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शिक्षक (teacher)
शिक्षक (teacher) एक साधु है
जो आखर ज्ञान की अलख जगा कर मौन धारण करता है।
शिक्षक की साधना का कोई मूल्य नहीं
वो तो अमूल्य निधि के दाता हैं।
जब जब बालक गिरे राह में
वो पथप्रदर्शक बन सही राह दिखाता हैं।
शिक्षक के रूप में हम एक नहीं
अनंत शब्दों की पोथी पा लेते हैं।
जहाँ जहाँ पांव पड़े शिक्षक के
वह धरती पावन कहलाती है।
शिक्षक (teacher) है तो ज्ञान की कोई सीमा नहीं
और जो हमें परख के हमें निखारे
उससे बड़ा मूल्यवान धन कहीं नहीं है।
शिक्षक का आशीर्वाद हो सिर पर तो हर राह आसान लगती है।
उनके द्वारा कहे शब्दों से ही हमें
जीने की एक नई राह मिलती है।
शिक्षक वह पूंजी है जीवन की जो निराश मन में भी आशा के फूल जगाता है।
आया सावन झूम के
सखी देखो सावन आया है मेरे मन को भाया है।
हर और हरियाली छाई है, मेघों ने धूम मचाई है।
सावन के झूले में सखी इस बार हम तुम झूलेंगे
वो आम के पेड़ पर झूला डालकर बचपन को फिर से जी लेंगे
मेघों ने देखो ओढ़े हैं काले बादल,
चहुं ओर देखो सावन ने कैसी धूम मचाई है।
मेघ बरसे उमड़ घुमड़ कर, कहीं बूंदों ने आफत मचाई है।
कहीं खेत लहलहा रहे, कहीं पंछी चहचहा रहे।
किसानों की आंखो में देखो, वो फिर से एक उम्मीद जगी है।
सखी देखो सावन आया है मेरे मन को भाया है।
भोले बाबा का दिन है ये,
सखी तुम उनसे भी के देना
कि मेरे पिया परदेस गए हैं उन तक मेरा भी ये संदेश पहुँचा देना,
कि देखो पिया भूल मत जाना इस बार सावन पर तुम घर लौट आना।
तुम जब भी आना, संग हरी-हरी चूड़ियाँ ज़रूर लाना
पिछले सावन मेरा मन तरसा था, इस सावन जब तुम आना
वो प्रेम की फुहारों के बीच
कोई मीठा गीत सुना जाना।
सुन ओ बादल सुन री बरखा, जब आए मेरे साजन तो
जमकर अपना सारा जल बरसा देना।
इस बार जब वह आएंगे तो उनको ना यूं जाने दूंगी
पिछले सावन की यादों का ताना देकर
मैं उनको अपने पल्लू से बाँध लूंगी।
पहनूंगी मैं उनके हाथ से ही चूड़ियाँ,
और झुलूंगी पिया संग झूले में मैं भी॥
कु. रजनी श्रीवास्तव
D/o श्री भागीरथ जी, जोधपुर, राजस्थान
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