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नारी का सम्मान
नारी का सम्मान
मुझे कुछ करना है, आत्म निर्भर बनना है। २
घर को खुब सज़ा लिया है। २
अब ख़ुद को साबित करना है।
मुझे कुछ करना है, आत्म निर्भर बनना है।
कैसे—
तुम यहाँ मत जाना, तुम वहाँ मत जाना। २
बचपन से टोका जाता है।
तुम दो घर की इज्ज़त हो,
बस यही तो सिखाया जाता है।
बस हमारे पास आस है। २
मुझे कुछ करना है, आत्मनिर्भर बनना है।
सब रोक टोक सह के मैं आज ससुराल को चली। २
मायके की इज्ज़त सम्भाल के,
ससुराल की इज्ज़त बनाने चली।
हो गई बेटी पराई-२
उसे भी कुछ करना है, आत्मनिर्भर बनना है।
मुझे कुछ करना है, आत्मनिर्भर बनना है।
किचन से लेकर बेडरूम तक, २
तुमने अपना हर काम निभाया है।
पर-
पर वाह रे नारी अपना सम्मान नहीं बना पाया है।
देके उनको चिराग उनका, २ यह तुमने जतलाया है।
कमी नहीं तुम्हारे कोख में, २ बस यही तो बतला पाया है।
हाँ अब हमें इन सब से निकलना है,
आत्मनिर्भर बनना है।
मुझे कुछ करना है आत्मनिर्भर बनना है।
तुम से नहीं होगा, तुम नहीं कर पाओगी।
बस यही कहा जाता है।
जब एक पैसे कि मांग करो,
तो ख़ुद कमा कर देखो तब पता चलेगा,
यही सुनाया जाता है।
किचन से लेकर हर कला जिसके अन्दर भरी होती है, २
उसे ही तो चार दिवारी के अन्दर रखा जाता है।
वाह रे समाज २ लड़के के कला पर ताली,
और लड़की के कला पर गाली।
बदल दो ये रिवाज, २ तोड़ दो ये रस्में।
नहीं तो जिसपे ये सृष्टि टिकी है, वह टुट जायेगी।
निकल ऐ नारी सारे रस्में रिवाज़ तोड़ के, २
तुझे भी ख़ुद को साबित करना है, आत्म निर्भर बनना है।
मुझे कुछ करना है, आत्म निर्भर बनना है।
रहती हुं सकुचाई सी, सहमी-सहमी रहती हुं। २
है कुछ भी कर गुजरने की हिम्मत, २
फिर भी डरी-डरी-सी रहती हुं।
अब बस मुझे भी उभरना है, २ आत्म निर्भर बनना है।
मुझे भी कुछ करना है, आत्म निर्भर बनना है। २
पुजा गुप्ता
रेलवे कालोनी बुढार
जिला-शहडोल
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