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आ अब लौट चलें (come back now)
आ अब लौट चलें (come back now): मां होने का गौरव जहां एक ओर आत्मिक सुख और संतोष देता है वही पारिवारिक ज़िम्मेदारी की दोहरी भूमिका भी प्रदान करता है एक ओर तो ममता की ठंडी छांव बच्चों और पूरे परिवार को देना तो दूसरी ओर अनुशासन बनाए रखने के लिए कठोर व्यवहार करना | अभी अपनी भूमिका के इस ताने-बाने के बारे में सोच ही रही थी कि….. मेरी बेटी पास आ कर बैठ गई और बोली – मां क्या सोच रही हो?
मैं बोली – कुछ नहीं ऐसे ही…….
बेटी बोली – मां हमेशा आप इतना क्यों सोचती हो और और इतनी सारी बातें मुझे भी समझती रहती हो
मैं हँसकर बोली ताकि तुम्हें हर किसी से रिश्ते को निभाना आए…….
बेटी बोली – मां अगर हर कोई इतना सोचे और करे तो कितना अच्छा हो लेकिन किसी के पास समय ही नहीं होता| फिर आँखें फैला कर वह बोली आपको पता है ना…. कुछ ही दिनों में पूरे देश में लॉकटाउन होने वाला है. मैंने जवाब दिया – हां बेटा पता है देखो आगे-आगे क्या होता है |
फिर उसके बाद जो परिस्थितियां बनी और दिनचर्या बदली तो उसे हम सभी अभी तक निभा रहे हैं | एक दिन दोपहर में अचानक घर की कॉलबेल घनघना उठी दरवाज़ा खोला तो सामने थोड़ा परेशान सा एक युवक खड़ा था | पूछने पर पता चला कि हमारे पड़ोस के नर्सिंग होम में ही उसकी पत्नी ने एक बेटी को जन्म दिया है लॉकडाउन की वजह से पैसा खर्च करने को तैयार रहने पर भी कोई जरूरी सुविधा उपलब्ध नहीं है | खाने पीने तक का सामान नहीं मिल रहा है | रिश्तेदार घर से निकल-कर अस्पताल तक नहीं आ पा रहे जिससे कोई मदद हो जाए | फिर क्या था हमारा पूरा परिवार उस युवक के परिवार की मदद में जुट गया |
उसकी नन्ही सी बच्ची मानो हम सब के लिए नन्ही परी बन गई सभी उसे बहुत प्यार करने लगे जब सात आठ दिन बीत गए तो वह धन्यवाद सहित हमसे विदा लेने आया तब उसने बताया कि कुछ दिन बाद वह बार्डर पर अपनी ड्यूटी पर लौट जाएगा | देश के एक सैनिक परिवार की सेवा का मौका हमें ईश्वर ने दिया था हम ईश्वर को धन्यवाद दे रहे थे और वह हमें….|
मैंने उससे कहा कि सीमा पर रक्षा करते समय क्या किसी से आप धन्यवाद की उम्मीद करते हो ?
वह बोला – यह तो हमारा फर्ज और ड्यूटी है |
तब मैंने जवाब दिया – इंसान के नाते हमने भी अपना फर्ज पूरा किया है चलो हिसाब बराबर |
वह बोला…… हिसाब बराबर ऐसे नहीं होगा ऐसा करते हैं कि यह जो रिश्ता आपका और हमारा बना है इसे ना कभी आप भूलना और ना हम | इस तरह के बने रिश्ते हमेशा प्रगाढ़ और स्वार्थ रहित होते हैं | मैंने और मेरे पूरे परिवार ने वादा किया कि ऐसा ही होगा | हम सभी ने नन्ही परी व उसके परिवार को नम आंखों से विदा किया आज भी हम सभी उस उस परिवार से कॉल पर हालचाल पूछते रहते है यह सिलसिला हमें हमेशा बनाए रखना है, आखिर दिलों का मजबूत रिश्ता जो बनाया है |
तब से परिवार के हर सदस्य ने अपने आप से दूसरों की मदद करने का एक अनूठा रिश्ता कायम कर लिया है | इससे भी बढ़कर आत्मिक सुख की अनुभूति बाहरी रिश्तो की महत्ता से बड़ी लगने लगी है आत्मिक सुख की चाह में शरीर का रिश्ता योग से जुड़ गया है योग ने ध्यान से और ध्यान ने ईश्वर से जोड़ दिया है परिवार एक नई धारा कहना चाहिए कि सही धारा की ओर मोड़ चुका है सीधे शब्दों में कहें तो समय ने हमारी वसुधैव कुटुंबकम की संस्कृति की झलक हमें दिखा दी है प्रकृति से प्रेम करना सिखा दिया है योग और ध्यान पर आधारित जीवन शैली की ओर मोड़ दिया है मानो समय हम से कह रहा है कि उन चीजों से रिश्ता जोड़ो जहां कि हम पहले थे और वहीं लौट चलें जहां से चले थे |
रंजना सिंह
राघवेंद्र नगर करौली माता मंदिर
ग्वालियर-मध्यप्रदेश
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