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स्वामी विवेकानंद जी की शिकागो यात्रा
स्वामी विवेकानंद, एक ऐसा युवा जिसने विश्व में भारतीय संस्कृति को पहुँचाया… तो आइये जानते हैं स्वामी विवेकानंद जी की शिकागो यात्रा के बारे में…
विवेकानंद जी का जन्म
स्वामी विवेकानंद जी का जन्म १२ जनवरी १८६३ को कोलकाता में हुआ था। पिता का नाम विश्वनाथ और माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था। इनके बचपन का नाम नरेंद्र नाथ दत्त था, जो आगे चलकर स्वामी विवेकानंद कहलाए। स्वामी विवेकानंद जी ने शिक्षा पर ज़ोर देते हुए कहा, हमें ऐसी शिक्षा चाहिए जिससे चरित्र का निर्माण हो, मन की शक्ति बढ़े, बुद्धि का विकास हो और मनुष्य अपने पैरों पर खड़ा हो सके। तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक बना नहीं सकता, यह सब तुम्हें स्वयं अंदर से ही सीखना है। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नहीं होता।
शिकागो सम्मेलन
स्वामी विवेकानंद जी ने ११ सितंबर १८९३ को शिकागो में हुए विश्व धर्म सम्मेलन में एक बेहद चर्चित भाषण दिया था। अमेरिका के बहनों और भाइयों आपके इस स्नेह पूर्ण और जोरदार स्वागत से मेरा हृदय अपार हर्ष से भर गया है। मैं आपको प्राचीन संत परंपरा की तरफ़ से धन्यवाद देता हूँ। मैं आपको सभी धर्मों की जननी की तरफ़ से धन्यवाद देता हूँ, और सभी जाति संप्रदाय के लाखों करोड़ों हिंदुओं की तरफ़ से आपका आभार व्यक्त करता हूँ।
मेरा धन्यवाद उन वक्ताओं को भी इन्होंने इस मंच से यह कहा कि दुनिया में सहनशीलता का विचार सुदूर पूरब के देशों से फैला है। मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूँ जिसमें दुनिया को सहनशीलता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठशाला है। हम केवल सार्वभौमिक, सहनशीलता में ही विश्वास नहीं रखते, बल्कि हम विश्व के सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं।
मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे देश से हूँ, जिसने इस धरती के सभी देशों और धर्मों के परेशान और सताए गए लोगों को शरण दी है। मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि हमने अपने हृदय में उन इजरायलों की पवित्र स्मृतियाँ संजोकर रखी है, जिनके धर्मों को रोमन हमलावरों ने तोड़ तोड़कर खंडहर बना दिया था। मुझे इस बात का पर गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूँ, जिसने महान पारसी धर्म के लोगों को शरण दी और उन्हें पाल-पोस रहा है।
उन्होंने भगवान के बारे में बताया, जिस तरह अलग-अलग स्रोतों से निकली नदियाँ अंत में समुद्र में जाकर मिलती है, उसी तरह मनुष्य अपनी इच्छा के अनुसार अलग-अलग मार्ग चुनता हैं, पर सभी भगवान तक जाते हैं। साम्प्रदायिक कट्टरता और इसके, भयानक वंशजों के धार्मिक हठ ने लंबे समय से इस खूबसूरत धरती को जकड़ रखा है।
उन्होंने इस धरती को हिंसा से भर दिया है, और कितनी ही बार यह धरती खून से लाल हो चुकी है। यदि ये ख़ौफ़नाक राक्षस नहीं होते, तो मानव समाज कहीं ज़्यादा बेहतर होता, जितना कि अभी है। मुझे उम्मीद है कि इस सम्मेलन का बिगुल सभी तरह से कट्टरता, हठधर्मिता और दुखों का विनाश करने वाला होगा। चाहे यहाँ तलवार से हो या क़लम से।
विवेकानंद : एक प्रेरणाश्रोत
यह भाषण है कि जिसने पूरी दुनिया के सामने भारत को एक मज़बूत छवि के साथ पेश किया। स्वामी विवेकानंद जी ने अपने छोटे जीवन में जो कार्य और प्रचार किया, वह अद्भूत था। विवेकानंद जी के हमने संदेश दिया कि उठो, जागो और तब तक चल मत रुको जब तक तुम्हें तुम्हारे लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए। स्वामी जी की ओजस्वी वाणी से प्रेरित होकर बहुत से युवक उनके बताए हुए मार्ग पर चल रहे हैं।
श्रीमती शोभा रानी तिवारी
६१९ अक्षत अपार्टमेंट खातीवाला टैंक,
इंदौर मध्य प्रदेश मोबाइल ८९८९ ४०९ २१०
FAQs
स्वामी विवेकानंद का जन्म कब हुआ था?
स्वामी विवेकानंद जी का जन्म १२ जनवरी १८६३ को कोलकाता में हुआ था।
स्वामी विवेकानंद के पिता का क्या नाम था?
स्वामी विवेकानंद के पिता का नाम विश्वनाथ था।
स्वामी विवेकानंद की माता का नाम क्या था?
स्वामी विवेकानंद की माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था।
विवेकानंद के बचपन का नाम क्या था?
स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम नरेंद्र नाथ दत्त था।
विवेकानंद शिकागो कब गए?
विवेकानंद 1893 में शिकागो गए।
स्वामी विवेकानंद की मृत्यु कब हुई?
विवेकानंद की मृत्यु 4 जुलाई 1902 को हुई।
स्वामी विवेकानंद की दो कृतियों के नाम बताइए?
कर्म योग व राज योग विवेकानंद की दो प्रमुख कृतियाँ हैं।
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