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पुष्प की अभिलाषा (Desire of a flower)
पुष्प की अभिलाषा (Desire of a flower)
बदल गई परिभाषा
व्यर्थ ही मसलने में
लाभ कुछ नहीं है
युद्ध भूमि में धूल कहाँ
फैली है बारूद वहाँ
वीर लाशें असुरक्षित
मांस रूपी चिथड़े है
जीवन व्यर्थ क्यों करूँ
टेंक नीचे कुचल मरूँ
टेबल के ऊपर बैठ
उपाय नया रचना है
सुगंध को बिखेर बिखेर
विवेक का पकर छोर
नेतृत्व के विचारों में
युद्ध दोष भरना है
बर्बादी का युद्ध खेल
मानवता से नहीं मेल
बातचीत से करो हल
जिंदा किसे रहना है
पशुवत मानव लड़ते
निजी स्वार्थ हित जीते
त्यागी परोपकारी बने
पुष्प की अभिलाषा है।
आदमी
आदमी भूल गया
अपनी ही पहचान।
देवता न बन सका
हुआ दैत्य महान।
पहले दूजे से छिपाता
अपनी ओछी बात।
अब स्वयं से छिपाता
बदलाव दिनरात।
बुढ्ढ़ा आदमी नहीं कहीं
सब हो रहे जबान।
बाल भूरे होते कहाँ
रंगता हर इंसान।
दाँत भी नहीं टूटते
बत्तीसी है दूध समान।
नजर भी कमती नहीं
चशमा बन गया शान।
धर्म कर्म को भूलकर
दौलत कमाने का भान।
आदमीयत हुई गायब
आदमी आदमी से हैरान।
स्वयं को समझता नहीं
देह से लगता आदमी।
जानवर से बदतर
नरभक्षी शैतान है आदमी।
कभी मानवता की खातिर
जान देता था आदमी।
अब हैवानीयत के लिए
जीता पुतला आदमी।
आदमी आदमी से ड़र रहा
संक्रमित रोगी-सा आदमी।
आदमी बहरा गूँगा पंगू
नाम का सिर्फ़ आदमी।
विश्व पृथ्वी दिवस
मैं जन्म से मौन हूँ,
संकेतों में बोलती हूँ।
मानव तुझें युवराज,
सदा से मानती हूँ।
तेरे पालन पोषण हित,
अपना सीना फाड़ती हूँ।
कंद मूल फल अन्न औषधि,
सब कुछ तो देती हूँ।
मैं तेरी पृथ्वीं माता हूँ,
संकेत में बोलती हूँ।
भ्रमित तेरा बुद्धि ज्ञान
अभिमान देख शर्माती हूँ।
अभक्ष भक्षण में रूचि,
देख कर ड़र जाती हूँ।
महामारी का कारण यही
याद दिलाने आती हूँ।
समेंट समेंट मानव शव
रोती और बिलखती हूँ।
मैं रत्नगर्भा धरती हूँ,
संकेत में बोलती हूँ।
युवराज तुझें समझाने,
हर बार कौशिश करती हूँ।
जीव मात्र हैं सखा तुम्हारे,
मैं सबका पालन करती हूँ।
तुम क्यों हत्यारे पापी बनते
परिणाम बताने आती हूँ।
राक्षस नहीं हो सकता मानव
पहचान दिलाने आती हूँ।
मैं राम कृष्ण पूजित भू हूँ।
संकेत में बोलती हूँ।
प्रकृति के प्रतिकूल कर्म
छोड़ने को कहती हूँ।
असुरता को पाठ पढ़ाने
देवत्व आश्रय लेती हूँ।
मानवता को फलित करने
मातृत्व धर्म निभाती हूँ।
पृथ्वी दिवस पर आशीष,
झोली भर कर देती हूँ।
मैं पुण्य क्षेत्र की माटी हूँ,
संकेत में बोलती हूँ।
