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इश्क की आग
इश्क की आग में मैं अगर जल भी जाता
तो इसका मुझको कोई ग़म नहीं होता
मुझमें तो बस इश्क की ही तमन्ना बसी थी
इश्क मुकम्मल होता तो मेरा दिल न रोता
उनको अगर मेरा इश्क कुबूल हो जाता
तो बिखरा सा हाल मेरा नहीं हुआ होता
मैं मेरे बुझे हुए मन को जब देखता हूं
मेरा दिल भी हर वक्त रोता रहा होता
अब मैं दूर चला जाऊं अपने बुझे मन को ले
मगर दिल मेरा न इसके लिए इजाजत देता
इश्क की आग में अगर मैं जल भी जाता
तो मुझको इसका कोई ग़म भी नहीं होता
गुनाह न हुआ था मुझसे इश्क के खातिर
मुझे और मेरे दिल को बड़ी सजा मिल गई
बिना इश्क के मैं अब दुनिया में कैसे जिऊं
इस राह में दुनिया मुझसे आगे निकल गई
आस लेकर चला था मैं इश्क को पाने की
इश्क गर साथ देता तो इसे मैं नहीं खोता
इश्क की आग में मैं अगर जल भी जाता
तो मुझको इसका कोई ग़म भी नहीं होता
तलब मेरी इश्क की जाने क्यूं नहीं फली
खुद भी तड़फ के रह गई मुझे भी तड़फा गई
इश्क की राह मेरे लिए एक रंगीन रोशनी थी
वो मेरी नजरों से जाने क्यों ओंझल हो गई
मेरा इश्क ही मुझ पर मेहरबान नहीं रहा
यह वजह न होती तो मैं प्यार से दूर न होता
इश्क की आग में मैं अगर जल भी जाता
तो इसका मुझको कोई ग़म भी नहीं होता
सब्र का इम्हतान
हमारे सब्र का तुम इम्हतान न लो
वक्त की घड़ियाँ यूहीं गुजर जायेगी
फिर तुम किसका लोगे इम्हतान
जब हमारी अस्थियाँ बिखर जायेगी
सब्र अब हमसे कतई होता नहीं है
बेसब्र आशिक अब हम बन गए है
बर्दास्त हमसे अब होता नहीं है
इश्क के तलबगार हम बन गए है
महबूब तू अपनी रविश छोड़ दे
देख, ज़िन्दगी हमारी निखर आयेगी
हमारे सब्र का तुम इम्हतान न लो
वक्त की घड़ियाँ यूहीं गुजर जायेगी
क्या प्यार हमसे जताना नहीं चाहते
और हमारे सब्र का इम्हतान ले रहे हो
क्या यही है तुम्हारी मंशा इम्हतां लेने की
जो हमसे प्यार करने की सोच रहे हो
देख लेना तुम हमारे हालातों को
सब्र की जंजीरें सारी खुल जायेगी
हमारे सब्र का तुम इम्हतान न लो
वक्त की घड़ियाँ यूहीं गुजर जायेगी
प्यार का इजहार
प्यार तू जिसको किया करता है
वही तो है असल ज़िन्दगी तेरी
इजहार इसका तू करके देख
चाहत तेरी पूरी होने में न होगी देरी
बुझने न देना तू प्यार की लौ को
प्यार में अँधेरा को न होने देना
प्यार तो प्यार ही चाहता है सदा
प्यार को अन्य से नहीं हैं लेना देना
प्यार कर तू अपने प्यारे से
तेरी खुशियाँ आने में न होगी देरी
जिसको तू प्यार किया करता है
वही तो है असल ज़िन्दगी तेरी
दिल की आवाज़ को ही सुन तू
अपने महबूब से तू गुप्तगू करले
तेरा प्यार तेरे पास दौड़ा चला आएगा
तू अपने दिल को यह दिलासा दे ले
प्यार के पथ का तू राही बना रह
फिर तेरी दुनिया न रहेगी अंधेरी
जिसे तू प्यार किया करता है
वही तो है असल ज़िन्दगी तेरी
रमेश पाटोदिया ‘नवाब‘
सै 6 प्रताप नगर जयपुर 33
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