
साहित्यिक आलोचना के गुण-दोष
Table of Contents
बौने प्रहसन और अन्य कविताएँ
मुझे आज एक पुस्तक मिली जो कपिल भारद्वाज द्वारा रचित कविता संग्रह “बौने प्रहसन और अन्य कविताएं” जो एक उम्दा और दिमाग़ के तारों को करंट देने वाला, दिमाग़ के पुर्जे कसने वाला है। इस काव्य संग्रह में वाकई जबरदस्त लेखनी का प्रयोग किया है। बेबाक और बेख़ौफ़। आस-पास घट रही घटनाओं को कविताओं की लड़ी में पिरोया है। ऐसी लड़ी जो भगवान को भी उसी के घर के सामने खडा कर देती है। पहली कविता ‘प्रेम’ जो महसूस करवाती है कि प्रेम ऐसा होना चाहिए जो स्याह काली रात को भी सौन्दर्य में बदल दें। प्रेम ऐसा हो जो जाति, धर्म से ऊपर उठकर रोटी का सवाल करें। काला रंग जो में रंगभर दें जो एक श्यामपट का काम करती हो कितनी ज़िन्दगी के बुलबुले को रंगने से ज़िन्दगी रंगीन बनती है। जिस तरह शिक्षक द्वारा श्यामपट्ट पर किसी सवाल को बताना विद्यार्थी के अन्दर वह रोशनी भर देता है। ठीक उसी तरह यह कविता भी रंग भरने का काम कर रही है। ‘तानाशाह मुस्कुरा नहीं सकता’ बहुत ही आला दर्जे की कविता जो बता रही है कि समाजवाद की तरफ़ बढ़ो। एक न्यायपूर्ण समाज की स्थापना करों बताता है कि तानाशाह हमेशा गुलाम बनाकर रखता है।
इस कविता में वह हिटलर का ज़िक्र करता है क्योंकि तानाशाह के अन्दर प्रेम नहीं होता है। वह प्रेम की परिभाषा नहीं जानता। हाँ वह लुटेरा है, मालिक है मजदूरों का, राजा है प्रजा का, मज़दूर वर्ग की सत्ता और सरकार ही किसानों और मजदूरों के अभी तक के शोषण, अन्याय, भेदभाव और गैर-बराबरी का हिसाब मांग रही है तानाशाह से। कविता अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने का एक सुंदर तरीक़ा है। प्राचीन काल में काव्य में प्रतीकात्मकता को बहुत महत्त्व दिया जाता था लेकिन आधुनिक काल में काव्य-काव्य और प्रतीकात्मकता से स्वतंत्र हो गया है। कविताओं में प्रतीकात्मकता और अलंकरण की आवश्यकता समाप्त हो गई और नई कविता का युग शुरू हुआ। वस्तुतः कविता में अर्थ तत्व प्रधान होता है। रस को काव्य की आत्मा माना जाता है। यह आज भी काव्य का सर्वोत्तम तत्व है। कपिल भारद्वाज ने अपनी एक अलग लहर चलाई जो भविष्य में जाकर एक समुन्दर का काम करेगी। यह एक पुस्तक नहीं बल्कि गरीब, वेश्याओ, मजदूरों की आत्मा की आवाज़ है ।
आज मुक्त छंद कविता की नदियाँ बह रही हैं। मुक्त कविताओं में कविता का कोई प्रयास नहीं था; मेरे लिए भावना ही मुख्य तत्व है। आज की कविता में मन में उमड़ते भाव, मन में आए विचार और अनुभव प्रेरणादायी थे और कविताएँ मनमोहक थीं। लेकिन इन कविताओं में एक लय है, भावना की एक लय है, जो पाठक को बाँधे रखती है। अगर दिल में कोई तीखा कांटा चुभता है। उसका इलाज़ भी इसी किताब में दिया है। एक अज्ञात बुराई पूरे व्यक्तित्व पर छाई रहती है और हमारी भावनाओं को उत्पन्न करने के लिए कुछ करना पड़ता है। परिस्थिति