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बेटी
मां मैं बेटी हूँ तेरी,
मुझे दुनिया में तो आने दे।
माँ मैं तेरी परछाई,
मुझे साथ अपने तो चलने दे।
माँ मैं हूँ तेरा अंश,
मुझे दुनिया को सजाने तो दे।
न हो तू यूं उदास मां,
मुझे हाथ थाम कर,
अपने संग तो चलने दे।
तेरा दामन मैं खुशियों से भर दूंगी,
बस मुझे तू मुस्कुराने तो दे।
मां मैं वेटी हूँ तेरी,
मुझे दुनिया में तो आने दे।
तेरे चेहरे की ख़ुशी बनूंगी,
पढ़-लिख कर तेरा मान बढ़ाऊंगी।
चिंता न कर कोई भी बस पैरों,
पर खड़ी हो जाने तों दें,
माँ मैं वेटी हूँ तेरी,
सब कुछ कर दिखाऊंगी।
तेरा सहारा बनूंगी मैं,
बस मुझे अपना तों लें।
माँ मैं बेटी हूँ तेरी,
मुझे दुनिया में तो आने दें।
उम्मीद
उम्मीद का दामन ना छोड़िए कभी।
यही तो पार लगाएगी,
निराशा को दूर कर के मुख से
चेहरा पर बड़ी सुंदर—सी मुस्कान लाएंगी।
तेरे खाली दामन को खुशियों से भर देंगी
ये सूनी ज़िन्दगी फिर से मुस्कुराएंगी
उम्मीद का दामन ना छोड़िए कभी,
यहीं तो पार लगाएंगी
देती यही जीवन में आगे बढ़ने की सीख,
गहरे दुःख से उबारती।
हर दिन को बेहतर से बेहतर बनाती
जो बीत गया उसे भूल कर, आगे बढ़ने की बात कह जाती।
यह छोटी—सी उम्मीद तिनका बन कर पार लगा जाती हैं।
जीवन में हार न मानने का सबब सीखा जाती हैं।
उम्मीद का दामन ना छोड़िए कभी।
यहीं पार लगा जाती हैं।
नीरू बाला
हिन्दी अध्यापिका,
राजकीय (कन्या) वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय मलोट।
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