Table of Contents
प्रकृति
अपने सुख के लिए प्रकृति को नहीं सताओ
प्रकृति के नियमानुसार जीवन को चलाओ l
दोहन करके प्रकृति का किया उसे कंगाल
इसलिए प्रकृति को क्रोध आया विकरालl
मचाई तबाही वर्षा जल को बाढ़ बनाकर
अपने साथ कितने जीवन ले गई बहाकर l
पेड़ काटकर भौतिक साधन जुटाकर
हर धरती को मानव ने बंजर बनाया l
अतिवृष्टि का जल उमड़ घुमड़ कर आया
इसका तीव्र वेग कोई सहन नहीं कर पाया l
पहाड़ों को तोड़कर हम समतल करता आया
जाने अनजाने में जंगल को जलाता आया l
मैदाऩों में पेड़़ों को विकास के नाम पर काट कर
इमारत खड़ी कर देते हैं नदियों को रोककर l
प्रक्रति अपना बदला लेती है यह जानकर
इंसान नदियों को प्रदूषित करता रहता l
प्रक्रति आपदा आती है कहीं सूखा ले आती
तो कहीं बाढ़ कभी सुनामी तो कभी भूकंप ले आती l
अपनी नाराजगी जताते प्रकृति कहीं गुम ना हो जाए
यही वक़्त है अरे मानव प्रकृति को सब मिलकर बचाएl
प्रकृति ना रही तो समाज भी नहीं रह पाएगा
प्रकृति में गहराई से देखो फिर जान पाएगेl
प्रकृति नहीं सिखाती ना चाहती किसी को ठुकराना
इसे बस आता है प्रेम से सबको अपनाना I
सावन में मन करता है
बादलों को वाहन बनाकर आसमान की दुनिया में घूमो
कहाँ से कैसे आए बादल उनसे कुछ प्रश्न करूं
सावन की पहली बारिश में झिलमिल कर भीग-सी जाऊँ
घने बादलों के पीछे एक प्यारा-सा घर बनाऊँ
हवा के झोंकों के साथ मुस्कुराना मैं चाहूँ
सावन मन में कई अरमान जगा
किसी को अपने पास बुलाए
सावन के महीने को दिल करता है
कि पूरा साल ही सावन जैसा हो जाए कहाँ छुपते हैं
तारे रात को बादलों के पीछे
उनसे कुछ में प्रश्न पूछूं सावन में मन करता है
रिमझिम बारिश
रिमझिम रिमझिम बारिश आती, सुहाने सुन्दर सपने लाती
फसलों को लहलहाती मन को हरसाती, पेडों को नहलाती l
सोंधी सोंधी महक माटी की, सबके मन को भाती
बारिश की बूंदें धरती को, तर बतर कर जाती l
नए-नए तुम फूल खिलाती, जंगल में भी मंगल कर जाती
मेंढक भी ख़ूब ख़ुशी मनाते, धरती अब है मुस्काती
चारों ओर हरियाली छाती, जब रिमझिम बारिश आती
सफल किसानों का श्रम होता, धरती के बीच सोया बीज उठाता।
रिमझिम बारिश की बूंदों में, याद तुम्हारी आती
दिल पर ज़ोर ना रहा अब, अपनी, बेबसी पर बतातीl
रिमझिम बारिश में अकेले बूंदें, उन्हें छू जाती
कितनी मोहब्बत है तुमसे, तुमको वह बतलाती l
डॉक्टर पिंकी शर्मा
गांव डाकघर सलोनी
तहसील बडसर
जिला हमीरपुर
हिमाचल प्रदेश
यह भी पढ़ें-
1 thought on “प्रकृति”