नारी का यह रूप पत्नी कहलाती है
नारी का यह रूप पत्नी कहलाती है
1
जो रोज़ प्यार स्नेह भरा
भोजन खिलाती है।
जल्दी घर आना बात यह
जरूर बताती है।।
जगाती संस्कार संस्कृति
के गुण घर में।
नारी का यह रूप पत्नी
कहलाती है।।
2
वही घर का तीज त्यौहार
उत्सव मनाती है।
कहाँ कितना देना शगुन
वही समझाती है।।
घर परिवार को बांध कर
रखती एक सूत्र में।
नारी का यह रूप पत्नी
कहलाती है।।
3
गीले में सोकर बच्चों को
सूखे में सुलाती है।
रोते हुए बच्चे को भी
वही चुप कराती है।।
नाते रिश्तेदारी में आपकी
की पहचान उसी से।
नारी का यह रुप पत्नी
कहलाती है।।
4
क्यों जी सुन रहे हैं जो
पुकार लगाती है।
घर बच्चों की हर जरूरत
वही बतलाती है।।
महरी के न आने पर बन
जाती चक्करघिन्नी।
नारी का यह रुप पत्नी
कहलाती है।।
5
भूल कर अपना दर्द बच्चों
को दवा पिलाती है।
घर में हर किसी की सेहत
वो खयाल रखाती है।।
शादी व्याह शॉपिंग जाना
है भाता उन्हें बहुत।
नारी का यह रुप पत्नी
कहलाती है।।
6
आस पड़ोस से संबंध वही
निभाती है।
बहन भाभी मामी चाची जो
बन जाती है।।
जो बना देती है वीरान मकां
को घर एक।
नारी का यह रुप पत्नी
कहलाती है।।
एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
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