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मतदाता दिवस (Voters’ Day)
१
वादों की नाव पर आया है चुनाव।
ज़रूर चलना वोटर तू अपना दांव॥
मतदान ही तो कुंजी है लोकतंत्र की।
सभी जायें करने शहर या गांव॥
२
तेरे वोट से सरकार का निर्माण होगा।
खुशहाल होगा देश सुखी जहान होगा॥
सुशासन की नई-सी परिभाषा आयेगी।
विश्व में अपना भारत और महान होगा॥
३
आँख मूंद कर नहीं सही निर्णय लेना है।
हमें अपने अधिकार का परिचय देना है॥
राष्ट्र के प्रति मूलभूत कर्तव्य है ये हमारा।
पाँच वर्ष सुख के लिए बस वोट देना है॥
४
मतदान का दिन बस अवकाश नहीं है।
नहीं अच्छी सरकार यूँ काश का नहीं है॥
मजबूत लोकतंत्र का निर्माण है करना।
केवल टी वी पर ही सारांश का नहीं है॥
५
हर वोट कीमती होता बात मन में लानी है।
विकास की व्यवस्था देश को दिलानी है॥
सक्षम हो देश हमारा सर ऊंचा कर जियें।
देश के चुनाव पर्व में यूँ भूमिका निभानी है॥
बनो बीज कि दब गये तो फिर उग जायो तुम
१
दब गये मिट्टी में फिर भी बीज से उग आओ तुम।
गिर गये फिर भी संभल कर उठ जाओ तुम॥
बनो कोई ऐसी इक नायाब सी तस्वीर तुम।
मिट जायो फिर वैसी तासीर जाकर लाओ तुम॥
२
आदमी खोकर भी ज़रूर कुछ सीखता है।
व्यक्ति मुसीबत से होकर भी कुछ सीखता है॥
अंधेरा नहीं ज़्यादा रोशनी भी बनाती है अंधा।
हार के बाद रोकर भी बहुत कुछ सीखता है॥
३
आज है ज़िन्दगी और कल भी रहेगी ये जिंदगी।
हर मुश्किल का हल भी करके रहेगी ये जिंदगी॥
जिन्दगी ग़र सवाल तो जवाब भी है ये जिन्दगी।
व्यक्ति की कठनाइयों का पल भी रहेगी ये जिंदगी॥
४
वही बनते ऊंचे जो प्रतिशोध नहीं परिवर्तन सोचते हैं।
तोड़ते नहीं टूट कर फिर भी खुद को जोड़ते हैं॥
रंगों को निखरने के लिए पड़ता है बिखरना।
वही जीतते हैं जो जीवन को सही दिशा में मोड़ते हैं॥
चार दिन चांदनी, खत्म फिर जीवन की सौगात है
१
एक शब्द मन्त्र एक शब्द शब्द गाली हो जाता है।
गलत बोलचाल से व्यक्ति मवाली हो जाता है॥
शरीर और मन की भी भाषा है अलग होती।
खो जाये ग़र यकीं आदमी सवाली हो जाता है॥
२
हमेशा प्रभु की कृपा में अपनी आस्था रखिये।
किस्मत में कमऔर कर्म से आप वास्ता रखिये॥
रहोगे काम में मगन तो कुछ बुरा सोचोगे नहीं।
हर मुश्किल से निकलने का ज़रूर इक रास्ता रखिये॥
३
रुक जाती श्वास फिर ये ठाठ ख़त्म हो जाता है।
एक दिन जाकर जीवन घाट पर ख़त्म हो जाता है॥
याद रखो जीता हुआ भी हार जाता अहंकार से।
बनाकर रखो यूँ सब साहब लाट ख़त्म हो जाता है॥
४
चार दिन की चांदनी फिर तो बस अंधेरी रात है।
इस जहान में रह जाती तेरे कर्मों की बात है॥
ज्ञान और नम्रता मिल कर बन जाते हैं अमृत।
यूँ ही जीना जीवन मिली यह अनमोल सौगात है॥
हिम्मत से हारना, पर हिम्मत कभी मत हारना
१
जिन्दगी रोज़ इक नया इम्तिहान लेती है।
दो परीक्षा तो सफल परिणाम देती है॥
परिश्रम का ईनाम यहाँ मिलता है ज़रूर।
जीत सको तुम तो जमीं आसमान देती है॥
२
अतीत को बदलना नहीं आज सुधार करना है।