सब श्रमिक है
श्रमिक तो हैं सब
कोई बढ़ा कोई छोटा
लेकिन अंतर काम का
समझ नहीं कोई पाता।
ज्यादा मेहनत जो करें
वह श्रमिक है छोटा
कम मेहनत करने बाला
बड़ा श्रमिक होता।
मजदूर से लेकर शासक
सभी तो श्रमिक हैं
पढ़े लिखे अनपढ़ ग्वांर
सबका काम दिखाता।
जो कमाता पेटभरने
छोटा ही वह श्रमिक
जो संचय हित कमाता
बड़ा वहीं रहता।
रीति पुरानी ही यह
सिर्फ न श्रम पूजित
बुद्धि विवेक युक्त श्रम
श्रेष्ट माना जाता।
दीप कब जलता है
जलती तो बत्ती है
जानते सब नर नारी
पर दिया जलना कहलाता।
सुविधाएँ
हर दुर्घटना के बाद
होती हैं जो व्यवस्थाएँ
उनसे आधी ही सही
अगर पहले हो जातीं।
मजदूर न होता
परिस्थितियों से
इतना मजबूर
शायद जान बच जातीं।
जिंदा में दो कौंड़ी
मिलना हुआ मुश्किल
मरने पर शासन
करोड़ों करोड़ों लुटातीं।
जीवन बचाने भाग रहे
परिवार की ले आश
घरबंदी को मानते
पर भूख प्यास सताती।
अंधे नियम कानून
घर भेजने के लिए
स्टेशन से स्टेशन तक
सुविधा घर न पहुँचाती।
ग्रीन पिंक रेड़ क्षेत्र
हर राज्य अलग खेल
समंवय न उचित मेल
परेशानियाँ अधिक बढ़ाती।
करोड़ो का पैकिज
खुश हुआ बेइमान
अच्छा होता सुविधाएँ
निःशुल्क सबको मिलती।
पानी बिजली अस्पताल
शिक्षा भोजन यातायात
बिन कार्ड या आधार
लुटने से जनता बचती।
विश्व जैव विविधता दिवस
जैव विविधता दिवस
मना रहे हम सब
हमें यह नया नहीं
फिर भी समझे अब
सर्वे भवन्तु सुखिना
यही तो है सबकुछ
प्रकृति के साथ जीवन
संरक्षण देते कब
प्रकृति के प्रतिकूल
छिन सकता सबसुख
पारिस्थितिक तंत्र
जैवीय और अजैविक
दोनों का समन्वय ही
दुनिया को उपयुक्त
आधुनिक युग का विकास
एक तरफा उन्मुक्त
मानव के व्यवहार से
संतुलन बिगड़ गया
जैविक विविधता साथ
ताना बाना बिखर गया
प्रकृति का अति दोहन
आमंत्रित संकट हो गया
पर्यावरण के प्रदूषण से
जीना भी दूभर हो गया
जैव विविधता दिवस पर
संकल्प लेना चाहिए
प्रकृति के अनुकूल जीना
दुनिया भर को चाहिए
प्रकृति को अनुकूल बनाना
मुसिबत नयी जानिए
जैव विविधता संरक्षण
कर्त्तव्य को पहचानिए।
धूम्रपान दिवस
धूम्रपान निषेध दिवस है
जागरूकता फैलाओ।
तम्बाखू के उत्पादों पर
मत प्रतिबंध लगाओ।
भोली भाली है जनता
फसी नशा की लत में।
लाँकड़ाउन में देख लिया
शराब बिकी दूने में।
शिक्षित करने विद्यालयों में
नियमित शिविर लगाओ।
धूम्रपान निषेध दिवस है
जागरूकता फैलाओ।
तम्बाखू सिर्फ़ नशा नहीं
लाभ बताती है जनता।
सदियों से पीने खाने की
भारत देश में रही मान्यता।
दाम बढ़ा कर उत्पादो का
आय स्रोत न बनाओ।
धूम्रपान निषेध दिवस है
