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यादगार सावन
यादगार सावन: आज सुबह से ही रिमझिम फुहार लगी हुई हैं चारो तरफ़ हरियाली है जैसे कुदरत ने ज़मीन पर मखमली कालीन बिछा दिया हो। यही तो खूबसूरती है सावन की, चारो तरफ़ रंग बिरंगी फूल खिले हुए हैं। बागों में झूले पड़ गए पर मैं आज भी अकेली हूँ।
हाँ… मैं अनन्या सिंह…
माता पिता की मृत्यु के बाद छोटे भाई बहिन का सहारा मैं ही थी। इसलिए जैसे तैसे शिक्षा पूर्ण करके शिक्षिका बन गई। वह नौकरी ही मेरे जीवनयापन का एक मात्र सहारा थी। चाचा जी ने मुझे पढ़ाया लिखाया किन्तु उनके स्वर्ग सिधार जाने के बाद चाची जी ने हमसे मुँह मोड़ लिया। समय अपनी चाल से आगे बढ़ता गया और मेरी उम्र भी
आज मेरा छोटा भाई अमित प्रतिष्ठित वकील है और मेरी छोटी बहन रिया डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही हैं। अमित ने मुझे कई बोला कि दीदी अब आप भी घर बसा लो लेकिन अब इस अधेड़ उम्र में दुल्हन का जोड़ा मुझ पर शोभा देगा।
यह सोचकर भी शर्म आती है। अब तो भाई बहिन की शादी की उम्र है पर मेरे बचपन की सहेली पूजा आज भी मेरे पीछे पड़ी रहती हैं कि एक बार हाँ कर दो शादी के लिए, क्यों तुम आगे बढ़ना नहीं चाहती। मेरे भाई ने तो अपना जीवनसाथी चुन लिया दोनों ने साथ में ही वकालत की पढ़ाई की है बस फेरों की देर है चलो अच्छा है मेरी एक जिम्मेदारी और पूरी हो जाएगी। फिर रही बात छोटी की तो उसकी शादी भी उसकी रजामंदी से करूंगी। आज। अनन्या खिड़की में बैठी-बैठी सोच रही थीकि सावन की मदमस्त बहार भी अब मेरे जीवन जो पतझड़ में बदल चुका है उसे पुनः यौवन नहीं दे सकता तभी ख़्याल आया अरे आज तो सावन का पहला सोमवार है यह कहते हुए अनन्या मंदिर की ओर चल दी।
जल्दवाजी में अनन्या किसी अजनबी की गाड़ी के सामने आते-आते बची तभी मेघो ने बरसना शुरू करदिया। जैसे ही दोनों ने एक दूसरे को देखा तो बस देखते रह गये वह शेखर था। जिसने कॉलेज में अनन्या से प्रेम का इज़हार किया था पर उसने शेखर को मना कर दिया था। पर आज यह संजोग जैसे कुदरत भी चाहती थी कि अनन्या की ज़िंदगी भी इंद्रधनुष के रंगो से सज जाए। उसेभी किसी की बाहों का झूला मिले। दोनों ने औपचारिक बातो के साथ शुरुआत की तब बातों बातो में पता चला कि शेखर ने आज भी शादी नहीं की उसके इंतज़ार में जाते समय शेखर ने अपना कार्ड दिया उसे जिसे लेकर वह घर वापिस आ गई और आकर तुरंत अपनी डायरी में लिखने लगी।
उस सुनहरे वक़्त को जब वह शेखर को पसंद करती थी पर जिम्मदारियों की वज़ह से शेखर को हाँ नहीं कर पाई उसने शेखर के दिए कॉर्ड को चुमकर जिसपर उसका नंबर लिखा था डायरी में रखलिया न जाने क्यों आज उसका मन मयूर बनकर नाच रहा था वह डायरी टेबल पर रखकर सोने चली गई औऱ सुबह स्कूल चली गई। लेकिन जब वापिस आई तो घर पर शेखर को देखकर सकपका गई तब अमित ने आकर कहा अब बस दीदी मैंने तुम्हारी डायरी में सब पढ़ लिया मैं धूमधाम से तुम्हारी शादी करूँगा इतने में छोटी बोली मुंझे तो शेखर जीजाजी बहुत पसंद हैं। अनन्या शर्म से लाल हो गई। सचमुच सावन ने दो बिछड़े हुए प्यार करने वालो को इस बार एक कर दिया॥
नेहा जैन
ललितपुर
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