बीते की चिंता नहीं आगे की पुकार करना है॥
परलोक सुधारने का यत्न होता है व्यर्थ।
इसी लोक में हमें अच्छा व्यवहार करना है॥
३
कर्म के अनुसार ही भाग्य रेखाएँ काम करती हैं।
आप के चरित्र से ही यह दुआएँ नाम करती हैं॥
अच्छी संगत तो रंगत को भी देती है बदल।
दुश्चरित्र दुष्कर्म की बालाएँ बस बदनाम करती हैं॥
४
धैर्य लगन प्रयत्न सफलता के अचूक तन्त्र हैं।
इच्छाशक्ति ओ विवेक जीत के अमोघ यन्त्र हैं॥
एक रास्ता बंद होता तो भी खुलते हैं हज़ार।
हर गलती से सीख में छिपे अनमोल मन्त्र हैं॥
५
वो जीत कर ही रहता जो कोशिश हज़ार करता है।
हारता ही वह जो शिकायत बस बार-बार करता है॥
हिम्मत से हारना पर हिम्मत मत हारना तुम कभी।
वो ज़रूर आता निखरकर जो कोशिश लगातार करता है॥
माँ, बहन, बेटी, पत्नी नारी, तेरे रूप हैं अनेक
१
माँ से ही सवेरा और माँ से ही होती रात है।
माँ की ममता प्यार अनमोल सौगात है॥
माँ पास में तो हैँ ख़ुशी दुनिया जहान की।
माँ का स्पर्श सुखद मानो प्रथम किरण प्रभात है॥
२
बेटियाँ ही तो हर दम माँ बाप पर प्यार लुटाती हैं।
बेटियाँ एक नहीं दो वंशों का उद्धार कराती हैं॥
नारी जगत जननी है वह सृष्टि की रचनाकार।
प्रभु का बन कर प्रतिरूप बेटी जग में आती है॥
३
हर रिश्ते के मूल आधार में बेटी होती है।
अपनों की ख़ुशी के लिए अपना सुख खोती है॥
दो घरों में बराबर प्यार बाँटती है हर बेटी।
त्याग की मूरत बेटी हर दुख में पहले रोती है॥
४
नसीब वालों के आंगन में सुंदर-सी बेटी दिखती है।
भाग्य वालों को ही जन्म में पुत्री मिलती है॥
ईश्वर का अवतार और उपहार होती हैं बेटियाँ।
किस्मत वालों के आंगन में यह कली खिलती है॥
शुभकामना नव वर्ष 2022 के लिए
१
बस आदमी को आदमी से प्यार हो जाये।
हर नफ़रत की जीवन में हार हो जाये॥
इंसानियत का ही हो बोल बाला हर जगह।
हर व्यक्ति में मानवता साकार हो जाये॥
२
हर किसी का हर किसी से सरोकार हो जाये।
हर सहयोग देने को आदमी तैयार हो जाये॥
अमनो चैन सुकून की हो सब की जिंदगी।
खत्म हमारे बीच की हर तकरार हो जाये॥
३
राष्ट्र का हित ही सबका कारोबार हो जाये।
देश की आन को हर बाजू तलवार हो जाये॥
दुश्मन नज़र उठा कर देख न सके हमको।
हर जुबां पर शत्रु के लिए ललकार हो जाये॥
४
माहमारी कॅरोना की करारी अब हार हो जाये।
वैसा ही स्वास्थ्य का दुनिया में संचार हो जाये॥
भय डर का यह जीवन अब हो जाये समाप्त।
यह विषाणु हर जीवन सेअब बाहर हो जाये॥
५
हर बाग़ में अब गुल गुलशन बहार हो जाये।
जिंदगी का मेला वैसा ही फिर गुलज़ार हो जाये॥
यह नव वर्ष खुशियाँ लेकर आये हज़ारों हज़ार।
हर ओर जीवन में सुख शांती बेशुमार हो जाये॥
सादा जीवन, उच्च विचार यही था वर्ष २०२१ का सार
१
डर कर रहना घर का खाना पीना।
वर्ष २०२१ में बीता जीवन यूँ जीना॥
घर में क़ैद बीत गया आधा साल।
अपनों के बीच ही बीता पूरा छह महीना॥
२
घर के अधूरे काम घर में पूरे किये।
बच्चों ने भी क्लास ऑनलाइन ही लिये॥
बड़ो ने भी किया वर्क फ्रॉम होम।
