२००० के नोट की व्यथा
२००० के नोट की व्यथा: तुम्हीं ने बनाया, तुम्हीं ने मिटाया!
तुम्हीं ने ये सारा, चक्कर चलाया!
तुम्हीं नोटबंदी, करके थे लाये!
तुम्हीं ने ना जानें, कितने मिटाये!
तुम्हीं ने सभी को, रंगों में बदला!
तुम्हीं ने सभी के, अंगों को बदला!
तुम्हीं ने सभी को, लाईन में लगाया!
कोई भी भला फिर, कहाँ चैन पाया!
तुम्हीं ने दबे थे, खजाने मिटाये!
तुम्हीं ने इधर-उधर, सब भगाये!
अचानक खबर ये, बदलने की सुनकर!
सदमे में मैं हूँ, ये फरमान सुनकर!
मिलता तुम्हें क्या, बस इतना बता दो?
कोई फायदे का, कायदा दिखा दो!
मिटाते तुम्हीं हो, बनाते तुम्हीं हो!
पीड़ा किसी की, समझते नहीं हो!
अभी तो जवानी, आयी थी थोड़ी-थोड़ी!
तेरी इस खबर से, दुखे पोरी-पोरी!
मैं खामोश हूँ, तुम सरकार ठहरे!
हवा भी तुम्हारी, तुम्हारे ही पहरे!
मैं भी जा रहा हूँ, मुझे याद रखना!
रोना पडे ना, नहीं साथ रखना!
सरकार और हम, बदलने को बने हैं!
दोनों ही जैसे, झगडने को बने हैं!
“सागर” कभी ना, बड़े नोट चखना!
मगर तुम हमेशा, घर खुशहाल रखना!
जनकवि / बेखौफ शायर
डॉ. नरेश “सागर”
(गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज)
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