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हो गये साठ के पार अभी असली इम्तिहान बाक़ी है

हो गये साठ के पार अभी असली इम्तिहान बाक़ी है।
१
सफर जारी पर अभी तो आने को मुकाम बाक़ी है।
किया जा चुका बहुत कुछ पर अभी काम बाक़ी है॥
साठ के पार हो चुके तो कोई बात नहीं।
अभी तो नापी है ज़मीं अभी आसमान बाक़ी है॥
२
अभी अदा करने को शुक्रिया वह हर इन्सान बाक़ी है।
पूरे जो कर नहीं पाए वह हर अरमान बाक़ी है॥
अभी तो शुरू ही हुई है जीवन की दूसरी पारी।
जान लो कि ज़िन्दगी कासली इम्तिहान बाक़ी है॥
३
अभी भी दुनियादारी का कुछ लगान बाक़ी है।
कर नहीं पाए इस्तेमाल वह साजो सामान बाक़ी है॥
रुकना नहीं थमना नहीं तुम्हें इस बीच दौड़ में।
अभी भी जीतने को हर तीर कमान बाक़ी है॥
४
सेवा निवृत हो गए पर अभी अनुभव का सम्मान बाक़ी है।
कुछ नया करने सीखने को जज्बाऔर तूफ़ान बाक़ी है॥
अब तो वरिष्ठ नागरिक का दायित्व भी है कंधों पर।
अभी देखने घूमने को भी पूरा जहान बाक़ी है॥
५
चुप रह गई जो अब तक अभी वह ज़ुबान बाक़ी है।
ऊपरवाले ने भी दिए कामअभी वह फरमान बाक़ी है॥
पूरा करना है हर काम इसी एक ही ज़िन्दगी में।
भागते रहे ज़िन्दगी भर अब जरा-सा चैन आराम बाक़ी है॥
हर दिन एक नया संग्राम होती है जिन्दगी
१
बस सुख ही और आराम, नहीं है जिंदगी।
न होना दुख का निशान, नहीं है जिंदगी॥
संघर्षों से दाम वसूलती, वह ज़िन्दगी है।
गमों पर लगा हुआ विराम, नहीं है जिंदगी॥
२
ऐशो आराम का तामझाम, नहीं है जिंदगी।
बस खुशियों का ही पैगाम, नहीं है जिंदगी॥
कभी ख़ुशी कभी गम, जिंदगी का ही नाम है।
कोशिशों से पाना मुकाम, है यह जिंदगी॥
३
हर सुख का मिला जाम, नहीं है जिंदगी।
बस यूँ ही रहे गुमनाम, नहीं है जिंदगी॥
संघर्ष अग्नि पर, तपकर बनता है सोना।
अपने स्वार्थ से ही, काम नहीं है जिंदगी॥
४
सुख दुःख छाया और घाम है यह जिंदगी।
हर दिन एक नया संग्राम, है यह जिंदगी॥
अपने लिए नहीं दूजों के, लिये जीना यहाँ।
सरोकारों के चारों धाम, है असली जिंदगी॥
हो रात कितनी भी अंधेरी पर सुबह ज़रूर होती है
१
मत थक कर रुको कि जान अभी बाक़ी है।
छूना है मंज़िल को कि निशान अभी बाक़ी है॥
मुठ्ठी में करना है अभी तो बाक़ी आसमान भी।
अभी तो हौसलों की लंबी उड़ान बाक़ी है॥
२
यूं ही नहीं क़िस्मत होती है मेहरबान चढ़ कर।
जिंदगी लेती है आगे कई इम्तिहान बढ़ कर॥
जीत वही सफल जो पसीना बहा कर है मिलती।
न घबराना दिखे मंज़िल दूर ही अंजान चल कर॥
३
हो रात कितनी भी अंधेरी सुबह ज़रूरी होती है।
अच्छे कामों से लिखी क़िस्मत भरपूरी होती है॥
अपना ज़मीं आसमान बनाते वह इतिहास बदलते।
वो ज़रूर हार जाते बाजी जब मगरूरी होती है॥
४
सफलता का एक ही मंत्र एक ही असूल होता है।
भूल कर आगे बढ़ो अतीत जो फिजूल होता है॥
मंजिल हो दूर और चाहे रास्ता भी दुश्वार हो।
आपका जीतमंत्र पांव लगा एक-एक शूल होता है॥
संघर्ष में तप कर फिर व्यक्ति महान होता है
१
जब हौंसला हमारा चट्टान-सा होता है।
तो फिर रास्ता भी आसान-सा होता है॥
जो विपरीत परिस्थितियों में धैर्य खोते नहीं।
उनके लिए संकट बस मेहमान-सा होता है॥
२
मन में है विश्वास तो कोई हरा नहीं सकता।
बिना आस के तो कोई जिता नहीं सकता॥
यदि मन से न हारे तो फिर हार नहीं होती है।
यदि ठान लो तो फिर कोई गिरा नहीं सकता॥
३
उम्मीद से तो अंधेरे में भी उजाला हो जाता है।
हिम्मत न हारो तो प्रभु भी रखवाला हो जाता है॥
कुदरत ख़ुद ही सवाल का जवाब है बन जाती।
जोश-जनून से मज़बूत दिलवाला हो जाता है॥
४
जो आदमी हर स्थिति में धैर्यवान होता है।
वह जाकर फिर एक सफल इंसान होता है॥
अपनेअनमोल जीवन का मूल्य जो पहचानता।
वही फिर सोने-सा तप कर महान होता है॥
सबके लिए प्यार सरोकार यही ज़िन्दगी है
१
कभी हँसिये कभी मुस्कराइए यही ज़िन्दगी है।