अखबार टी वी देख कर ही जीवन जिये॥
३
इस साल ने सीखा दिया स्वास्थ्य का अर्थ।
सावधानी हटे तो होता है अर्थ का अनर्थ॥
इस साल ने बताया घर के खाने का महत्त्व।
जो बिना मास्क के घूमा वह गिरा कॅरोना गर्त॥
४
वर्ष २०२१ ने बताया दूर रहकर रिश्ता निभाना।
वर्ष २०२१ ने सिखाया पराये अपना बनाना॥
वर्ष २०२१ ने छीना और दिया बहुत कुछ।
वर्ष २०२१ ने दिखाया सादा जीवन बिताना॥
अनमोल जीवन का कर्ज़
१
तेरे पाप पुण्य की लिख रहा कोई किताब है।
समय पर करना उसको तेरा हिसाब है॥
कर्म कुकर्म सब जाते हैं तेरे खाते में।
पाता वैसा ही तू कोई यहाँ पर खिताब है॥
२
तू महोब्बत की तलाश में ज़िन्दगी गुजार दे।
किसीके भले की अभिलाष में जीवन संवार दे॥
यह जीवन मिला है सद्भाव सत्कर्म के लिए।
सबसे सहयोग प्रेम की आस में ज़िन्दगी बिसार दे॥
३
शिद्दत से चलता रहे तू मंज़िल की तरफ़ को।
एक ही भाव से पढ़ सुख दुःख के हर हरफ़ को॥
जिंदगी की किताब में फूल भी काँटे भी होते हैं।
निभा तू फ़र्ज़ पढ़ कर हर इक वरक़ को॥
४
हाथ की लकीरों में कर्म का रंग हमको भरना है।
यह जीवन तभी जीवन जब यह प्यार का झरना है॥
प्रभु का अनमोल उपहार है हमारी जिंदगी।
हमको ईश्वर का यह कर्ज़ पूरा करना है॥
हिंदी भाषा जैसे कोई राजदुलारी है
१
हिंदी लगती बड़ी ही प्यारी है।
हिंदी सारे जग से न्यारी है॥
विश्व में हिन्दी का परचम लहराये।
हिंदी भाषा जैसे राजदुलारी है॥
२
चहुँ ओर ही हिन्दी का गुणगान है।
यह भाषा तो बहुत ही महान है॥
ज्ञान विज्ञान वेद शास्त्र संस्कृति।
यह भाषा मानो रत्नों की खान है॥
३
बहुत मीठी-सी यह इक़ बोली है।
बहुत कठोर-सी भी और भोली है॥
बात उतर जाती है सीधी दिल में।
मानो कि कोई मिश्री की गोली है॥
४
भारत ही नहीं विश्व की भाषा है।
आपसी प्रेम को दी नई आशा है॥
हिंदी मात्र भाषा नहीं है मातृ भाषा।
विविधता में एकता की परिभाषा है॥
५
जोड़कर रखा भारत को एक सूत्र में।
बना कर रखा है इसे शुभ मुहूर्त मे॥
हिंदी में ही भारत पहचान निहित।
भारत काउत्थान निहित हिन्दी गोत्र मे॥
६
कला संस्कृति की जननी को प्रणाम है।
हर प्रदेश की एकता मैं छिपा नाम है॥
राजभाषा नहीं राष्ट्रभाषा स्थान मिले।
इसी में अंतर्निहित हिन्दी का सम्मान है॥
कलम के जादूगर
१
हर कहानी उपन्यास में, सरल सुगम भाषा।
हिंदी उर्दू मिलन को मिली, थी एक नई आशा॥
सजीव चित्रण ने बनाया, उन्हें कहानी सम्राट।
प्रत्येक पंक्ति में डाले प्राण, हो ख़ुशी या निराशा॥
२
प्रत्येक पात्र हो जैसे कँही, ज़मीन से जुड़ा हुआ।
भावनायों, और वास्तविकता से, मानों हो जड़ा हुआ॥
स्त्री मन के रहस्य या हों, लड़कपन के खेल।
हर रिश्ता कागज़ पर उतारा, बच्चा या बड़ा हुआ॥
३
आज़ादी आंदोलन और रुढ़िया, या मन के अंतर्द्वंद।
गांव वालों की फाकाकशी या हों, लाटसाहब के दँद फंद॥
हर पन्ना किताब का ज़िन्दगी की, कहानी सुनाता हुआ।
ऐसे थे वह क़लम के जादूगर कहलाते मुंशी प्रेमचंद॥
दोस्ती से ही ज़िन्दगी में हर ख़ुशी का रंग है
