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आया सावन झूम के
आज मेरे आँगन में बरसा, जब झूम के सावन,
तन, मन मेरा भीग गया लगा मुझे प्यारा सावन।
आया सावन झूम के, तुम कब आओगे सजनवा?
सजना आन मिलो यह सावन, यूँ ही बीता जाये।
बरसात की बूंदे पत्तों पर मोतियों-सी चमक रही,
उछल रही, कूद रही और साथ ही फिसल रही।
हर पत्ता, हर डाली भीग गए, लगा बहुत ही प्यारा सावन।
आया सावन झूम के, अब तो आ जाओ सजना,
बागों में पड़ गए झूले, यूँ ना तरसाओ सजना।
अँबुआ की डाल पर कोयल मतवाली होकर बोले।
मेरी अंखियन तक-तक जाए, अब तो आ जाओ सजना।
आया सावन झूमके, तुम कब आओगे सजनवा?
सजना आन मिलो यह सावन, यूँ ही बीता जाये।
दूर कहीं बच्चों के शोर की, सुनो आवाज़ आई,
हस रहे थे खिलखिलाकर जब काली घटा छाई।
उनकी हसी सुनकर दिल प्रफुल्लित हो उठा,
खुशी से झूम उठी, लगा बहुत ही प्यारा सावन।
आया सावन झूम के, तुम कब आओगे सजनवा?
सजना आन मिलो यह सावन, यूँ ही बीता जाये।
कलियों पर छाया यौवन, भंवरे गुनगुन कर रहे,
झूलों के मौसम मेंं सब अपने प्रियतम को ढूँढ रहे।
धरती भीगी चारों ओर से, मिट्टी की सोंधी खूशबू आई,
बरस आज दिल खोलकर मेघा, लगा बहुत ही प्यारा सावन॥
आया सावन झूम के, तुम कब आओगे सजनवा?
सजना आन मिलो यह सावन, यूँ ही बीता जाये।
शाहाना परवीन
पटियाला पंजाब
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