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नया दौर (New era)
कोरोना के बाद का जीवन ही कुछ और होगा,
ये भी एक दौर (New era) है, वह भी एक दौर होगा।
फिर से लौटेगी रौनक स्कूल की इमारतों में,
खेल के मैदानों में फिर बच्चों का वही शोर होगा।
ये भी एक दौर है वह भी एक दौर होगा।
फिर सजेंगी महफिलें होंगी फिर वह दावतें,
पर मेहमानों की संख्या का नियम ना कठोर होगा
ये भी एक दौर है वह भी एक दौर होगा।
कुछ नई आदतें आएंगी कुछ पुरानी छूटेंगी,
बदलती जीवनशैली का तब चर्चा चहुंओर होगा।
ये भी एक दौर है वह भी एक दौर होगा।
आत्मनिर्भरता का मंत्र कुछ ऐसा रंग लाएगा,
प्रगति में भारत फिर दुनिया का सिरमौर होगा।
ये भी एक दौर है वह भी एक दौर होगा।
वर्षा निधि
रिमझिम बारिश की फुहार में,
प्रकृति ने पाया नव यौवन,
देख नभ में मेघ काले,
मन मयूर मेरा करे नर्तन।
हर ओर बिखरा हरा रंग है,
पर हर रंग की छटा अलग है,
हरित वसन, पुष्पों से अलंकृत,
धरती का ये रूप मोहक है।
कभी सूर्य की अरुणिम आभा,
अंबर पर छा जाती है,
कभी दामिनी चमक दिखाकर,
वर्षा की आहट लाती है।
तप्त भूमि को शीतल जल का,
रस ये पिला रहा है कौन?
भूपटल पर अपनी कूची से,
चित्र ये बना रहा है कौन?
श्याम घन, घनश्याम के हैं,
हरियाली उस हरि के कारण,
बहुरंगी इस प्रकृति चित्र के,
चित्रकार हैं स्वयं नारायण
अंबर से बरसे जो रिमझिम,
जल नहीं, यह तो जीवन है,
व्यर्थ इसे मत जाने देना,
ईश्वर का दिया अमूल्य धन है।
कल धरती यदि हो जाए निर्जल,
दोष ना देना तुम विधि को,
इसलिए आज ही संचित कर लो,
वर्षा की इस जल निधि को।
मनीषा शेखर जोशी
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