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हर दिन महिला दिवस करो
“हर दिन महिला दिवस करो”
पराई पराई कहकर मत बुलाना, जन्म लेते ही वह रानी है।
है धरा गवाह इस बात की वह प्रेम की देवी नारी है॥
पिता के घर हंसती खेलती बना हज़ारों यादें बचपन की।
सुंदरता की विह्वलता की सदा आस जगाती अपनेपन की॥
देकर नव प्राण स्वयं से नए तन को, क्यारी पुष्पों से सजाती है।
है चिर अनंत इसकी गरिमा बस स्वयं को समझती दासी है॥
शान और शौकत अर्जन कर पिता सहेजता ख़ुद को तपाकर।
फिर कैसे कुत्सित हाथों से हो जाते घृणित पाप॥
नभ में जग में देखो ग़ौर कर सुनो और समझो इसके संताप।
दीप जलाकर जो घर तुम्हारा प्रतिदिन रोशन करती है।
आख़िर क्यों फ़िर कोख़ ही में ज्यों पता चला वह लड़की है॥।
नहीं आस रखती तुमसे कुछ क्यों देते उसको धिक्कार।
सदा सहेगी ख़ुद को मिटाकर तुम उसको उसका दो अधिकार॥
जन्म देती जो संतति को बनाती परिवार को वंश।
चढ़ स्वयं वेदी पर कर ख़ुद को समर्पित सहती हर प्रकार के दंश॥
ज्यों संभलना सीखती बन जाती दूसरे घर की शान।
चाहे तुमसे और विश्व से बस अपने ही हक़ का सम्मान॥
जन्म लेते ही जो है जीती दूसरों की खातिर।
फ़िर क्यों कुचलते उसे मसलते तुम अपने भोग के खातिर॥
जिससे मिला अपार प्रेम उसी को कैसे टुकड़ों में काट लेते हो?
हे निष्ठुर भोगी! बद से बद्तर जीवन उसको क्यों देते हो?
टुकड़ों में न काटो उसे वह प्रेम फैलाने आई है।
भले सहेगी नहीं कहेगी पर ख़ुद को समर्पित कर तुममें समाई है॥
है चिर शुशोभित माता की जगह क्या कभी कोई ले सकता है।
कहो कटु सत्य या कहो विवशता जीवन बस इसी से चलता है॥
देती निश्चल प्रेम तुम्हें वह सारा।
उदास जीवन में करती उजियारा॥
ईश नहीं रह सकते साथ तभी तो नारी का दे हाथ।
सदा पास रह और सब कुछ सह देती हर परिस्थिति में साथ॥
गर कहते देवी हो इसको, तो देवी का सम्मान करो।
एक दिन नहीं महिला को, हर दिन महिला दिवस करो॥
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ॥
एक नारी
यशा रावत वर्मा
समाज सेवी
फाउंडर-पहल फाउंडेशन
प्रबन्धक-किड्स गुरुकुल स्कूल
लखनऊ
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