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जिंदा रखो अपने
जिंदा रखो अपने…
कभी सपनो में दिखाते हो
कभी दिल में आ जाते हो।
तुम्हारी यही अदायें तो
हमें बहुत ही भाती हैं।
तुम्हारे दिलकी धड़कने
तुम्हें क्यों तड़पती है।
और अपने वालो को तुम
क्यों मिलने बुलाते हो॥
कोई है काम का मारा
कोई है नाम का मारा।
मेरी सोच इन दोनों से
बहुत ही अलग है।
मैं करता हूँ जो भी
बिना किसी स्वार्थ के।
तभी तो जागेगी इंसानियत
लोगों के दिल दिमाग़ पर॥
न कोई छोटा बड़ा है
मेरी नजरो में लोगों।
न कोई भेद रखता हूँ
जाती और धर्म पर।
समान भाव रखता हूँ
हर किसी मज़हब पर।
इसलिए मैं सर्वोदय
विचारधारा को ज़िंदा करता हूँ॥
अभी तो आलम कुछ
अलग तरह का चल रहा।
सभी इंसानो के दिलमें
कुछ तो प्रेम उमड़ रहा है।
भूलकर पैसा और सोहरत को
अब वह इंसानियत को जी रहा।
और अपने मानव धर्म को
बहुत अच्छे से निभा रहा॥
बदल जायेगी तकदीर
अपने भारत की अब।
क्योंकि समझ गया है इंसान
आपस में लड़ने का मतलब।
भलाई और भाईचारे से
रखो प्यार मोहब्बत को जिंदा।
लड़ाई और दुश्मनी से
कुछ भी हासिल नहीं होता॥
स्वयं मेहसूस करो
हम तो राह के राहगीर है
आते जाते मिल जाते है।
बातों ही बातों में अपनी
कहानी ख़ुद सुना देते है।
तभी तो मोहब्बत के
दीप जल जाते है।
तो किसी के जीवन में
अँधेरा छा जाता है॥
इसी तरह के मेरे
गीत कविता होते है।
जो मनकी चंचलता को
बहार निकल देते है।
चलती है जैसे-जैसे हवाएँ
मन दौड़ने लगता है।
और मोहब्बत के दीप
दिलमें जलने लगते है॥
मिलेगा फिर तुम्हें सकून
अपने दिलके अंदर से।
मिट जायेगी तुम्हारी तड़प
जिसे तुम पाना चाहते हो।
मोहब्बत में मेहबूबा ही
जीवन का आधार होती है।
सफल हो जाये मोहब्बत तो
वो ही जीवन संगनी होती है॥
संसार का चक्र भी
इसी तरह से चलता है।
स्नेह प्यार की दुनियाँ भी
इसी तरह से बनती है।
दिलों में ज़िंदा रखना है
अगर तुम्हें मोहब्बत को।
तो स्वंय को भी मोहब्बत
दिल से करना होगा॥
कुंडलपुर के बाबा का दरवार
बड़े बाबा के दरवार में
छोटे बाबा जी आ गये।
और अपने शिष्यों को भी
बुलावा गुरुवर ने भेजा।
सभी शिष्यगण भी अब
कुंडलपुर पहूँचने लगे है।
जहाँ पर लगाने वाला है
बड़े छोटे बाबा का समोशरण।।
धन्य हो जाएँगे वो श्रावक
जिन्हें देखने को मिलेगा ये दृश्य।
और कलयुग में मेहसूस करेंगे
सतयुग जैसे देवों गुरुओं के दर्शन।
तो सभी का जीवन हो जायेंगा
इस कलयुग में भी धन्य।
क्योंकि ऐसा अद्भूत दृश्य
देखने मिलेगा कुंडलपुरजी में।।
सुना पढ़ा बहुत है
हमने प्राचीन ग्रंथो में।
होते कैसे थे तब के
भगवान के समोशरण।
अब देखने को हमें
मिलने जो रहा है।
प्राचीन काल का वो
अद्भूत सा समोशरण।।
संजय समर्पित कर रहा है
दोनो बाबा के चरणों में।
अपनी उपरोक्त रचना को।
जिसे करे स्वीकार
मेरे गुरुवर विद्यासागर।
