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दीवाना बन गया हूँ
तेरी नजरों के नगमों का दीवाना बन गया हूँ मैं
जमीं से आसमानों तक तुम्हारा बन गया हूँ मैं
तुम्हारी जुल्फ के साये की ख़ुशबू से अलग होकर
पुरानी प्रीत की कोई कहानी बन गया हूँ मैं।
तुम्हें पाने की हसरत में ज़माने को भुला डाला
इश्क तुमसे किया हमने जाम मय का भुला डाला
चटकती शोख कलियों का बनी गुलशन हो तुम मेरी
रसीले होठ ने मुझको तेरा आशिक बना डाला।
मचल कर यूं तुम्हारा मुझसे शरमा कर चले जाना
अपने अरमान के गीतों को यूं दिल में दबा जाना
कसक ये इश्क़ की कब तक यूं ही मुझसे छुपाओगी
कहा था तुमने ही मुझसे ठहर कर फिर चले जाना।
दीवाना बनके
दीवाना बनके तुझको आज अपने अंक में भर लूं
इजाजत हो तो अपने हाथ तेरी मांग मैं भर लूं
लिपटकर तू अगर कह दे मुझे मैं अब भी तेरी हूँ
बरसते आग के गोले भी अपने नाम मैं कर लूं।
तुम्हारे दिल की धड़कन भी हमारा नाम लेती है
हसीनों की गली निकलो यूं ही बदनाम करती है
चली आओ छलकते आंसुओं के दर्द को समझो
हमारी सांस भी हरदम तुम्हारा नाम लेती है।
शहजादी
शहजादी थी महलों की परी बनकर के आई है
खुशियों के चिरागों को वह अपने संग लाई है
उबलते थे जहाँ के लोग ग़म की आग में तपकर
सुगंधित पुष्प के संग-संग चंदन लेप लाई
निलेश जोशी “विनायका”
बाली, पाली, राजस्थान
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