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बच्चों में कोविड-१९: खतरे और सावधानियाँ
सीएसआईआर की नई इकाई, सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान (एनआईएससीपीआर) , नई दिल्ली ने कल (०४ जून २०२१ को) बच्चों में कोविड-१९ के बारे में आधे दिन का एक ऑनलाइन सत्र आयोजित किया। यह सत्र हाल ही में कोविड-१९ की दूसरी लहर के प्रकोप और बच्चों पर इसके प्रभाव, खतरों और बच्चों की सुरक्षा के लिए ज़रूरी प्रोटोकॉल पर केन्द्रित था।
इस वेबिनार के मुख्य अतिथि डॉ. वी. विजयलक्ष्मी, अतिरिक्त आयुक्त (अकादमिक) , केवीएस (मुख्यालय) , नई दिल्ली थीं और अतिथि वक्ता श्री बालाजी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एसबीएमसीएच) , चेन्नई, तमिलनाडु के बाल रोग विभाग के प्रोफेसर और इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (आईएपी) के कार्यकारी बोर्ड सदस्य २०२१ प्रोफेसर डॉ. आर. सोमशेखर थे। इस कार्यक्रम में सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर द्वारा फ़ेसबुक पर उपलब्ध कराए गए लिंक के माध्यम से कई गणमान्य व्यक्तियों, संकाय सदस्यों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों और विभिन्न स्कूलों के छात्रों सहित लगभग १५० प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की निदेशक डॉ. रंजना अग्रवाल ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में ‘जिज्ञासा’ , जोकि वर्ष २०१७ के मध्य में शुरू हुई छात्रों-वैज्ञानिकों को जोड़ने की पहल है और जिसका उद्देश्य स्कूली छात्रों में ‘वैज्ञानिक चेतना’ पैदा करना और उन्हें विज्ञान उन्मुख बनाना है, के जरिए दो महान संस्थानों, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और केन्द्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के बीच असाधारण सम्बंधों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने आगे कहा कि ‘जिज्ञासा’ ने वास्तव में न केवल छात्रों के बीच एक सराहनीय प्रभाव पैदा किया है, बल्कि वैज्ञानिकों में भी उत्साह जगाया है। उन्होंने कहा कि ‘जिज्ञासा’ छात्रों को सीधे वैज्ञानिकों के साथ बातचीत करने का अवसर प्रदान करता है और इस तरह युवा दिमाग़ को नवीन सोच और दृष्टिकोण की ओर प्रेरित करता है। दीर्घकालिक स्तर पर, विशेष रूप से समाज के लिए फायदेमंद विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास के संदर्भ में इस पहल से प्रभावशाली परिणाम मिलने की उम्मीद है।
डॉ. वी. विजयलक्ष्मी, अतिरिक्त आयुक्त (अकादमिक) , केवीएस ने अपने सम्बोधन में कहा कि ‘जिज्ञासा‘ छात्रों के लिए एक सपने के सच होने जैसा है क्योंकि यह वैज्ञानिकों के साथ बातचीत करने और उनके काम को करीब से देखने का एक मंच प्रदान करता है। यह सम्बंध उनके संस्थान के लिए काफ़ी सफल रहा है क्योंकि इसके जरिए पूरे साल चलने वाली विभिन्न प्रकार की संलग्नता को लेकर छात्र उत्साहित हैं।
डॉ विजयलक्ष्मी ने कहा कि अभूतपूर्व कोविड-१९ महामारी ने हमारे जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित किया है। इसने सबसे महत्त्वपूर्ण सामाजिक जीवन और बच्चों के मानस को निष्क्रिय रूप से प्रभावित किया है। इसकी वज़ह से उन्हें पढ़ाई के अलावा खेलने के अधिकार से वंचित होना पड़ा है, भले ही वह उनके साथियों के साथ ही क्यों न हो। उन्होंने इस बात की याद दिलाई कि कैसे हमारे शिक्षक बच्चों को शिक्षित करने के दबाव से निपटने के लिए रातोंरात आईटी-प्रेमी तकनीकी विशेषज्ञ बन गए।
एसबीएमसीएच, चेन्नई के बाल रोग विभाग के प्रोफेसर और आईएपी केईबी सदस्य प्रो. आर. सोमशेखर, ने सूक्ष्म विवरणों को शामिल करते हुए “बच्चों में कोविड-१९: खतरे और सावधानियां” विषय पर एक व्यापक मुख्य भाषण दिया। उन्होंने कहा कि बच्चों में कोविड-१९ का अभी भी मध्यम असर है। भले ही बच्चे सार्स-कोव-२ वायरस की चपेट में हैं, फिर भी उनमें से अधिकांश बिना लक्षण वाले हैं और मात्र १-२% को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। डॉ. सोमशेखर ने माता-पिता को वयस्कों से संक्रमण के संचरण की संभावना और इन दिनों बच्चों में बढ़ते जठरांत्र सम्बंधी लक्षणों के बारे में आगाह किया। उन्होंने समझाया कि अन्य फ्लू और सामान्य सर्दी के बीच कोविड-१९ लक्षणों की पहचान और अंतर कैसे करें।
डॉ. सोमशेखर ने कहा कि कोविड-१९ ने अब तक कर्नाटक को छोड़कर भारत में बच्चों को ज़्यादा प्रभावित नहीं किया है। उन्होंने बच्चों के लिए कोविड-१९ के उपचार के विभिन्न विकल्पों पर चर्चा की। सत्र को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने हमारे दैनिक जीवन में अपनाए जाने लायक कुछ उपायों के बारे में सुझाव दिया: शारीरिक व्यायाम, बच्चों के साथ खेलना, स्वास्थ्य को नुक़सान पहुँचाने वाले खाद्य पदार्थों से बचना, अच्छी नींद, मास्क पहनना, संतुलित आहार और उम्र के अनुसार टीकाकरण। सबसे महत्त्वपूर्ण बात के रूप में, उन्होंने लक्षणों और बच्चे के व्यवहार में बदलाव पर कड़ी नज़र रखने की सलाह दी।
डॉ. वाई. माधवी, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर ने चर्चा का संचालन किया और समापन सत्र का सार प्रस्तुत किया। श्री आर. एस. जयसोमू, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया। डॉ. एन. के. प्रसन्ना, वैज्ञानिक, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर ने इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक आयोजित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के समस्त कर्मचारियों ने इस कार्यक्रम की पहुँच बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभाई।
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