१
दोस्त है ज़िन्दगी में तो आँख नम नहीं है।
दोस्त साथ तो हर ख़ुशी कोई ग़म नहीं है॥
बारिश में भी जान लेते आँख के आँसू।
यह वह पूँजी जो किसी से कहीं कम नहीं है॥
२
एक सच्चा दोस्त सौ रिश्तों समान है।
मुसीबत में मानो दोस्त कोई भगवान है॥
मित्रता तो मानो कोई वरदान हो ईश्वर का।
दोस्त ही काम आता होता कोई इम्तिहान है॥
३
दिल से दिल को राह मिलती जाती है।
वही सच्ची दोस्ती जब कोई गलती भी भाती है॥
कभी दोस्त को मत गवानां छोटी भूल में।
इक़ दोस्ती ही जीवन में हर ख़ुशी का रंग लाती है॥
यह हिंद की ललकार है
१
मैं भगवद गीता का गुण गान हूँ।
मैं राम राज्य की खान हूँ॥
एकसौ पैंतीसकरोड़ की शान हूँ मैं।
मैं हिन्द भारत देश महान हूँ॥
२
मेरा संस्कारों से ही रहा नाता है।
शांति संदेश ही मुझको भाता है॥
नहीं पहली गोली मैं चलाता हूँ।
तभी हिंद भारत महान कहलाता है॥
३
मैंने ये आज़ादी संघर्षों से पायी है।
बलिदानों से क़ीमत बहुत चुकाई है॥
स्वाधीनता का मोल ख़ूब जानता हूँ।
पहचान हिंद भारत महान बनाई है॥
४
अखंडता संप्रभुता से वचन बद्ध हूँ।
सीमा रक्षा को सदा प्रतिबद्ध हूँ॥
पहले दोस्ती का मेरा हाथ होता है।
पर शत्रु परास्त करने में सिद्ध हस्त हूँ॥
५
विविधता में एकता हमारा मन्त्र है।
श्रम कर्म धर्म ही हमारा एक यंत्र है॥
हमें अपने परिश्रम पर है बहुत नाज़।
यही हिंद भारत महान का कार्यतंत्र है॥
६
जय किसान जवान विज्ञान मेरा नारा है।
वेद पुराणों से भरा इतिहास हमारा है॥
गंगा जमुना पवित्र पुण्य माटी हमारी।
भारत महान काज ऊपर सितारा है॥
७
गांधी गौतम बोस मेरे कई रूप हैं।
कलाम आजाद से रंगी यहाँ की धूप है॥
कण कण में गूंजती राम कृष्ण की वाणी।
हिंद भारत महान तभी शांति स्वरूप है।
८
कॅरोना, पाक, चीन दुश्मन भी मेरे अपार हैं।
विश्व शांति दूत भारत से करते तकरार हैं॥
पर जान लो मत कम आँकना मेरे देश को।
यह हिंद भारत महान की ललकार है॥
हर दिल में प्यार का कारोबार चाहिये
हर दिल में प्यार का कारोबार चाहिये।
सबके अंदर महोब्बत लगातार चाहिये॥
चाहिये अमन चैन सकूं की ही बात।
हर हक़ का असली ही हक़दार चाहिये॥
कर्तव्य निभायें तभी ही अधिकार चाहिये।
पतझड़ नहीं हर बाग़ में बहार चाहिये॥
चाहिये भावना सवेंदना का ज्वार दिलों में।
हर व्यक्ति में मानवता का संचार चाहिये॥
हर आदमी इंसानियत का इश्तिहार चाहिये।
बस आपस में प्रेम भरा व्यवहार चाहिये॥
चाहिये नैतिकता से हर किसी का लगाव।
हर जीवन से दूर संकट दुर्व्यवहार चाहिये॥
नफरत की हम सबको बस हार चाहिये।
कभी न टूटे दिलों में वह एतबार चाहिये॥
चाहिये दौलत प्यार की बेशुमार हमको।
हर किसी का हर किसी से सरोकार चाहिये॥
भरी हुई हर रिश्ते के बीच दरार चाहिये।
एक छत तले रहता पूरा परिवार चाहिये॥
चाहिये महोब्बत से लबरेज संसार हमको।
स्वर्ग से भी सुंदर धरती का शृंगार चाहिये॥
शिक्षक ही हमारे भविष्य का निर्माण करता है
शिक्षक हमें पढ़ाता और शिक्षक ही संवारता है।