और दे दे हमें आशीर्वाद
आगे और लिखने का।।
गांधी जी की सोच
नदियाँ खुद अपनी चाल से
रास्ते बना लेती है।
बड़े बड़े पहाड़ों को भी चीर
कर आगे निकल जाती है।
क्योंकि उन्हें अपनी आप पर
विश्वास होता है।
इसलिए उन्हें अदार से
पूजा जाता है।।
हो इरादे अगर नेक तो
मंजिले स्वयं रास्ता दिखती है।
और मुसाफिर को उसकी
मंजिल तक पहुँचाती है।
मत डर रास्तो के काँटों से
ये तेरा कुछ नहीं कर पाएँगे।
और तेरी मंजिल तुझे
अवश्य ही मिल जायेगी।।
अंधेरे घरों में कभी
रोशनी करके देखो।
उजड़े हुए बागो को
कभी आवाद करके देखो।
आशा की एक किरण
तुझे दिख जायेगी।
और मूरझाए हुये चेहरो पर
फिरसे चमक आ जायेगी।।
है अगर हौसलें बुलंद तो
पानी पत्थरों में से निकलता है।
खंडर पड़े घरों को भी
रहने योग बना लिया जाता है।
करनी और करने में
जो विश्वास रखता है।
जिंदगी को जीने का वो
स्वयं मार्ग बना लेता है।।
इसी तरह की सोच से
गाँधी जी ने देश से।
अंग्रेजो को देश छोड़ने पर
मजबूर कर दिया था।
और हिंदुस्तान को आजाद
अहिंसा से करवा दिया था।
ये महात्मा गांधीजी को
उनकी पुण्य तिथि पर मैं।
आज श्रध्दा सुमन उनके
चरणो में अर्पित करता हूँ।।
देशप्रेम क्या होता है
वतन से जो प्यार करते है
वो ही सेना में जाते है।
और भारत माँ का कर्ज़
देश सेवा करके अदा करते है।
धन्य है वह माताएँ
जिन्होंने वीरो जन्म दिया।
और देश की रक्षा के लिए
उन्हें देश को सौप दिया॥
हमें नफ़रत है उन नेताओ से
जो बंद कमरो में बैठकर।
आपस में वाक युध्द करते है
और मरवा देते सैनिको को।
और अपनी राजनीति भी
उनकी लाशो पर करते है।
जब खुदकी बारी आती है
तो छुप जाते है सेना के घेरो में॥
इनकी कथनी और करनी में
बहुत ही अंतर होता है।
जो ये सब कहते है लोगों
वो कभी ये करते ही नहीं।
उठाकर देख लो तुम सब
अपने देश के इतिहास को।
कभी भी कसौटी पर ये
खरे उतरे ही नहीं॥
बड़ा ही दुर्भाग्य है
हमारे बेटा बेटियों का।
जिन्होंने अपने प्राण
निछावर देश पर किये।
और उनकी शहदत् पर
नेताओं ने रोटियाँ सेकी।
और घड़ियाली आँसू बहाकर
उन्हें तिरंगे में लिपटा दिया॥
जरा तुम पूछो उन
माँ बहिन और पत्नियों से।
जिन्होंने अपने को खो दिया
देश की रक्षा करने पर।
कभी किसी ने ख़बर ली
उनके परिवार के लोगों की।
जिनके बच्चे माँ बाप पत्नी
जी रहे है किस हाल में॥
देश प्रेम
भावों की नर्मी को हम
दुनियाँ को समझायेंगे।
राष्ट्र प्रेम का संकल्प
देशवासी को दिलवाएंगे।
करनी और कहनी का
फर्क विश्व को बतलायेंगे।
और अपने भारत को
विश्व में स्थान दिलवाएंगे॥
कितनी जाती कितने धर्म
कितनी भाषाएँ और लोग।
भिन्न भिन्न प्रांत के होकर भी
एक साथ हिल मिलकर रहते।
जबकि अलग-अलग मान्यताएँ
और उनके देवी देवता होकर भी।
सभी लोग अखंड भारत की
स्वयं कहानी कहते है॥
मिले संसाधन अगर
देश के युवाओं को।