जागरूकता फैलाओ।
जो जकड़े इस के आदी
उन्हें विकल्प सुझाना।
कोरोना महामारी से
धूम्रपान बहुत पुराना।
क्यों न हुआ विश्व एकमत
गुटका पाऊच न बनाओ।
धूम्रपान निषेध दिवस है
जागरूकता फैलाओ।
नशा मुक्ति पर भी भाषण
नशा कर करते लोग।
बड़ो को कोई दोष नहीं
पिसता गरीब व मझोल।
पैसा कमाने हित पाबंदी
छिप छिप मत बिकवाओ।
धूम्रपान निषेध दिवस है
जागरूकता फैलाओ।
पाठक्रम का विषय बने
प्राथमिक विद्यालय से।
मान्यता का खंडन हो
गुण दोष सभी पढ़ाने से।
तम्बाखू मुक्ति अभियान
मिशन बना चलाओ।
धूम्रपान निषेध दिवस है
जागरूकता फैलाओ।
नशा मुक्ति की साधना
आत्मबल से होती।
संकल्प युक्त होना ज़रूरी
सफलता प्राप्त होती।
प्रेरक बनने का सौभाग्य
सहजता से अपनाओ।
धूम्रपान निषेध दिवस है
जागरूकता फैलाओ।
शक्ति रूपा नारी
ब्रह्मा विष्णु और महेश
आदिशक्ति उपजाए।
सृष्टि संचालन हेतु
शक्ति माता अजमाए।
सौपा सृष्टि सर्जन भार
स्वयं नारी रूप लिया।
लक्ष्मी शिवा व ब्रहाणी
रूपों में अवतार लिया।
अपने ही अंश रूप में
जग की नारी बन आयी।
जग विस्तार की कामना
हर नारी के मन समायी।
शक्ति रूपा नारी तबसे
निभा रही दायित्व को।
विविध रूप धारण कर के
सुरम्य बनाती प्रकृति को।
बेटी पूजित देवी रूप में
पत्नि गृहलक्ष्मी कहलाती।
माँ रूप में आदिशक्ति ही
वात्सल्य रूप अपनाती।
शक्ति रूपा नारी जीवन
नारी ही शक्ति रूपा है।
वेदों में उपदेश समाहित
नारी सम्मान देवी पूजा है।
जिस घर पूजित होती नारी
वहाँ देवता बसते है।
नारी का अपमान जहाँ
दैत्य वहाँ पनपते है।
पितृ दिवस
अच्छा है पितृ दिवस
मनाता जिसको विश्व है।
हम तो मनाते नित्य ही
प्रणाम व चरण स्पर्श है।
बुरा नहीं कुछ हमें
हम तो बहुत प्रसन्न है।
इसी नाम से आज फिर
हम दुनिया के संग है।
नमन वंदन सम्मान तो
हमरा जीवन अंग है।
पर विदेशी संस्कृति में
सेल्फी सेल्फी ढ़ंग है।
अपनी प्राचीन सभ्यता में
पिता संग मर्यादा ज़रूरी है।
पिता की आज्ञा मानना
हमारी भारतीय संस्कृति है।
पिता देव सम पूज्य हमें
सेवा सौभाग्य मानते है।
उनका देखो पितृ दिवस
वृद्धाश्रम में जाकर ढूढ़ते है।
साल में सिर्फ़ एकबार ही
पितृ दिवस पर देखते है।
पितृ दिवस की शुभकामना
एक दूजे को भेजते है।
पर अच्छा है पितृ दिवस
पिता को तो जानते है।
पर अफ़सोस तो उन पर
जो हमारे अपने हैं।
हमारी मान्यता को त्याग
पिता को वृद्धाश्रम छोड़ते हैं।
उनको तो पितृ दिवस भी
संदेश लेकर आता है।
विदेशी नहीं बदले आज तक
फिर आप क्यों बदले है।
क्या अच्छा लगा तुम्हें
जो उनकी नक़ल करते है।
