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हिंदी पर अभिमान
हिंदी पर अभिमान
हमें हिन्दी पर अभिमान हैं
हिंदी के सम्मान में वृद्धि हो सदैव
गौरव गाथा हिन्दी की भारत के समान है॥
आओ हिन्दी भाषा का सम्मान करे
हिंदी से ही हमारी अलग पहचान है
सदा रहें भारत का है गौरव हमारे,
मातृभाषा हिन्दी हमारी माँ समान हैं॥
हिंदी में पढ़ते हम सभी गूढ विधान,
कठिन वर्णमाला होने पर भी हिन्दी,
सरल प्रवाह से बोली जाती हिन्दी भाषा
पाती जग में हिन्दी गौरवशाली सम्मान॥
रस रूप अलंकार छंद से शृंगार इसका
सबसे सरल सुंदर हिन्दी हमारी सदैव
जगत में भाषाओं में गौरवान्वित हिंदी
हमें हमारी हिन्दी भाषा पर अभिमान है।
जय भारती, जय हिन्दी, जय मातृभूमि।
जय हिंद, जय हिन्दी, जय भारत
हिंदी भारत देश की जनता की आवाज़
हो रहे शासन के पूरे हिन्दी में सब काज॥
आओ साहित्य से करे राज्यभाषा का प्रचार
जगत हिन्दी बोल रहा अपने स्वर में आज॥
प्रेम, प्रीत भरा हिन्दी में अपनत्व का अहसास,
क, ख, ग से छ त्र ज्ञ तक शब्द कोष भंडार॥
नव रस, छंद, अलंकार से सुशोभित हिन्दी,
इतनी सरल हिन्दी सुंदर जिसकी व्याकरण॥
भारत में हिन्दी सेवा में कुछ कार्य होना चाहिए,
हिंदी भी अब राष्ट्रभाषा की हकदार होना चाहिए॥
तुम मुझे खून दो… मैं तुम्हें आजादी दूंगा
“बलिदानी” इस नारे से युवाओं में
नेताजी ने जोश जगाया था।
मातृभूमि की आजादी के लिए
रक्त अभिषेक से भी न,
अपना क़दम पीछे हटाया॥
मातृभूमि पर वालीदानी यहाँ,
सर्वस्व न्यौछावर करने से नहीं डरते!
आजादी अभिव्यक्ति कि यहाँ हर पल
स्वतंत्रता ही एक संग्राम है॥
अपनी आजादी की खातिर
बलिदानी सुभाष जी ने जब
अंग्रेजों को हर जवाब में,
ईट से पत्थर दे डाला
महात्मा गांधी भी चकित रहे
सुभाष ने अपने अंदाज़ में
कुछ बेहतर ही कह डाला
जोश जुनून जगाया
भारत के वीर कुमारों में
आजाद हिंद फ़ौज गठित कर
क्रांतिकारी वीर सपूतों का
देश की माटी से किया तिलक
इसी को चंदन, इसी को केसर कह डाला॥
उत्तरायण “सूर्य संक्रांति”
शीत ऋतु से ऋतु फिर बदल रही है आज
हो रहे उत्तरायण सूर्य “संक्रांति” के साथ॥
धनु राशि से मकर राशि में करते आज प्रवेश
उत्तरायण हो नारायण प्रभु सूर्य देव भगवान॥
रवि की फ़सल काट रहे हैं देखो हमारे किसान
खुशी अर्जित हो रही है बढ़ रहा हैं धन–धान्य॥
धरती पर उत्सव हो जैसे वसुंधरा करें गुणगान,
वहे पूर्वी वायु खुल जाएँ स्वर्ग के द्वार शास्त्रानुसार॥
दान धर्म के लिए “श्रेष्ठ” कहलाए यह “संक्रांति”
पावन पर्व की इस बेला में मनुष्य करें गंगा स्नान॥
पावन परंपरा भारत की संस्कृति का करें गुणगान,
इष्ट देव से करें प्रार्थना सभी द्वेष दूर हो प्रभु आज॥
इस पावन अवसर को मनावे सभी हर्ष उल्लास से,
तिल खिचड़ी गजक से प्रभु का भोग लगावे आज॥
परंपराओं का भी यह एक अनोखा-सा यह संगम
कहीं पकवान बन रहे प्यारे, कहीं उड़ रही पतंग धूप में आज॥
सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार से रहे स्वस्थ
तन-मन हो जाता हैं संतुलित,
मिलता हमें स्वास्थ्य का लाभ
संस्कृति को अपनी करे प्रणाम
नियमित जो जन करते सभी
नियमपूर्वक नित सूर्य नमस्कार॥
योग से मिलती स्फूर्ति सदैव,
होता है पूर्ण रक्त का संचार
श्वसन तंत्र भी हो मजबूत,
प्रफुल्लित रहता सदैव मन।
हृदय रोग का भय नहीं रहता
नियंत्रित रहता सदैव वजन॥
वेदों की बाणी यही कहती,
सूर्य ही हैं जीवन का आधार
प्रणाम करे हम सूर्य देव को
द्वादश मुद्राओं, मंत्रों के साथ
यहाँ हर मुद्रा का एक मूल मन्त्र,
करे उच्चारित स्वशन के साथ॥
उर्जा प्रदान करते हमें
जग को देते हैं सूर्य, प्रकाश
ज्योति जागा कर ज्ञान की,
करते हर अज्ञान का नाश
नियमित रूप से करना चाहिए
हमें “सूर्य नमस्कार”॥
आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
मध्य प्रदेश, ग्वालियर
भारत
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