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ये माँ की ममता है
ये माँ की ममता है।
ऐ प्यार ही करती है।
कितना भी ठुकराओ।
माँ दुवा ही देती है।
बच्चे लाख बुरे सही।
इसको अच्छे ही लगते है।
कोई शिकायत करे तो।
माँ उसे ही डाटती है।
ये माँ की ममता है…
चोट लगे तुझको अगर।
माँ ही पहेले रो दैती है।
तेरे इन जख्मोंपर वो।
माँ ही मरहम लगाती है।
ये माँ की ममता है।
घर में हो एक ही रोटी।
वो बेटे को खिलाती है।
झुठ बोलकर कैसे वो।
भुखी ही सो जाती है।
ये माँ की ममता है।
छोटी सी बात पर जो
छोटी सी बात पर जो …
तुम रुठ जाओगे…
तो इश्क़ क्या …निभाओगे…
तुम इश्क़ क्या… निभाओगे।
प्यार तो तुम…बहोत ही करते हो।
हक भी बडा ही…तुम जताते हो।
वादा करते हो तुम …सातजन्मों का।
इस जनम में ही…साथ छोड जाओगे।
तो इश्क़ क्या …निभाओगे…
तुम इश्क़ क्या… निभाओगे।
एक पल भी आँखोंसे…ओजल ना होने देंगे।
पलखोंपे बिछाकर…तुम्हे हम रखेंगे।
वादे तो रोज़ ऐसे…हजार तुम करते हो।
पर अपना ही वादा…जो तुम तोड जाओगे।
तो इश्क़ क्या …निभाओगे।
तुम इश्क़ क्या …निभाओगे।
जिंदगी
कैसे कहू मैं जिंदगी
तुमसे हार गया हू।
जहर जिंदगीका पीकर
मै सवर गया हू।
कैसे कहू मैं जिंदगी
तुमसे हार गया हू…
दुनिया बडी बेरहेम है
मै ए जानता हू
दुश्मन चारो तरफ़ है
मै ए मानता हू
अंगारोंसे भी अब खेलना …
मै ए सिख गया हू।
कैसे कहू मैं जिंदगी
तुमसे हार गया हू…
कुछ तो मूझे करना है
अगर ज़िंदा रहेना है
अपनों के लिए मुझे
दुख: दर्द भी सहेना है
आंसुओ का समंदर भी
मै ए पी गया हू।
कैसे कहू मैं जिंदगी
तुमसे हार गया हू…
माटी का पुतला
माटी का पुतला है तू
माटी का पुतला।
सोने, चांदी, जेवर से
इसको लाख सजाले।
काच के पिंजरे में भी
तू इसको बंद कराले।
पानी का बुलबुला है तू
पानी का बुलबुला।
माटी का पुतला है तू
माटी का पुतला।
कितना घमंड है तुझको
इस रंग रूप का
जवानी भी ढल जाती है
जीवन पलभर का
दो दिन का चेला है तू
दो दिन का चेला
माटी का पुतला है तू
माटी का पुतला।
जीवन
इतना आसान नहीं होता
जीवन को जीना
एक गुलाब पाने को हजार
काटोंको है सहेना
इतना आसान नहीं होता…
माँ बाप की छाव मे
जीवन है मिलता
माँ बाप का घर जैसे
स्वर्ग ही लगता।
मगर बडे होकर हमारा
माँ बाप बनना
खुद धुप में खडे रहेना
और छाव देना।
इतना आसान नहीं होता…
जवानी जब आती है तो
सावन है खिलता
पतझड जीवन में भी तब
फुल है खिलता
जवानी ढल जाने के बाद
बुढापे का आना
शाम ढलते ही जैसे उस
सुरज का जाना
इतना आसान नहीं होता…
बेटी
काश मेरी भी कोई.।
एक बेटी होती।
पापा पापा कहे के
मुझको बुलाती।
काश मेरी भी कोई…
खिलोंने ले आता मै
उसके लिए कही।
गाता लोरीया मैं भी
सो जाती वही।
वो डाँल पकडकर खेलती…
और वह डाँल मेरी होती।
काश मेरी भी कोई…
वो जब बडी होती…
शादी मैं रचाता।
अच्छा दामाद मै…
कही से ढुंढ लाता।
सज सजके वह दुल्हन बनती…
और मेरे लिए वह आँसू बहाती।
काश मेरी भी कोई…
तुम
कितनी मासुम हो तुम
कितनी प्यारी हो तुम।
हमारे लिए तो जैसे।
दुनिया सारी हो तुम।
कितनी मासुम हो तुम…
आँखो में काजल लगाती हो तुम
माथे पर बिंदीया चमकाती हो तुम।
देखता हू तुम्हे तो लगता है जैसे…
माँग सजाती वह कुमकुम हो तुम।
कितनी मासुम हो तुम…
हाय ऐ शरमाना और ए मुस्कुराना।
इसी पर तो फिदा है ए दिल हमारा।
दिल रोशन हो बस तुमसे ही…
ऐसी चमकती रोशनी मेरी हो तुम।
कितनी मासुम हो तुम…
कितना काम दिनभर करती हो।
क्या कभी तुम थकती नहीं हो।
मै तो दिया हू तुम्हारा पर…
मेरे घर में जलने वाली ज्योती हो तुम।
कितनी मासुम हो तुम…
रक्षाबंधन
ओ मेरे भैया तुमको
हँप्पी रक्षाबंधन।
राखी के दिन तुम
मुझे लेने आना।
घर अपने बस तुम
मुझे लेके जाना।
हाथमे बाँधेंगी राखी
तुम्हारी ही बहेन।
ओ मेरे भैया तुमको
हँप्पी रक्षाबंधन।
राखी के बदले मैं तुमसे
क्या मांगुगी।
आँख जो भर आयी आज
कैसे रोकुंगी।
प्यार से भरा रहे सदा
तेरा ऐ आंगन।
ओ मेरे भैया तुमको
हँप्पी रक्षाबंधन।
यश सोनार
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