहूंगा कि-
नारी को बंधन मुक्त कराया।
स्वतंत्रता का अधिकार दिलाया॥
डॉ. हरिभजन प्रियदर्शी (स्टेट अवार्डी)
प्रवक्ता-हिन्दी
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय (कन्या) मलोट,
ज़िला-श्री मुक्तसर साहिब
(पंजाब)
यह भी पढ़ें-
1 thought on “सावित्रीबाई फुले”