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पुलवामा अटैक
पुलवामा अटैक
घर से निकले थे वह तो अपना फर्जं निभाने,
देशप्रेम के जज्बे से माटी का कर्जं चुकाने,
हंसते-गाते कारवां बढ़ता जा रहा था,
क्या पता था ज़िन्दगी यूँ थम जायेगी,
वो चले थे घर से, मालूम ना था मौत यूँ चली आयेगी,
एक कार से टकराकर यूँ ज़िन्दगी रूठ जायेगी,
पुलवामा की धरती पर उस दिन नए भारत का जन्म हुआ,
वीरों का वह बलिदान ज़रा भी ना व्यर्थ हुआ,
घर में घुस कर चुन-चुन के दुश्मन मारें थे,
रणबांकुरें दुश्मन के रण में जब़ हुंकारें थे,
भौंच्चका था विश्व भी इस रूप, इस हुंकार से,
दुश्मन दुबक गया था भारत की ललकार से,
वतन पर मिट गये वह वतन को बड़े प्यारे थे,
भारत माँ के लाल वह बड़े मतवाले थे,
देश सेवा को जो घर अपना छोड़ आये थे,
वापस घर वह तिंरगे में लिपट कर आये थे,
बलिदान उनका सदा-सदा ही याद किया जायेगा,
गाथा उनकी भी ये राष्ट्र सदा ही गायेगा,
घर से निकले थे वह तो अपना फर्जं निभाने,
देशप्रेम के जज्बे से माटी का कर्जं चुकाने…!
हर-हर महादेव
ये रात है आस्था और उमंग की,
शिव के शक्ति से संगम की,
छोड़ वैराग्य देखो शिव बनें संसारी,
विवाह बंधन में बंध गये जगत त्रिपुरारी,
मन से जो भी ध्यावे शिव को,
संकट सारें वह हर लेते है,
दूजा नहीं है कोई उन-सा जग में,
जगत कल्याण को वह विष भी पी लेते हैं,
शिव हैं अनंत शिव अविनाशी है,
कल्याण करते है उनका जो उनके अभिलाषी है,
वो प्रचंड हैं वह ही शांत स्वरूप है,
सृष्टि के है पालक वह त्रिकाल अवधूत हैं,
शिव नाथों के नाथ परब्रह्म सर्वत्र विद्यमान है,
वो योगी है, सन्यासी है कैलाश पर निवास है,
उनकी माया का ना पार कोई भी पाया है,
भक्त वह खाली ना लौटा जो शिव के दर पर आया है,
शिव देवों के देव महादेव कहे जाते हैं,
जगत कल्याण को वह सदा ही जग में आते है,
जगत कल्याण को शिव सदा ही जग में आते है…!
वरुण राज ढलौत्रा
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