काश! कोई तो होता
काश! कोई तो होता
जो मुझे मुझसे बेहतर समझता
मैं जो रूठ जाऊँ कभी
प्यार से मुझे मनाता
मेरी बातों को दिल से ना लगाता
छोड़कर मुझे कभी ना जाता
काश! कोई तो होता
जो घड़ी दो घड़ी नहीं जीवनभर साथ निभाता
फूलों-सी राह हो या काँटों का सफर
हर पल हाथ थामें रखता
साया बनकर हरदम साथ चलता
छोड़कर मुझे कभी ना जाता
काश! कोई तो होता
मुझे मुझसे ज़्यादा चाहता
माँ-सी ममता और पिता-सा प्यार
जिंदगी भर मुझ पर लुटाता
दोस्त बनकर दुनिया के दर्द मिटाता
छोड़कर मुझे कभी ना जाता
काश! कोई तो होता…!
काश! कोई ऐसा भी होता…!
कीर्ति पालीवाल फलासिया, पंचायत समिति-भूपालसागर (चित्तौड़गढ़)
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