हम तो खुश हैं आज फिर
पितृ दिवस भी अच्छा है।
पिता को पुनः प्रणाम वंदन
इसी वहाने मिलता है।
रानी लक्ष्मीबाई
(पुण्यतिथि)
झांसी वाली रानी लक्ष्मी
याद तुम्हारी आती है।
बलिदानी गाथा सुन पढ़
आँखें नम हो जाती है।
तुमसा साहस और पराक्रम
कम ही देखा जाता है।
नारी होकर वीर मर्दांनी
प्रेरणा देकर जाता है।
देश खातिर मर मिटने का
उत्साह मन भर जाता है।
लक्ष्मीबाई नाम अभी भी
भारत का मान बढ़ाता है।
बिषम परिस्थितियों में भी
हार न मानी रानी ने।
सैन्य बल की अपेक्षा
आत्मबल जगाया रानी ने।
संसाधन और सुविधाएँ तो
अँग्रेजी पर ही ज़्यादा थी।
देशभक्ति और स्वाभिमान
रानी के तन मन समानी थी।
यही तो था रानी का साहस
दुश्मन भी प्रशंसा करते थे।
भारत माता की बेटी का
शौर्य देख कर ड़रते थे।
आजादी की चिन्गारीं को
ऐसा फूंका रानी ने।
बलिदान दिया पर बुझी नहीं
सुलगाया लक्ष्मी रानी ने।
बात डेढ़ सौ साल पुरानी
आज भी प्रसांगिक है।
बितें कितने ही युग चाहे
रानी जन मन पूरित है।
रक्षाबंधन संदेश
कोरोना ने बिगाड़ दिया
राखी का त्योहार।
बहिन न जाती मायके
समय बुरा विचार।
लाँकडाउन की मर्यादा
मान रहा परिवार।
कोरोना का वायरस
आया पहली बार।
कब किस को पकड़ ले
नहीं मिला उपचार।
सलामत रहे भैया मेरा
दुआ देती जी भार।
भैया कर रहे फ़ोन अब
बहना मतलाना राखी।
धागा तो एक रिबाज
पहुँचा दो मन की राखी।
सुरक्षित रहना हैं ज़रूरी
अदृश्य कोरोना बीमारी।
अपने परिवार पर ध्यान
देना आज बनी मजबूरी।
राजी ख़ुशी हम सब लोग
आप भी खुश रहना।
राखी का त्योंहार बहिन
दूर दूर से ही मनाना।
भाई बहन का प्यार अमर
कम न होता बहना।
सरकारी मान सलाह मान
घर से मत निकलना।
समय अभी न ठीक है
धीरज मन में धरना।
तुम तो बहुत समझदार
सबको उचित सलाह देना।
दिन नहीं ज़्यादा दूर अब
हारेगा जब कोरोना।
साथ मनाएँगें त्योंहार फिर
बहिन उदास मत होना।
कोरोना से बचना ज़रूरी
उपाय सभी अपनाना।
मास्क लगाना और भेजना
सेंनेटाइजर पास रखना।
आने जाने में बहिना जी
घर का ही भोजन करना।
जब मिलेंगे तब ही मानेंगे
अभी फ़ोन पर राखी भेजना।
रक्षाबंधन पर्व की दे रहा
भाई तुम्हें शुभकामना।
आजादी
आजादी आई आजादी आई
आम जनता देख न पाई।
कोई कहता नेतों के घर है
कोई कहता अफ्सर घर आई।
आजादी की खातिर तो
लाखों लाख ने जान गवाँई।
हर साल सुनते लाल किले से
आजादी की भरपूर बड़ाई।
कोई कहता यह प्रजातंत्र
आजादी का ही सगा भाई।
पर नेता और अफ्सर मिल
निकाल रहे है ख़ूब मलाई।
आजादी का ध्वज लहराया
सबने अपने-अपने घर पर।
सभी चाहते आजादी की