के वातावरण ने, समय के लम्बे अंतराल ने, हमारी सृजनात्मक क्षमताओं को बढ़ाया, यहाँ तक कि जब अवसर आया, तो हमारे हृदय में जो एकमत भावनाएँ, विचार और भावनाएँ थीं, वे भी पूरी तरह अभिव्यक्त हुईं। जलती हुई आग को बुझाने के लिए बस एक अवसर की आवश्यकता थी और फिर जन्म की पीड़ा के बाद जो सामने आया वह सर्जन और गहन अनुभूति का एक आनंदमय चरमोत्कर्ष था। यह कविता संग्रह प्रेम के बाद उत्पन्न होने वाले अनुभवों का संग्रह है।
उनकी कविताओं में जीवन के अनेक रंग हैं। आपकी कविता ‘कुंवारी लाईब्रेरी’ जीवन के संघर्ष का वर्णन करती है।
कौन-सी भाषा में बिलखता है बच्चा
और
बिछड़ते वक़्त उसने कहा
मैं तेनू फिर मिलांगी।
बदलते समय के साथ रिश्ते भी बदल रहे हैं। कवि ने इस रिश्ते को इस प्रकार प्रस्तुत किया है:
आदमी होने की संभावना कितनी कम बची है
से पता चलता है आज कल के रिश्ते का।
जोकर, निरापद, कविता-१, दिसम्बर-१ आदि में
कविताओं में मौसम का रंग न हो तो क्या फायदा? कविताएँ केवल सुहावने मौसम में ही स्वीकार की जाती हैं। कवि फागुन के सुंदर रंगों को उकेरते हुए कहता है:
प्रेम कविताएँ कितनी अच्छी है।
कवि का रक्त चाप, इंतजार, लोकतंत्र की वेज बिरयानी वाकई जबरदस्त है
कवि समाज में व्याप्त बुराइयों पर भी प्रहार करता है। चाहे महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध हों, प्रेमी-प्रेमिकाओ के बढ़ते अपराध हों, सांप्रदायिकता का ज़हर हो, भीड़ द्वारा घेर लिए जाने और क्रूर हत्याओं का भय हो, रूढ़िवादिता में फंसा जीवन हो या मानवीय भावनाओं को ठेस पहुँचाना हो, वे चीखते हैं। कवि को छोड़कर किस ने इस पर विचार किया है। इतना ही नहीं, कवि ने निराशा व्यक्त करके इस घने अंधकार में हमेशा आशा का एक छोटा-सा दीपक जलाया है। कवि ने कहा-
विरह की बरछी, सोशल मीडिया और हमारे जीवन का अंधेरा, दुःख आदि कविताएँ भावनाओं से काव्य सर्जन करने की दृष्टि से भी उत्कृष्ट हैं। कविता की भाषा में एक प्रवाह, एक लय होती है। कवि ने कुछ ही शब्दों में बहुत ही सुन्दरता और वाक्पटुता से कोई बात कह दी है। कविताओं में सौन्दर्य है। कवि अपनी भावनाओं को कुछ शब्दों में और कुछ छवियों के माध्यम से व्यक्त करना सबसे अच्छा जानता है और यह चित्रात्मक नियम पाठक को स्थिरता प्रदान करता है। कविता विचारों और भावनाओं को सरल और सीधे ढंग से प्रस्तुत करती है, जिससे पाठक के लिए कविता का अर्थ समझना आसान हो जाता है। पुस्तक का आवरण चित्र की शैली का है, जो दिलचस्प है। यह कविता प्रेमियों के लिए एक अच्छा कविता संग्रह है।
समीक्षा-पुस्तक
काव्य संग्रह-बौने प्रहसन और अन्य कविताएँ
मूल कवि-कपिल भारद्वाज
समीक्षक-मनजीत सिंह
सहायक प्राध्यापक उर्दू
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र
मनजीत सिंह
सहायक प्राध्यापक उर्दू
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र
यह भी पढ़ें:-