सभी मौन क्यों है
सभी मौन क्यों है
आज हमारे देश में जैसे मौन रहने की परंपरा चल पड़ी है। सभी अपने-अपने स्वार्थ में डूबे हुए हैं। समाज का हर व्यक्ति किसी न किसी सामाजिक या राजनीतिक बंधन में बंधा होने के कारण व्यवस्था के खिलाफ बोलने से घबराता है। उदाहरण के लिए महाभारत काल में द्रोपदी का चीर हरण देख कर भी भीष्म पितामह मौन क्यों थे। श्री राम को राज्य तिलक के बदले मिले १४ वर्ष के वनवास पर मौन क्यों थे। पांडवों की माता कुंती कर्ण के साथ हुए अन्याय को देखकर भी मौन क्यों थी।
चाहे शासन हो या कोई भी सामाजिक व्यवस्था किसी अन्य या अत्याचार के विरुद्ध बुद्धिजीवी और सक्षम वर्ग जब मौन रहता है तो उन्हें बहुत बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ती है और इतिहास उन्हें कभी माफ़ नहीं करता है।
आज हम देखते हैं कि देश में कहीं जगह अत्याचार शोषण पीड़ा बलात्कार जैसे मुद्दों पर हम खुलकर बोल नहीं पाते। हम मौन क्यों हो जाते हैं। देश की जनता या किसी वर्ग पर होने वाले अत्याचारों पर मौन क्यों हो जाते हैं। राजनीतिक दल चुनाव जीतने के लिए कई वादे करते हैं और जीत जाने के बाद सब वादे धरे रह जाते हैं। इस पर हम सब मौन क्यों हैं।
आज विधायक सांसद आदि नेताओं के वेतन भत्ते बढ़ते रहते हैं और जनता उनके इस कृत्य पर मौन क्यों है। एक सरकारी कर्मचारी जो अपना पूरा जीवन सेवा में लगा देता है और अंत में उसे पेंशन भी नहीं मिलती है। जबकि कोई विधायक या सांसद चाहे १ दिन के लिए भी रहा हो उसे आजीवन पेंशन मिलती है इन मुद्दे पर हम मौन क्यों हैं।
कोई गरीब झूठे मुकदमों में फंस कर जेल की सजा काट रहा होता है और वास्तविक गुनाहगार अपने धन बल के कारण स्वतंत्र घूमता है। इस प्रकार की व्यवस्था पर हम सभी मौन क्यों हैं। कोई बलात्कार पीड़िता न्याय की आस में दर-दर भटकती है परंतु न्याय नहीं मिल पाता। देश का युवा योग्य होते हुए भी नौकरी के लिए भटकता रहता है और अयोग्य व्यक्ति आरक्षण के आधार पर उच्च पदों पर आसीन हो जाता है। ऐसे मुद्दों पर हम सभी मौन क्यों हैं। आज पेंशनर्स को प्रतिवर्ष अपने जीवित होने का प्रमाण पत्र देना पड़ता है। इस प्रकार की व्यवस्थाओं पर हम सभी मौन क्यों हैं।
देश में ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर हम सभी बोलने से कतराते हैं। वास्तविकता से आंखें मोड़ लेते हैं। इन मुद्दों पर हमें बोलना चाहिए। लेकिन ना जाने क्यों हम सभी मौन क्यों हैं?
निलेश जोशी “विनायका”
९६९४८५०४५०
पता-बाली, पाली, राजस्थान
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