कृपा बनी रहे उन पर।
भ्रष्टाचार बना है शत्रु जैसा
लड़ना बाक़ी अभी लड़ाई।
आजादी आई आजादी आई
आम जनता देख न पाई।
अपने ही गद्दार हुए है
कर रहे सब मिल कमाई।
देशहित हो गया उपेक्षित
सत्ता पाने चली लड़ाई।
सत्य ईमान हुआ है गायब
जनता की हो रही लुटाई।
सात दशक के बाद मिला
रामजी को अपना धाम।
कश्मीर में ध्वज फहराया
रही अभी तक वह गुलाम।
आजादी में भी देखो भैया
आम जन की नहीं सुनाई।
झूठ फ़रेब अत्याचार बढ़े
आजादी मुश्किल में भाई।
आजादी आई आजादी आई
आम जनता देख न पाई।
प्रभु राम की लीला
हे राम तेरी लीला
कोई नहीं जानते हैं।
कल तक जिनके मुँह सिले थे
आज श्रीराम बोलते हैं।
हम भी तो थे राम पक्ष में
सच सच खुलकर कहते हैं।
कोई नहीं अब बाबर कुल का
हम सब हिंदुस्तानी हैं।
यहीं पर जन्मे यहीं मरेंगे
यहाँ के बेटा बेटी हैं।
शोषित होकर राजनीत से
हमको छला गया।
राम बिरोधी हमको कहकर
नफरत भरा गया।
राम भक्तों के जयकारों से
भय बताया जाता था।
रामजन्मभूमि के बहाने
सदा लड़ाया जाता था।
भला किया रामलला ने
निर्णय अदालत से आया।
गद्दारों के मुँह भी बंद हुए
राम मंदिर सबको भाया।
यह सब प्रभु राम की इच्छा
सौभाग्य जिसके भाग्य लिखा।
उसी को गौरव सम्मान देकर
राम मंदिर आधार रखा।
ज्यो त्रेता युग में हनुमान ने
दुष्टों का संहार किया।
द्वापर में अर्जुन पांड़व पुत्र
प्रभु इच्छा से युद्ध किया।
कुछ ऐसा ही संयोग रचा है
मोदी योगी जोड़ी का।
स्वर्णाक्षर इतिहास रहेगा
राममंदिर निर्माणी का।
राम मंदिर
युगों युगों तक रहेगा
इस पीढ़ी का गौरव गान।
जिनके जीवन काल में
राम मंदिर पाता निर्माण।
पाँच सौ साल की अभिलाषा
लाखों लाख हुए बलिदान।
प्रतिक्षा में बीत गये थे
कई पूर्व जन्म नहीं है ज्ञान।
अवसर दिया है अवधपति
जो जन ले पहचान।
राम मंदिर के निर्माण का
न्याय मिला बहुत आसान।
अयोध्यापुरी से जुड़ी आस्था
जन्में जहाँ स्वयं भगवान।
हिन्दू संस्कृति पोषक भूमि
श्रृद्धा भक्ति का स्थान।
जातिवाद और धर्मवाद
सत्तामद का रहा अभिमान।
सत्य को झुठला रहा था
कलियुग का कपटी इंसान।
स्वार्थ सिद्धि हित झूठ बोल
लगाता रहा मत का अनुमान।
आजादी के बाद भी भूले
करना है मंदिर निर्माण।
दुःखी रहा हिन्दू जनमानस
रोता रहा था हिन्दुस्तान।
दोषी स्वयं नेतृत्व देश का
विस्मृत हुआ था स्वाभिमान।
अब पूर्ण हुई मन की इच्छा
भूमिपूजन दृश्य महान।
दिव्य भव्य बनेगा मंदिर
जन जन कहता सीना तान।
राजेश कौरव सुमित्र
नरसिंहपुर म.प्र.
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