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चेहरा उनका
चेहरा उनका
नजरें नजदीक जब से रही है उनकी
हम उनकी निगाहों में नजरबंद हो गए है
जुल्फें जब बिखराई हैं उन्होंने हम पे
इस हसीन साए में आ के हम खो गए है
बस नजर आता है हसीन चेहरा उनका
हम इसे ही सारी दुनिया समझने लगे है
यह आलिंगन कैसा पा लिया है हमने
रोम रोम हमारे तन के चहकने लगे है
जिन लबों पर मायूसी चढ़ी रहती थी
वो अधर बेसब्र हो के चहकने लगे है
मायूसीयत भी हमसे अब विदा हो ली
नशा इश्क का पा के हम बहकने लगे है
कोई न था पहले हमसफर हमारा
आज हम उनके हमसफर हो गए है
उनकी नजरें मेहरबान हो गई हम पे
उनकी निगाहों में नजरबंद हो गए है
गीतकार
रमेश पाटोदिया ‘नवाब’
जयपुर, राजस्थान
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