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प्यार मोहब्बत पर व्यंग्यात्मक नजर
किस्सोगोई में सिद्धहस्त शंकर आँजणा विषय-वस्तु को लेकर प्रयोग करता रहता हैं। उन्होंने बचपन से लेकर अब तक सुनी प्यार मोहब्बत की कहानियाँ से प्रेरित होकर मुझे प्यार है तुमसे उपन्यास रचा हैं। प्यार, मोहब्बत की कहानियाँ नए सन्दर्भों में, नए प्रश्नों के साथ नए रूपों में प्यार मोहब्बत की कहानियों को व्यवस्थित भाग सजाया है। क्या इस दुनिया में प्यार मोहब्बत ही है क्या हमारे आसपास यह ही रवैया है।
इस प्यार मोहब्बत में लोग पागल हुए घूम रहे हैं इस में जो नायक है वह प्यार मोहब्बत के लिए दीवाना हुआ घूमता है और जो गाहे बगाहे अपने आसपास होने का अहसास कराती हैं। इस दुनिया माँ से बढकर कोई प्यार नहीं है पर आजकल इस प्यार-मोहब्बत में पागल हुई घूमती है दुनिया इस प्यार-मोहब्बत के कारण अपने माँ बाप को छोड़ देते हैं क्या यही है प्यार, मोहब्बत। इस तरह के सवालों के जवाब हम नहीं तलाश पाये।
आँखों के सामने बहुत कुछ घटता दिखाई देता है। हम लाचार देखते रहते हैं किसी दवा से उसका इलाज नहीं है किसी मत्र में भी इतनी ताकत नहीं है प्यार करना गुनाह नहीं है पर प्यार के कारण अपने माँ बाप को छोड़ देना यह कैसा प्यार है। इस प्यार मोहब्बत के कारण अपनी जान तक न्यौछावर कर देते हैं।
इन्सानी सीमाएँ वहाँ तक जाकर खत्म हो जाती है इन्हीं सब सवालों के जवाब में आज भी तलाशता हु सच को खंगालता हु आँखों देखे सच झूठ का बखान करता हु। इस उपन्यास में मुझे प्यार है तुमसे उन प्रश्नों को रेखंकित करते हैं जो आज हो रहे हैं।
पुस्तक-मुझे प्यार है तुमसे
लेखक-शंकर आँजणा जालोर
प्रकाशन-काव्य पब्लिकेशन दिल्ली
पृष्ठ-१०५ मूल्य-१९९
प्राप्ति स्थान-अमेजॉन, पब्लिकेशन की वेबसाइट
समीक्षा कर्ता
सवाराम पटेल, सिंधसवा हरनिया
गुड़ामालानी, बाड़मेर
मो-९८९९३ ५३८१५
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