मां यमुना
हम निर्मल-पावन जल की महिमा नहीं घटाएँ,
पतितपावनी माँ यमुना को निर्मल पुनः बनाएँ।
प्राणदायिनी माँ यमुना को बचाने जन-जन आगे आएँ,
पुण्यदायिनी माँ यमुना को केमिकल-विष से बचाएँ।
आओ-आओ सब साथी मिलकर हाथ बंटाएँ,
पतितपावनी माँ यमुना को निर्मल पुनः बनाएँ।
पूजा-पाठ की सामग्री को यमुना में न बहाएँ,
सड़ा-गला कचरा बहाकर जल को ज़हर न बनाएँ।
किसी भी तरह की मूर्ति-तस्वीर का विसर्जन न करें,
हो जायें जागरूक, धर्मवीर बनें, आडंबर न करें।
निकट ही विसर्जन हेतु, यमुना घाट पर कुंड बनाएँ,
पतितपावनी माँ यमुना को निर्मल पुनः बनाएँ।
कहीं न कोई घाट-किनारा वृक्षों से खाली रहे,
मां यमुना का हर किनारा हरियाली से भरा रहे।
बेशक कोई न हो पर्व-स्नान तिथि यमुना की नित करो सफाई,
हो जाओ तैयार धर्मप्रेमी पावन कर्म करने की बारी आई।
प्राणदायिनी-पुण्यदायिनी अविरल माँ यमुना को बचाएँ,
पतितपावनी माँ यमुना को निर्मल पुनः बनाएँ।
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
ग्राम रिहावली, डाक घर तारौली गूजर, फतेहाबाद, आगरा, उत्तर प्रदेश २८३१११
९६२७९१२५३५
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