शिक्षक ही तो उचित ज्ञान हम पर वारता है॥
हमें देता है वह एक सही दिशा और सम्मति।
जीवन नव निर्माण लिये शिक्षक ही सुधारता है॥
माता पिता और गुरु हमारे जीवन के निर्माता हैं
जान लीजिये यही तीनों ही हमारे भाग्य विधाता हैं
माँ तो होती है बच्चों की प्रथम शिक्षक और पालक
शिक्षक ही हमारा पथ प्रदर्शक और ज्ञान दाता है
शिक्षक ही हमें विषयों का सही ज्ञान बताता है
वही नैतिकता ओ मानवता का पाठ भी पढ़ाता है
गुरु ऋण से अवमुक्त हो नहीं सकते हैं जीवन भर
शिक्षक ही हमारे भविष्य का निर्माण कराता है
गुरु जनों का आदर तुम जीवन भर भरते रहना
उनके आशीष वचनों से जीवन अपना गढ़ते रहना
उनके आशीर्वाद का हर कण तुम्हारा सफलता मंत्र
अपने गुरुजनों का आभार जीवन भर करते रहना
भारत महान लिखूँ या विश्व में बढ़ता हिंदुस्तान लिखूँ
१
हिन्द देश का गौरव गान लिखूँ।
या ये अतुल्य भारत महान लिखूँ॥
अनुपम उदाहरण है मेरा यह देश।
कितनी इसकी आन शान लिखूँ॥
२
योग मुद्रा ज्ञान ध्यान लिखूँ।
अनगिनत भाषा परिधान लिखूँ॥
विविधता में एकता मंत्र देश का।
सोने की चिड़िया हिंदुस्तान लिखूँ॥
३
गीता रामायण तुलसी रसखान लिखूँ।
विश्व गुरु भारत की पहचान लिखूँ॥
लिखूँ क्रिकेट विश्वविजेता की कहानी।
हॉकी जादूगर ध्यानचंद का नाम लिखूँ॥
४
गंगा यमुना कावेरी का जल गान लिखूँ।
वेद उपनशीद पुराण का ज्ञान लिखूँ॥
कल्पना चावला राकेश शर्मा की बात है।
या चन्द्रयान मंगलयान की उड़ान लिखूँ॥
५
भगतआज़ाद गांधी पटेल योगदान लिखूँ।
बच्चन दलीप राजकपूर अरमान लिखूँ॥
उत्सव पर्वों से भरा यह देश है मेरा।
या विश्व में बढ़ता आगे हिंदुस्तान लिखूँ॥
अमृत और ज़हर हमारी एक ही ज़ुबान पर रहते हैं
१
अमृत और ज़हर एक ही ज़ुबान पर निवास करते हैं।
इसी से लोगआपके व्यक्तित्व का सही हिसाब करते हैं॥
कभी नीम तो कभी शहद हो जाती ये जिव्हा हमारी।
जान लो इसी से जीवन में रिश्तों का आभास करते हैं॥
२
ये जीवन चार दिन की चांदनी कि मत रखो तुम बैर।
हो सके जहाँ तक मांगों प्रभु से तुम सब की खैर॥
तेरी ज़ुबान से ही तेरे दोस्त और दुश्मन भी बनेंगें।
हर बात बोलने से पहले तुम सोचो जाओ कुछ देर ठहर॥
३
तीर कमान से निकला तो फिर यह वापिस नहीं आ पाता है।
शब्द भेदी वाण है तो फिर ये घाव करके ही आता है॥
दिल से उतरो नहीं कि तुम किसी के दिल में उतर जाओ।
गुड़ ग़र दे नहीं सकते तो गुड़-सा बोलने तेरा क्या जाता है॥
४
जान लो ख़ुशी देना ही ख़ुशी पाने का आधार होता है।
वह ही ख़ुशी देता जिससे कोई सरोकार होता है॥
खुशी कभी आसमान से है कहीं टपकती नहीं।
न ही कहीं पर ख़ुशी का कोई व्यापार होता है॥
५
मन की आँखों से भीतर सबके ज़रा तुम दीदार करो।
मिट जाता है हर अँधेरा बस तुम सुबह का इन्तिज़ार करो॥
जान लो कि मीठी ज़ुबान और खुशियों का है गहरा रिश्ता।
इक छोटी-सी ज़िन्दगी है बस तुम हर किसी से प्यार करो॥
एस. के. कपूर “श्री हंस”
बरेली
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