तो क्यों जायेंगे वो
विदेशो में काम करने।
यही पर काम करके वो
बदल देंगे भारत की तस्वीर।
तभी तो स्थापित होगा
विश्व के मान चित्र पर॥
कमी नहीं भारत में
होशियार और मेहनती लोगों की।
बहुत लगनशील और कर्मठ
लोग रहते है यहाँ।
न दिन की चिंता और
रात की चिंता उन्हें होती है।
और अपने लक्ष्य को पाने की
उनमें होड़ मची रहती है॥
क्या क्या नहीं दिया तूने
अगर दर्द न होता तो
खुशी की क़ीमत न होती।
अगर चाहने से मिल जाता
सब कुछ दुनियाँ में तो।
ऊपर वाले की
किसी को ज़रूरत न होती।
और ख़ुद ही बन जाता
अपना भाग्य विधाता॥
भूला दो बीता हुआ कल तुम
दिल में बसाओं आने वाला कल।
हंसो और हँसाओं लोगों को तुम
चाहे जो भी हो पल।
खुशियाँ लेकर आयेगा
आने वाला अगला दिन।
जिससे खिल जायेगा
तुम्हारा घर आंगन॥
हमने तो मांगी थी एक कली
तुमने उतार कर हार दे दिया।
चाही थी एक धुन हमने
तुमने अपना सितार दे दिया।
झोली बहुत छोटी थी मेरी
पर तुमने तो अपरंपार दे दिया।
जिससे लोगों के सुख दुख में
काम आऊँ ऐसा उपहार दे दिया॥
अंधे को मंदिर आया देख
लोग हंसकर बोले।
मंदिर में दर्शन को आये तो हो
क्या भगवान को देख पाओगे।
तब अंधे ने कहा हँसने वालो से
क्या फ़र्क़ पड़ता है।
मेरा भगवान तो मुझे देख लेगा
दृष्टि नहीं दृष्टिकोण सही होना चाहिए॥
किस्मत ने जैसा चाहा
वैसा ढल गये हम।
बहुत सभंल के चले
फिर भी फिसल गये हम।
किसी ने विश्वास तोड़ा
तो किसी ने दिल।
और लोगों को लगा
की हम बदल गये है॥
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की सोच
नेताजी को याद करके
श्रध्दा सुमन अर्पित करता हूँ।
उन की बोली बातों को
जन जन तक पहुँचना है।
और देशप्रेम की ज्वाला को
युवाओं में फिरसे जलाना है।
और भारत को फिरसे
आजाद कराना है॥
नेता जी का वह कथन
युवाओं को तब भाया था।
जब उन्होंने आजाद हिंद
फौज को बनाया था।
और कहा था कि तुमहमें
खून दो मैं आजादी दूंगा।
और अपने हिंदुस्तान को
अंग्रेजो से मुक्त करा लेंगे॥
नेताजी खुदसे और अपने
साथीयों से कहते थे कि।
कमीयाँ तो मुझमें बहुत है
पर मैं बेईमान नहीं हूँ।
मैं सबको अपना मानता हूँ और
फायदा या नुक़सान नहीं सोचता।
शौक है बलिदान देने का
जिसका मुझे गुमान नहीं।
छोड़ दूँ संकट में अपनो का साथ
वैसा तो मैं इंसान नहीं।
सबसे आगे मैं चलूँगा दोस्तों
आप लोगों को पीछे चलना हैं॥
मौका दीजिये अपने खून को
औरो की रागों में बहने का।
ये लाजबाव तरीक़ा है हिंदुस्तानियों के
दिलों में ज़िंदा रहने का।
क्योंकि ये रिश्ते बड़े प्यारे होते है
जिनमें न हक़ हो न शक हो।
न दूर हो न पास हो
न जात हो न जज़्बात हो।
सिर्फ अपनेपन का हर दिलमें
बस देशप्रेम का एहसास हो।
और हमारा हिंदुस्तान हमेशा
आजाद हो आजाद हो॥
जय जिनेंद्र
संजय जैन ‘बीना’
मुंबई
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