कभी खुल कर ठहाके लगाइए यही ज़िन्दगी है॥
मिलना जुलना पूछना हालचाल से पूरी होती जिंदगी।
वेवजह किसीके गले मिल जाइये यही ज़िन्दगी है॥
२
बिना फायदे के मदद करना सीख लीजिए आप।
बिन कायदे घुलना मिलना सीख लीजिए आप॥
तन्हा नहीं मिल साथ चलना जीवन का नाम दूसरा।
गुस्सा नहीं बस प्यार दिखाना सीख लीजिए आप॥
३
स्वार्थ नहीं भावना निस्वार्थ की हो तेरे जीवन में।
दिल से संवेदना भावार्थ की हो तेरे जीवन में॥
अपने लिए ही नहीं दूजों लिए भी जीना ही जीना है।
इच्छा शक्ति भी परमार्थ की हो तेरे जीवन में॥
४
दिल नफ़रत से नहीं प्यार से ही जीता जाता है।
एक नहीं फिर तो सौ-सौ बार जीता जाता है॥
जानलो हाँसिल है सब कुछ महोब्बत से दुनिया में।
बस कर्तव्य के बाद ही अधिकार जीता जाता है॥
श्री कृष्ण जन्माष्टमी
१
करावास में जन्म लिया और
कंस का नाश किया।
भागवतगीता दिया उपदेश कौरवों
का भी विनाश किया॥
रच कर रासलीला भी तुम तो
निच्छल प्रेम प्रतीक बने।
लेकर अवतार विष्णु द्वापर में
सृष्टि नव विन्यास किया॥
२
बने गोवर्धन धारी वृंदावन को
बचाया इंद्र की वर्षा से।
बन कर भी द्वारिकाधीश मिले
सुदामा को हर्षा से॥
अखिल ब्रह्मांड आलोकित हुआ
प्रेम व्यवस्था से तुम्हारी।
कोई भी भयभीत न हुआ तुम्हारी
नीति न्याय निष्कर्षा से॥
३
बनकर बाल गोपाल माखनलीला
यशोदा आनंदित किया।
वासुदेव देवकी स्वप्न को भी इस
धरती पर जीवंत जिया॥
असुरों का नाश किया पृथ्वी पर
बनकर सुदर्शन चक्रधारी।
राधा रुक्मिणी १६ हजार नारियों का
उद्धार रोष उपरांत दिया॥
४
बन कर अर्जुन के सारथी लड़ी थी
महाभारत की लड़ाई।
देकर नारायणी सेना कौरवों को भी
करी न्याय की सुनवाई॥
सोलह कलाओं सम्पूर्ण व्यक्तित्व
दर्शाया जगत को आपने।
आज श्रीकृष्ण अवतरण दिवस की
जन्माष्टमी की है बधाई॥
मैं विश्व गुरु हिन्दुस्तान बोल रहा हूँ
१
सूरज चांद की तरह ऊपर चमकना चाहता हूँ।
हीरों की खान की तरह मैं दमकना चाहता हूँ॥
दुनिया वालों जान लो कि मैं देश हिन्दुस्तान हूँ।
हर गुलशन बागो बहार तरह पनपना चाहता हूँ॥
२
देना चाहता हूँ दुनिया को रोशनी और उजाला।
बनना मुझको दुनिया का एक देश बहुत आला॥
मैने सीखा है बहुत कुछ तूफानों से लड़ कर।
गुलामी की जंजीरें तोड़ ख़ुद को बाहर है निकाला॥
३
मेरे पास पुरातन संस्कार संस्कृति का खजाना है।
दुनिया का हर देश कश्मीर घाटी का दीवाना है॥
कदम-कदम कला साधना का नया रूप बसा हुआ।
हमने दुनिया को संस्कृति में भी रास्ता दिखाना है॥
४
शांति दूत बन कर विश्व को संदेश देना चाहता हूँ।
वसुधैव कुटुंबकम् का गणवेश देना चाहता हूँ॥
मैं हिन्दुस्तान रगों में बस ईमान का लहू हूँ रखता।
संपूर्ण विश्व को मानवता का भाषा वेश देना चाहता हूँ॥
हर धड़कन में हिन्दी हिन्द हिन्दुस्तान चाहिए
१
हर रंग से भी हमें रंगीन हिन्दुस्तान चाहिए।
खिले बागों बहार-सा गुलिस्तान चाहिए॥
चाहिए विश्व में नाम ऊँचा भारत का।
विश्व गुरु भारत का सम्मान चाहिए॥
२
मंगल चांद को छूता भारत महान चाहिए।
अजेय अखंड विजेता हिन्दुस्तान चाहिए॥
दुश्मन नज़र उठाकर देख भी ना सके।
हर शत्रु का हमको काम तमाम चाहिए॥
३
हमें गले मिलते राम और रहमान चाहिए।
एक दूजे के लिए प्रणाम सलाम चाहिए॥
चाहिए हमें मिलकर रहते हुए सब लोग।
एक दूजे के लिए दिलों में एतराम चाहिए॥
४
एक सौ पैंतीस करोड़ सुखी अवाम चाहिए।
कश्मीर से कन्याकुमारी प्रेम पैगाम चाहिए॥
चाहिए विविधता में एकता का शक्ति दर्शन।
सम्पूर्ण विश्व में राष्ट्र का यशो गान चाहिए॥
५
पुरातन संस्कार मूल्य का गुणगान चाहिए।
हर भारतवासी के चेहरे पर मुस्कान चाहिए॥
चाहिए गर्व और गौरव अपने भारत का।
हर धड़कन में हिन्दी हिंद का पैगाम चाहिये॥
एस. के. कपूर “श्री हंस”
बरेली
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